प्रभात खबर खास- बाल विवाह मुक्त भारत अभियान की पहली वर्षगांठ आज – पांच-छह साल में बाल विवाह में करीब 10 फीसदी का इजाफा, एनएफएचएस पांच की ताजा रिपोर्ट में खुलासा कटिहार बाल विवाह मुक्त भारत अभियान की पहली वर्षगांठ पर गुरुवार को कई तरह की गतिविधियां हाेंगी. केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के सचिव अनिल मलिक ने मुख्य सचिव को पत्र लिखकर आवश्यक दिशानिर्देश दिया है. हालांकि जिला प्रशासन की ओर से गुरुवार को होने वाली गतिविधियों के बारे में कोई जानकारी साझा नहीं किया है. यद्यपि माना जा रहा है कि विद्यालयों में गतिविधियां आयोजित की जायेगी. बिहार में बाल विवाह एवं लड़कियों से जुड़ी समस्याओं की कमी नहीं है. कई मोर्चे पर लड़कियां को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है. यद्यपि हाल के वर्षों में काफी कुछ बदलाव हुआ है. इस बीच बाल विवाह के खिलाफ राज्य सरकार निर्णायक अभियान को शुरू हुए भी करीब सात वर्ष से अधिक हो गया है. सरकार के एजेंडे में शामिल होने के बावजूद बाल विवाह रुक नहीं रहा है. पिछले पांच-छह साल में करीब 10 फीसदी बाल विवाह के मामले में वृद्धि हुई है. भारत सरकार की एक रिपोर्ट के मुताबिक कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आये है. केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की ओर से नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे पांच की रिपोर्ट के मुताबिक राज्य स्तर पर बाल विवाह के मामले में करीब दो प्रतिशत की कमी जरूर आयी है. पर कटिहार जिले में बाल विवाह के मामले में 10 प्रतिशत का इजाफा हो गया है. सरकार की इस रिपोर्ट पर भरोसा करें तो कटिहार जिले में हर दूसरी लड़की की शादी 18 वर्ष से कम में कर दी जाती है. गौरतलब है कि कटिहार जिला सहित बिहार में अन्य दूसरे राज्यों की अपेक्षा बाल विवाह के अधिक मामले होते है. रिपोर्ट के मुताबिक कटिहार जिले में करीब 40 प्रतिशत लड़कियों की शादी निर्धारित उम्र यानी 18 साल से कम में हो जाती है. पर नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे पांच की रिपोर्ट में बाल विवाह की स्थिति साफ तौर पर दर्शाया गया है. इस रिपोर्ट के अनुसार 49.4 प्रतिशत लड़कियों की शादी निर्धारित उम्र से कम में कर दी जाती है. कम उम्र में 49.4 प्रतिशत लड़की की होती है शादी कटिहार सहित बिहार के अन्य जिलों में बाल विवाह एक बहुत बड़ी चुनौती के रूप में सामने आयी है. राज्य सरकार बाल विवाह के साथ-साथ दहेज प्रथा को भी समाप्त करने की दिशा में कार्य योजना कार्य शुरू की है. बाल विवाह की स्थिति काफी चिंताजनक है. यद्यपि बाल विवाह को लेकर हर वर्ष कई तरह के अध्ययन रिपोर्ट सामने आते रहे है. भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की ओर से नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे- पांच की रिपोर्ट जारी हुई है. इस रिपोर्ट के मुताबिक पिछले पांच-छह साल में बाल विवाह के मामले में करीब 10 फीसदी की वृद्धि ही गयी है. इस रिपोर्ट पर भरोसा करें तो कटिहार जिले में 49.4 प्रतिशत लड़की की शादी 18 साल से कम उम्र में कर दी जाती है. 16.1 प्रतिशत लड़कियां कम उम्र में बनती है मां नेशनल फेमिली हेल्थ सर्वे पांच की रिपोर्ट के अनुसार 16.1 प्रतिशत लड़कियां 15 से 19 वर्ष के उम्र में मां बन जाती है. इस रिपोर्ट के मुताबिक 11 से 19 साल तक की अधिकांश लड़कियां व किशोरियां एनीमिया की शिकार है. ऐसे लड़कियों व किशोरियों में खून की कमी पायी जाती है. जिससे उनका बेहतर स्वास्थ्य नहीं हो पता है. जबकि एनएफएचएस-चार में बाल विवाह कटिहार में 39.2 प्रतिशत लड़कियों की शादी चार-पांच साल पूर्व निर्धारित उम्र 18 से कम में कर दी जाती थी. कई गैर सरकारी संगठन के द्वारा भी समय- समय पर अध्ययन रिपोर्ट जारी की जाती रही है. साथ ही इसके कारण भी बताते रहे है. यह अलग बात है कि आज हर क्षेत्र में बेटियां अपने प्रतिभा का जौहर दिखा रही है. ड्राप आउट की वजह से बाल विवाह अधिक जानकार बताते है कि बाल विवाह का एक बड़ा कारण लड़कियों का ड्रॉप आउट होना भी है. खासकर आठवीं कक्षा पास होने के बाद माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक शिक्षा के लिए बेहतर व्यवस्था नहीं होने की वजह से लड़कियां ड्रॉप आउट हो जाती है. ऐसे में उसके अभिभावक ड्रॉप आउट होने के बाद शादी की तैयारी में जुट जाते है. राइट टू एजुकेशन फोरम के डॉ अनिल कुमार राय, मित्र रंजन व राजीव रंजन की मानें तो बालिकाओं के लिए बेहतर सार्वजनिक शिक्षा व्यवस्था नहीं होने की वजह से बाल विवाह के मामलों में वृद्धि हुई है. बेहतर शैक्षणिक वातावरण एवं गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की व्यवस्था करके ही बाल विवाह को रोका जा सकता है. उन्होंने कई आंकड़ो का उल्लेख करते हुए कहा कि सरकार को बाल विवाह की रोकथाम को लेकर अन्य गतिविधियों के अलावा शैक्षणिक व्यवस्था में सुधार करने की जरूरत है.
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