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एक वर्ष बाद भी क्षतिग्रस्त पुल का निर्माण नहीं, लोगों में रोष

पौआखाली. पिछले साल आयी प्रलयंकारी बाढ़ से तबाह ग्रामीण सड़कें,पुल पुलिया आदि का आज भी पुनर्निर्माण नहीं होना जिला प्रशासन के विकास के उन तमाम दावों की पोल खोलकर रख दी है. जिन दावों को लेकर प्रशासन हर वक्त अपनी पीठ थप थपाने का कार्य करती है. ठाकुरगंज प्रखंड में यूं तो दर्जनों भर छोटे-छोटे […]

पौआखाली. पिछले साल आयी प्रलयंकारी बाढ़ से तबाह ग्रामीण सड़कें,पुल पुलिया आदि का आज भी पुनर्निर्माण नहीं होना जिला प्रशासन के विकास के उन तमाम दावों की पोल खोलकर रख दी है. जिन दावों को लेकर प्रशासन हर वक्त अपनी पीठ थप थपाने का कार्य करती है.
ठाकुरगंज प्रखंड में यूं तो दर्जनों भर छोटे-छोटे पुल पुलिया इसमें शामिल है. किन्तु,उनमें से कुछ ऐसे भी हैं जिनका पुनर्निर्माण नहीं होने से संबंधित इलाके के ग्रामीणों में रोष व्याप्त है.ठाकुरगंज प्रखंड में खासकर तातपौआ पंचायत का कादोगांव पुल, पौआखाली पंचायत का शीमलबाड़ी पुल और भौलमारा पंचायत का भनकरद्वारी आरसीसी सड़क सह कलभर्ट शामिल है. पिछले एक साल से ये पुल पुलिया सड़क की दुर्दशा ग्रामीणों के लिए चिंता का विषय बना हुआ है.
जिला प्रशासन और जनप्रतिनिधि हैं कि,वायदे पर वायदे किये जा रहे हैं. लेकिन,धरातल पर काम एक साल गुजर जाने के बाद भी नदारद दिख रही है. ऐसे में मॉनसून आने को है फिर बरसात में लबालब पानी इन इलाकों को टापू में तब्दील कर देगा. लोगों का जिला मुख्यालय व अन्य स्थानों से सीधा संपर्क दो तीन माह तक भंग हो जायेगा. ग्रामीणों के लिए कहीं नाव की सवारी तो कहीं चचरी पुल ही एकमात्र साधन बनेगा..
वहीं तातपौआ पंचायत का एकमात्र राजस्व हाट कादोगांव में बसने वाले लोग,व्यवसायी और सरकारी संस्थाओं पर एक साथ दो दो पुल के ध्वस्त होने से एक बार पुनः काफी बुरा असर पड़ने वाला है.इसी तरह भौलमारा पंचायत के भनकरद्वारी मदरसा और प्राथमिक विद्यालय को आपस में जोड़ती पीसीसी सड़क और कलभर्ट के क्षतिग्रस्त होने से यहां के ग्रामीणों और छात्र-छात्राओं की परेशानियां बढ़ने वाली है. इलाके के लोग अपने अपने क्षेत्र की इन बड़ी समस्याओं से मुक्ति को लेकर पिछले एक साल से लगातार नेता और प्रशासन का दरबाजा खटखटा रहे हैं. लेकिन,जिला प्रशासन इन समस्याओं से क्षेत्र के लोगों को मुक्ति दिलाने में फेल साबित हुआ है.
जिला प्रशासन का सरकारी तंत्र विकास के दावे तो पेश करते हैं मगर, वास्तविकता धरातल पर कुछ और ही बयां कर रही है.लोगों की माने तो बाढ़ के बाद उत्पन्न हालातों से क्षेत्र के लोगों को उबारने के लिए जिला प्रशासन के पास कोई कारगर रोड मैप तैयार नहीं हो सका जिसका नतीजा है कि,ठाकुरगंज प्रखंड के आवाम की मुसीबतें दिन प्रतिदिन बढ़ते चली जा रही है.

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