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पुनर्वास को महानंदा बांध पर ली शरण, हटाने का निर्देश

पुनर्वास को महानंदा बांध पर ली शरण, हटाने का निर्देश

– कटाव पीड़ित परिवारों को बसाने की दिशा में अंचल प्रशासन ने नहीं किया है अब तक केाई पहल 40 वर्षों से विस्थापित परिवार बांध पर लिये हुए है शरण अमदाबाद पुनर्वास की आस में आंखें पत्थरा गयी. कई बच्चे जवान हो गये तो कई महिला व पुरुष जवान से बूढ़े हो गये. चार दशक बीत जाने के बाद भी पुनर्वास का लाभ विस्थापित परिवारों को नहीं मिल पाया है. यह स्थिति नवरसिया छर्रामारी गांव के विस्थापित परिवारों की है. जो चार दशक से बांध के किनारे जीवन यापन करते आ रहे हैं. अब उन्हें एक बार फिर से अपने आशियाना उजड़ने का भय सता रहा है. अमदाबाद प्रखंड के उत्तरी करीमुल्लापुर पंचायत अंतर्गत नवरसिया छर्रामरी गांव के लोग का घर काटने के बाद बांध किनारे रह रहे थे. अब महानंदा विभाग द्वारा बांध से घर हटाने का माईकिंग किया जा रहा है. विस्थापित परिवारों ने सोमवार को पुनर्वास की मांग को लेकर अंचल कार्यालय पहुंचे थे. अधिकांश महिलाएं शामिल थी.चार दर्जन से अधिक विस्थापित परिवार एवं विस्थापित परिवारों के सदस्यों ने सोमवार को अंचल कार्यालय पहुंचकर पुनर्वास के लिए अंचल कार्यालय में आवेदन दिया है. इस दौरान ब्यूटी देवी, पूनम कुमारी, रीता देवी, आशा देवी, मधु कुमारी, श्रीमती कुमारी, लुकिया देवी, अलोती देवी, ललिता कुमारी, वकील मंडल, गौरव मंडल इत्यादि लोगों ने कहा कि नौरसिया छर्रामारी गांव वर्ष 1984 में काटकर गंगा नदी में समा गया था. उसके बाद शंकर बांध पर शरण लेकर रह रहे हैं. अब बांध निर्माण कार्य को लेकर माईकिंग कर बांध किनारे से हटने का निर्देश दिया जा रहा है. उक्त लोगों ने कहा कि 40 वर्षों की अधिक समय से खानाबदोश की तरह बांध के किनारे किसी तरह जीवन यापन कर रहे थे. घर द्वार सहित अधिकांश जमीन कटकर नदी में विलीन हो गई है. 40 वर्ष से अधिक समय बीत जाने के बाद भी उन्हें पुनर्वास नहीं मिली है. हम जाएं तो कहां जाएं. पुनर्वास की आस में अब वृद्ध हो गये. सीता राम मंडल, संतोष मंडल ने कहा पुनर्वास की आस में बांध किनारे रहते थे. अब विभाग ने माईकिंग कर घर हटाने के लिए कह रहे हैं. घर नहीं हटाने की स्थिति में घर तोड़ने की बात कही जा रही है. इसी पीड़ा को लेकर वे लोग अंचल कार्यालय पहुंचे हैं. सीओ को आवेदन देकर पुनर्वास की मांग करने आये हैं. सालों से बांध किनारे इसी प्रतीक्षा में थे कि कभी तो उन्हें अपना घर बनाने के लिए जमीन उपलब्ध होगी. लेकिन उत्तरी करीमुल्लापुर के छर्रामारी गांव के समीप शंकर बांध के किनारे रह रहे दर्जनों विस्थापित परिवारों के इस उम्मीद पर पानी फिता दिख रहा है. इस ठंड के मौसम में घर उजड़ने की चिंता सता रही है.

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