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अतक्रिमण पर अधिकारी चुप

अतिक्रमण पर अधिकारी चुपरेलवे की जमीन पर अवैध ऑटो स्टैंड हटाने के सवाल पर आइओडब्लू मौन प्रतिदिन सैकड़ों ऑटो का परिचालन जारीकार्यालय के सामने स्टैंड के नाम पर हो रहे अवैध कारोबार में नजराना का हो रहा खेल एक महीने में प्रति ऑटो से वसूली से लाखों रुपये का हो रहा अवैध कारोबार मामला तूल […]

अतिक्रमण पर अधिकारी चुपरेलवे की जमीन पर अवैध ऑटो स्टैंड हटाने के सवाल पर आइओडब्लू मौन प्रतिदिन सैकड़ों ऑटो का परिचालन जारीकार्यालय के सामने स्टैंड के नाम पर हो रहे अवैध कारोबार में नजराना का हो रहा खेल एक महीने में प्रति ऑटो से वसूली से लाखों रुपये का हो रहा अवैध कारोबार मामला तूल पकड़ने के बाद ड्राइवरों से लिया जा रहा हस्ताक्षर इंट्रोमीडिया में अवैध कारोबार का मामला तूल पकड़ने के बाद अब ड्राइवर से इस बात का हस्ताक्षर लिया जा रहा है कि यहां पर कोई वसूली नहीं होती है, ताकि कोई आंच नहीं आये. आखिर इसकी जरूरत क्यों पड़ी यह बड़ा सवाल है. इन सारे घटनाक्रम के बीच रेलवे अधिकारी चुप हैं और अवैध खेल जारी है. करीब 25 मीटर की दूरी पर स्थित आइओडब्लू कार्यालय के रहते अवैध ऑटो स्टैंड से रोजाना 100 से 150 ऑटो खुलते हैं. इतना ही नहीं अवैध ऑटो स्टैंड के पास ही रेलवे सुरक्षा बल के प्रभारी निरीक्षक का आवास भी है. साथ ही जीआरपी थानाध्यक्ष भी समीप में ही रहते हैं. खगड़िया. रेलवे अधिकारी के लौटते ही अतिक्रमण का दौर फिर से शुरू हो जाता है, तभी तो रेलवे लाइन से लेकर अधिकांश खाली जमीन पर ऑटो स्टैंड के अलावा और भी कई अवैध कारोबार चल रहे हैं. मेमो मिलने व नहीं मिलने के खेल के बीच प्रति महीने लाखों के अवैध वसूली का खेल जारी है. मीडिया में मामला तूल पकड़ने के बाद अब तरह तरह तिकड़म अपनाने की भी खबर है. इस बीच आइओडब्लू की चुप्पी ने कई सवाल खड़े कर दिये हैं. अवैध ऑटो स्टैंड को हटाने के नाम पर उनकी चुप्पी कुछ और इशारा कर रही है. आइओडब्लू की कार्यशैली पर उठ रहे सवाल रेलवे की जमीन पर अवैध ऑटो स्टैंड बेरोकटोक चल रहा है. प्रतिदिन सैकड़ों ऑटो को यहां पर जगह देने के नाम पर लाखों का खेल जारी है. सबसे ताज्जुब की बात है कि यह सब खेल आइओडब्लू कार्यालय के सामने हो रहा है, जबकि पश्चिमी रेलवे ढाला के समीप चल रहे इस अवैध कारोबार को रोकने का जिम्मा भी उन्हीं का है. इस चुप्पी के पीछे जो भी वजह हो, लेकिन चर्चा कुछ और है. एसएस प्रवीण कुमार ने भी साफतौर पर कहा कि पश्चिमी रेलवे ढाला की जमीन पर अतिक्रमण हटाना आइओडब्लू का काम है. उनका काम स्टेशन से लेकर सिंग्नल तक का अतिक्रमण देखना है. इसके लिए बार-बार आरपीएफ को मेमो दिया गया है. इधर, भगत टोला गांव के समीप रेलवे की जमीन पर अतिक्रमण कर अवैध स्टैंड से विभिन्न गांवों के लिए ऑटो खुलते हैं. यहां से बछौता, चातर, घुरनमोड़, इचरुआ, कामाथन, अलौली आदि जगहों के लिये ऑटो का परिचालन जारी है. इधर, आइओडब्लू ने कहा कि वह इस मामले में कुछ नहीं बोलना चाहते हैं.चुप्पी के पीछे का क्या है राज रेलवे अधिकारी के आंखों के सामने अवैध धंधे संचालित होने से रेल प्रशासन सवालों के घेरे में है. यूं तो रेलवे की खाली जमीन पर अतिक्रमण का जाल फैला है. खगड़िया रेलवे स्टेशन से पश्चिम भगत टोला गांव के समीप रेलवे की खाली जमीन पर महीनों से खुलेआम अवैध ऑटो स्टैंड का संचालन के पीछे रेलवे अधिकारी की मिलीभगत से इनकार नहीं किया जा सकता है. कहा जाता है कि लाखों रुपये में बाबू तक का हिस्सा फिक्स है. पर, यह सब परदे के पीछे हो रहा है. सूत्रों की मानें तो स्टैंड के संचालित होने के पीछे नजराने के खेल की बड़ी भूमिका है. नतीजतन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हो पायी है. हटाया जायेगा अवैध ऑटो स्टैंडइधर, आरपीएफ के सीनियर कमांडेंट लालजी भारती ने अपने अधिकारियाें को मेमो मिलते ही अतिक्रमण हटाने का आदेश दिया है. सीनियर कमांडेंट ने साफ शब्दाें में कहा कि अगर आज मेमो मिले तो 24 घंटे के अंदर रेलवे की जमीन पर अतिक्रमण का नामो-निशान मिटा दिया जायेगा. पर, स्थानीय रेल प्रशासन मेमो देना ही नहीं चाहता है. इसके कारण आरपीएफ के हाथ बंधे हैं.

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