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भारत में एक धर्म और एक बादशाह चाहता था औरंगजेब, सिर्फ युद्ध किया; नहीं बनवाई कोई भव्य इमारत

Aurangzeb unknown facts : औरंगजेब पूरे भारत पर शासन करना चाहता था, वह यह चाहता था कि एक धर्म और एक बादशाह के अधीन भारत को लाया जाए. इसके लिए उसने दक्षिण का अभियान चलाया और कई युद्ध जीते. उसने कर्नाटक तक अपने राज्य का विस्तार कर लिया था. उसकी क्रूर छवि कैसे बनी और इसके लिए उसने शुरुआत कैसे की, यह जानना भी बहुत जरूरी है.

Aurangzeb unknown facts : मुगल शासकों में औरंगजेब एक ऐसा राजा था, जिसने शानो शौकात और विलासिता भरे जीवन से थोड़ी दूरी बनाई. उसने अपने महल से संगीत को बाहर कर दिया और उसे अपनी तारीफ में पढ़ी जाने वाले वाली कविताएं भी बिलकुल पसंद नहीं थी. उसे बेकार की कविताएं बिलकुल पसंद नहीं थी और ना ही वह अपने पिता की तरह ताजमहल बनाने में रुचि रखता था. औरंगजेब एक ऐसी शख्सियत था, जिसने इस्लाम और अपने राज्य की सीमा को विस्तार देने में रुचि दिखाई.

कैसा था औरंगजेब का बचपन?

औरंगजेब भारतीय इतिहास का वो पुरुष है, जिससे आम जनमानस नफरत करता है. उसने भले ही अपने राज्य का विस्तार सर्वाधिक किया और मुगल सल्तनत को सबसे समृद्ध काल दिखाया, लेकिन उसने जनता पर अत्याचार किए. अपने इस्लामिक दृष्टिकोण की वजह से उसने गैर मुसलमानों पर कई तरह के प्रतिबंध लगाए. इस तरह का नजरिया रखने वाले औरंगजेब का बचपन रोमांचित करता है. प्रसिद्ध इतिहासकार यदुनाथ सरकार अपनी किताब A SHORT HISTORY OF AURANGZIВ में लिखते हैं औरंगजेब बचपन में पढ़ाई-लिखाई में काफी कुशाग्र था. 10 वर्ष की आयु में उसके लिए विधिवत शिक्षा की व्यवस्था की गई थी.

वह जो कुछ भी पढ़ता था उसे जल्दी ही सीख लेता था. उसके पत्र-व्यवहार से यह सिद्ध होता है कि औरंगजेब ने कुरान और मुहम्मद साहब के पारंपरिक उपदेशों (हदीस) में पूरी तरह से महारत हासिल कर ली थी. वह एक विद्वान की तरह अरबी और फारसी बोलता और लिखता था. हिंदुस्तानी उनकी मातृभाषा थी, जो मुगल दरबार द्वारा निजी जीवन में इस्तेमाल की जाने वाली भाषा थी. उसे हिंदी का भी कुछ ज्ञान था और वो हिंदी भाषा में बोल और लोकप्रिय कहावतें सुना सकता था.

बचपन में की थी हाथी से लड़ाई

औरंगजेब जब महज 14 साल का था, तो उसकी जान पर बन आई थी. वह दो हाथियों के बीच घिर गया था, लेकिन अपनी समझदारी और बुद्धिमानी से उसने हाथियों का मुकाबला किया और खुद को बचाया. 28 मई 1633 को शाहजहां ने दो विशाल हाथियों सुधाकर और सूरत-सुंदर को, आगरा में यमुना के समतल तट पर युद्ध के लिए उतारा. बादशाह लड़ाई देखने के लिए पहुंचे. उसके सबसे बड़े तीन बेटे उससे कुछ कदम आगे घुड़सवारी कर रहे थे. औरंगजेब लड़ाई देखने के इरादे से हाथियों के बहुत करीब पहुंच गया. उसे वहां देख एक हाथी सुधाकर ने दूसरे हाथी पर हमला करने की बजाय औरंगजेब पर हमला कर दिया.

औरंगजेब ने समझदारी दिखाई और अपने घोड़े को मुड़ने से रोकर हाथी के सिर पर भाला फेंक दिया. हाथी बेकाबू हो गया और उसने औरंगजेब के घोड़े को गिरा दिया, फिर भी औरंगजेब डरा नहीं और उसने तलवार निकालकर हाथी का सामना किया. तबतक औरंगजेब की मदद के लिए और लोग भी आ गए और औरंगजेब बच गया. शाहजहां उसकी निडरता से बहुत खुश हुआ. 13 दिसंबर, 1634 को उसे मुगल शासन में अपना पहला पद मिला, जिसमें दस हजार घुड़सवारों के सेनापति का पद था. उसे युद्ध कला और वास्तविक अनुभव से सैनिकों पर नियंत्रण सीखने के लिए ट्रेनिंग भी दी गई.

औरंगजेब ने क्यों नहीं कराया किसी इमारत का निर्माण?

मुगलकालीन बादशाहों में औरंगजेब एक ऐसा शासक हुआ, जिसने किसी भी बड़ी इमारत का निर्माण नहीं कराया. ऐसी कोई संरचना औरंगजेब के समय बनकर तैयार नहीं हुई, जिसे वास्तुकला की कोई उत्कृष्ट कृति, कोई शानदार या उत्कृष्ट मस्जिद, हॉल या मकबरा कहा जाए. इस तरह के निर्माण औरंगजेब की पहचान नहीं बन पाए. उसने जो कुछ भी बनवाया वह सामान्य आवश्यकता की चीजें थीं, जैसे मस्जिदें जो उसके विजय के बारे में भी बताती थीं. जब उसने रातोंरात मंदिरों को तोड़कर उसी संरचना पर मस्जिदों का निर्माण कराया. साथ ही उसने दक्षिण की ओर जाने वाली शाही राजमार्गों के किनारे सराय बनवाए,जो आम लोगों की जरूरत थे.

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क्या औरंगजेब आजीवन सादा जीवन जिया?

हां, औरंगजेब को विलासिता पसंद नहीं थी. वह सादगी से जीता था.

औरंगजेब को किस राजा ने परेशान कर दिया था?

औरंगजेब को मराठा छत्रपति संभाजी महाराज ने परेशान कर दिया था.

औरंगजेब ने अपना सबसे बड़ा दुश्मन किसे माना?

औरंगजेब ने मराठा शासकों को अपना सबसे बड़ा दुश्मन माना.

औरंगजेब को आज किस तरह का शासक माना जाता है?

औरंगजेब को आज के समय में धार्मिक तानाशाह माना जाता है.

क्या औरंगजेब ने किसी भव्य इमारत का निर्माण कराया था?

नहीं, औरंगजेब ने किसी भव्य इमारत का निर्माण नहीं कराया, उसकी इसमें कोई रुचि नहीं थी.

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Rajneesh Anand
Rajneesh Anand
इलाहाबाद विश्वविद्यालय से स्नातक. प्रिंट एवं डिजिटल मीडिया में 20 वर्षों से अधिक का अनुभव. राजनीति,सामाजिक मुद्दे, इतिहास, खेल और महिला संबंधी विषयों पर गहन लेखन किया है. तथ्यपरक रिपोर्टिंग और विश्लेषणात्मक लेखन में रुचि. IM4Change, झारखंड सरकार तथा सेव द चिल्ड्रन के फेलो के रूप में कार्य किया है. पत्रकारिता के प्रति जुनून है.

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