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घटती उपयोगिता के चलते विलुप्ति की ओर शॉर्ट हैंड

घटती उपयोगिता के चलते विलुप्ति की ओर शॉर्ट हैंड शॉर्ट हैंड को संकेत लिपि, संक्षिप्त लिपि, शीघ्र लिपि, आशुलिपि आदि नाम से जाना जाता है. सुकरात के भाषण को लिखने के लिए इस कला का इस्तेमालशशिकांतखगडि़या. यूनान और रोम के नागरिकों ने जिस लेखन कला को परवान चढ़ाया और भारत के कार्यालयों में जिसके इस्तेमाल […]

घटती उपयोगिता के चलते विलुप्ति की ओर शॉर्ट हैंड शॉर्ट हैंड को संकेत लिपि, संक्षिप्त लिपि, शीघ्र लिपि, आशुलिपि आदि नाम से जाना जाता है. सुकरात के भाषण को लिखने के लिए इस कला का इस्तेमालशशिकांतखगडि़या. यूनान और रोम के नागरिकों ने जिस लेखन कला को परवान चढ़ाया और भारत के कार्यालयों में जिसके इस्तेमाल से कर्मचारियों के लिए काम करना आसान बना रहा, वह खात्मे की कगार पर है.शॉर्ट हैंड (आशुलिपि) की यह कला विलुप्ति की ओर है.जानकार बताते है कि घटती उपयोगिता के चलते कम ही लोग शॉर्ट हैंड सीख रहे हैं, क्योंकि इस क्षेत्र में अब रोजगार के बेहतर अवसर मौजूद नहीं. विडम्बना यह है कि कॉपोर्रेट क्षेत्र में शॉर्ट हैंड जानने वालों की मांग होने के बावजूद लोगों में इस कला के प्रति रुचि नहीं दिखाई पड़ती. जानकारों की माने तो ग्रीक और रोमन काल में प्रख्यात बुद्धिजीवी सुकरात के भाषण को लिखने के लिए इस कला का इस्तेमाल होता था.जबकि आज युवा वर्ग प्रोफेसनल कोर्स को ज्यादा तब्जजों दे रहे हैं. जिस कारण मोटी कमाई की चाहत के चलते युवा इस क्षेत्र की ओर आकर्षित नहीं हो रहे हैं. आज युवा वर्ग कम मेहनत में अच्छी आमदनी वाली नौकरी की तलाश में हैं. क्या है आशुलिपि आशुलिपि लिखने की एक विधि है. जिसमें सामान्य लेखन की अपेक्षा अधिक तीव्र गति से लिखा जा सकता है. इसमें छोटे प्रतीकों का उपयोग किया जाता है. आशुलिपि में लिखने की क्रिया आशुलेखन कहलाती है. स्टेनोग्राफी से आशय है तेज और संक्षिप्त लेखन. इसे हिंदी में शीघ्रलेखन या त्वरालेखन भी कहते हैं.क्या है विशेषता साधारण तौर पर जिस गति से कुशल से कुशल व्यक्ति हाथ से लिखता है. उससे चैगुनी, पांचगुनी गति से वह संभाषण करता है. ऐसी स्थिति में वक्ता के भाषण अथवा संभाषण को लिपिबद्ध करने में विशेष रूप से कठिनाई उपस्थित हो जाती है. इसी कठिनाई को हल करने के लिये त्वरालेखन या आशुलिपि के आविष्कार की आवश्यकता पड़ी.हिंदी व अंग्रेजी में भी शॉर्ट हैंड स्टेनोग्राफी में युवाओ के लिये अच्छा कॅरियर है. यह 10 वीं कक्षा के बाद किया जा सकता. इसे लिखने की कई प्रणाली प्रचलन में है अंग्रेजी में पीटमैन मुख्यत: प्रचलित है तथा हिन्दी मे ऋषि प्रणाली, विशिष्ट प्रणाली, सिह प्रणाली आदि है. वैसे हर लेखक की अपनी एक विशेष प्रणाली बन जाती है.कम नहीं है रोजगार की संभावनाएं आशुलिपि का प्रयोग उस काल में बहुत होता था जब रिकाडिंर्ग मशीनें या डिक्टेशन मशीने नहीं बनीं थीं. व्यक्तिगत स्क्रेटरी तथा पत्रकारों आदि के लिए आशुलिपि का ज्ञान और प्रशिक्षण अनिवार्य माना जाता था.भारत में स्टेनोग्राफर के पद अदालतों, शासकीय कार्यालयों, मंत्रालयों, रेलवे विभागों में होते हैं. स्टेनोग्राफर का कोर्स करने के लिए कड़े परिश्रम की आवश्कता होती है. क्योंकि इस भाषा में शब्द गति होना आवश्यक है. एक कुशल स्टेनोग्राफर बनने के लिए उस विषय की भाषा का व्याकरण का ज्ञान होना अत्यंत आवश्यक है. स्टेनोग्राफर बनने के लिए 100 शब्द प्रति मिनट की गति उत्तीर्ण करना आवश्यक होता है. देश में औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों (आईटीआई) में भी स्टेनोग्राफर का एक वर्षीय कोर्स करवाया जाता है. इन संस्थानों में 100 शब्द प्रति मिनट की गति से परीक्षाएं भी ली जाती हैं. इस परीक्षा को उत्तीर्ण करने के बाद आप स्टेनोग्राफर बन सकते हैं. सरकारी विभागों द्वारा विज्ञापनों में स्टेनोग्राफर की भर्तियां निकाली जाती हैं. अच्छे ट्यूटर की कमीऐसा नहीं कि आज युवाओं की दिलचस्पी इस लिपि के प्रति बिल्कुल ही नही. शॉर्ट हैंड सिखने की इच्छुक छात्र भी आज इस लिपि से अंजान बने हुए हैं. इसका प्रमुख कारण अच्छे ट्यूटर की कमी है. जिले में भी ऐसे ट्यूटर कम ही बचे हैं. जो कि शॉर्ट हैंड के जानकार हो.

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