ऐसे में जिले की आधी आबादी नदी पार ही रहने को मजबूर है. यानी किसी न किसी कारण से लोगों का नाव पर चढ़ना ही पड़ता है.
लेकिन लोग थोड़ी जल्दी में अपनी जान को आफत में डाल देते हैं. बताया जाता है कि नौका परिचालन में जिस सुरक्षा मानक का पालन होना चाहिए. वह यहां नहीं हो पा रहा है. जिस कारण ऐसे हादसे लगातार हो रहे हैं. इसके रोकथाम के लिए ठोस कदम नहीं उठाये जा रहे हैं. एक कारगर कदम ऐसी घटना पर विराम लगाने के लिए काफी है. लोगों का कहना है कि हादसा होने के बाद अधिकारी कहीं भी पहुंच जाते हैं. अगर व्यवस्था को दुरूस्त करने के लिए यही दौरा अधिकारी करते रहे तो शायद ऐसी घटना ही न हो.