मरीजों के उपचार के नाम पर कई स्तरों पर दोहन किया जाता है. खासकर विभिन्न तरह के जांच के नाम पर होता है आर्थिक दोहन.
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नियमों को ताक पर रख चलाये जा रहे नर्सिंग होम
मरीजों के उपचार के नाम पर कई स्तरों पर दोहन किया जाता है. खासकर विभिन्न तरह के जांच के नाम पर होता है आर्थिक दोहन. कटिहार : जिले में नियमों को ताक पर रख कर इन दिनों धड़ल्ले से निजी नर्सिंग होम, क्लिनिक एवं पैथोलॉजी का संचालन किया जा रहा है. शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्र […]
कटिहार : जिले में नियमों को ताक पर रख कर इन दिनों धड़ल्ले से निजी नर्सिंग होम, क्लिनिक एवं पैथोलॉजी का संचालन किया जा रहा है. शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्र में मुनाफा कमाने के उद्देश्य से इस तरह के नर्सिंग होम एवं क्लिनिक खोले जा रहे हैं. शहर के डीएस कॉलेज के समीप स्थित एसआरएम हॉस्पीटल में जिस तरह बकाया वसूली के नाम पर इलाज के दौरान मृत महिला के शव को घंटो रोका गया. यह एक बड़ा सवाल के साथ-साथ स्वास्थ्य प्रशासन के लिए भी प्रश्नचिह्न है.
आखिर निजी क्लिनिक या नर्सिंग होम खोलने के समय बड़े-बड़े दोव किये जाते है. जबकि वास्तविक रूप से यह दावे कही नहीं दिखती. एसआरएम हॉस्पीटल की घटना इसका ताजा मिसाल है. हालांकि क्लिनिकल स्टेबलिशमेंट एक्ट के तहत निजी नर्सिंग होम, पैथोलॉजी, क्लिनिक खोलने के लिये कई प्रावधान किये गये हैं. लेकिन इसका अनुपालन नहीं हो रहा है. यही वजह है कि मरीजों के आर्थिक दोहन के लिए ऐसे नर्सिंग होम व क्लिनिक, पैथोलॉजी धड़ल्ले से खुल रहे हैं.
धड़ल्ले से खुल रहे हैं नर्सिंग होम : जिले के शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्र में धड़ल्ले से नर्सिंग होम, क्लिनिक व पैथोलॉजी खोले जा रहे हैं. स्थानीय स्वास्थ्य विभाग की माने तो क्लिनिकल स्टेबलिशमेंट एक्ट के तहत 393 स्वास्थ्य संस्थान को औपबंधिक निबंधन दिया गया है. हालांकि इससे अधिक निजी नर्सिंग होम, क्लिनिक व पैथोलॉजी का संचालन हो रहा है. ऐसे स्वास्थ्य संस्थान की स्थापना में एक्ट के प्रावधान को भी ताक पर रखा जाता है.
आर्थिक लाभ उठाना है मूल उद्देश्य : दरअसल निजी नर्सिंग होम, क्लिनिक व पैथोलॉजी खोलने के पीछे मुख्य उद्देश्य आर्थिक लाभ कमाना ही होता है. जिले में अधिकांश ऐसे स्वास्थ्य संस्थान हैं जो मरीजों का आर्थिक दोहन करते हैं. जानकारों की माने तो मरीजों के उपचार के नाम पर कई स्तरों पर दोहन किया जाता है. खासकर विभिन्न तरह के जांच के नाम पर अत्यधिक आर्थिक दोहन किया जाता है.
आधारभूत संरचना का घोर अभाव
क्लिनिकल स्टेबलिशमेंट एक्ट में कई तरह के प्रावधान दिये गये हैं. अधिकांश स्वास्थ्य संस्थान मानकों पर खड़ा नहीं उतरता. एक्ट के तहत जिन संस्थान को औपबंधिक निबंधन दिया गया है. उसमें से भी अधिकांश प्रावधान को पूरा नहीं करता है. रसूख व प्रभाव के बल पर निबंधन प्राप्त कर लेता है. ऐसे संस्थानों के पास आधारभूत संरचना के अलावा कई बुनियादी चीजों का भी अभाव होता है.
कहते हैं सीएस
सिविल सर्जन डॉ श्यामचंद्र झा ने बताया कि कटिहार जिले में क्लिनिकल स्टेबलिशमेंट एक्ट के तहत 393 संस्थान निबंधित है. मानक के विरुद्ध खोले गये संस्थान की जांच की जायेगी. गलत तरीके से संचालित स्वास्थ्य संस्थान के विरुद्ध कार्रवाई की जायेगी.
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