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जिला पदाधिकारी ने मखाना की खेती व प्रोसेसिंग स्थल का किया निरीक्षण

जिला पदाधिकारी ने मखाना की खेती व प्रोसेसिंग स्थल का किया निरीक्षण

– डीएम ने किसानों से बातचीत कर मखाना को लावा बनाने की प्रक्रिया के बारे में जानकारी ली हसनगंज प्रखंड स्थित कालसर पंचायत के कबैया गांव में बुधवार को जिला पदाधिकारी ने मखाना की खेती और प्रोसेसिंग स्थल का निरीक्षण किया. साथ ही किसानों से बातचीत करते हुए मखाना से लावा बनाने की प्रक्रिया के बारे में विस्तार पूर्व जानकारी ली. इस दौरान किसानों ने बताया कि बिहार वैश्विक मखाना उत्पादन का 90% हिस्सा देता है. बिचौलियों के कारण किसानों को केवल 1-2% लाभ मिल पाता है. किसानों ने पानी की कमी, कम बाजार मूल्य प्रति किलो गुड़िया 24-25 हजार की समस्याओं से अवगत कराया. डीएम ने मखाना बोर्ड के तहत न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) सब्सिडी व प्रशिक्षण की व्यवस्था का आश्वासन दिया. किसानों ने खेती की पूरी प्रक्रिया जिला पदाधिकारी से साझा किया. बताया दिसंबर-जनवरी में बीज बोना, फरवरी-मार्च में रोपाई और जुलाई-अक्तूबर में कटाई शामिल है. डीएम ने नई तकनीकों, जैसे उथले पानी 1-2 फीट में खेती को बढ़ावा देने पर जोर दिया. कहा मखाना किसानों की आय बढ़ाने और बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में खेती को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार प्रतिबद्ध है. किसान शेखर मंडल, बिनोद मंडल, सुजीत मंडल, रामानंद मंडल ने कहा कि जिला पदाधिकारी के दौरे और बोर्ड की घोषणा से उम्मीद जगी है कि उचित दाम मिलने से मेहनत रंग लायेगी. मखाने की खेती के लिए चिकनी दोमट मिट्टी सबसे अच्छी मानी जाती है. इसकी खेती जलाशयों तालाबों और निचली भूमियों जहां एक फिट तक गहरा पानी जमा हो वहां अच्छी तरह से की जा सकती है.

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