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Umrah Bus Tragedy: उमराह के लिए सऊदी अरब की यात्रा पर गए 42 भारतीयों की मौत बस दुर्घटना में हो गई है. यह दुर्घटना उस वक्त हुई, जब बस भारतीय यात्रियों को लेकर मक्का से मदीना जा रही थी. जो जानकारी सामने आई है, उसके अनुसार बस एक तेल के टैंकर से टकरा गई और बस में आग लग गई और यात्रियों को बचने का मौका भी नहीं मिला. मारे गए लगभग सभी यात्री हैदराबाद के थे और सऊदी अरब उमराह के लिए गए थे. उमराह की प्रक्रिया और महत्व के बारे में जानते हैं.
क्या है उमराह?
मुसलमानों के लिए उमराह बहुत ही पवित्र तीर्थयात्रा है. इसे हज के बाद सबसे पवित्र माना जाता है, इसी वजह से इसे ‘छोटी हज’ भी कहा जाता है. उमराह के लिए देश-विदेश से मुसलमान श्रद्धालु मक्का जाते हैं. यह एक पाक यात्रा है और इसकी प्रक्रियाएं हज की तुलना में थोड़ी सरल होती है.
उमराह की विधि क्या है?

उमराह, एक धार्मिक यात्रा है जिसमें मुसलमान पहले तो इरादा करते हैं, उसके बाद अपना शुद्धिकरण कर एक विशेष प्रकार का वस्त्र पहनते हैं, जिसमें पुरुष बिना सिले सफेद कपड़े पहनते हैं और महिलाओं को ढीला-ढाला वस्त्र पहनना होता है. इसे एहराम कहते हैं, इस विधि के दौरान श्रद्धालु पर कई तरह की पाबंदियां होती हैं, मसलन शिकार ना करना, गुस्सा ना करना. पत्नी-पत्नी के बीच संबंध ना होना इत्यादि. इस अवस्था में इंसान पूरी तरह पवित्र रहता है, वह नाखून भी काट चुका होता है. उसके बाद वे काबा की सात बार परिक्रमा करते हैं, जिसे काबा का तवाफ करना कहते हैं.
काबा का तवाफ यानी उसके चारों ओर घूमना. इसके बाद की प्रक्रिया को सई करना कहते हैं, जिसमें सफा और मरवा की पहाड़ियों के बीच 7 बार तेजी से चलना या दौड़ना होता है. इस प्रक्रिया के दौरान हर यात्री दुआ करता है और अल्लाह के प्रति अपनी आस्था को दर्शाने के लिए उनके सामने अर्जी लगाता है. चाहे औरत हो या मर्द हर किसी को सफा और मरवा की पहाड़ियों के बीच 7 चक्कर लगाने होते हैं. सफा और मरवा पहाड़ी के बीच की दूरी लगभग 450 मीटर है. इस दूरी के कुछ ही हिस्से को दौड़कर या तेज चलकर पार करना होता है, हालांकि महिलाओं को यह छूट है कि वे तीन चक्कर के बाद दौड़ने की बजाय टहलकर अपनी परिक्रमा पूरी कर लें. सफा–मरवा के बीच चलने की प्रक्रिया जब पूरी हो जाती है, तब हल्क या तकसीर की प्रक्रिया होती है, जिसमें पुरुष पूरा सिर मुंडवा सकते हैं या फिर अपने बाल को छोटे करा सकते हैं. महिलाएं भी अपने बाल को एक अंगुली के बराबर काटती हैं, उसके बाद उमराह की रस्म पूरी हो जाती है.
मक्का और मदीना मुसलमानों के लिए क्यों हैं खास?
इस्लाम के पैगंबर हजरत मोहम्मद साहब का जन्म मक्का में हुआ था. मक्का में ही काबा है, काबा एक प्राचीन घर है जिसे बैतुल्लाह यानी अल्लाह का घर कहा जाता है. यह समझना भी जरूरी है कि मुसलमान काबा को नहीं, बल्कि अल्लाह को पूजते हैं, उनकी श्रद्धा काबा के प्रति भी है. मक्का के बाद मुसलमानों के लिए सबसे पवित्र जगह है मदीना. मदीना में पैगंबर साहब का मकबरा है और एक पवित्र मस्जिद भी है.
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