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बुखार, खांसी हो तभी आएं गंभीर मरीज हो रहे रेफर

हद है . सदर अस्पताल के आइसीयू में फिर लटका ताला हाल ही में डीएम के प्रयास से चालू हुआ था आइसीयू विशेषज्ञ चिकित्सक भी नहीं कटिहार : सदर अस्पताल के आइसीयू से मरीजों को किसी तरह का कोई लाभ नहीं मिल रहा है. आइसीयू में फिर से ताला लटक गया है. हाल ही में […]

हद है . सदर अस्पताल के आइसीयू में फिर लटका ताला

हाल ही में डीएम के प्रयास से चालू हुआ था आइसीयू
विशेषज्ञ चिकित्सक भी नहीं
कटिहार : सदर अस्पताल के आइसीयू से मरीजों को किसी तरह का कोई लाभ नहीं मिल रहा है. आइसीयू में फिर से ताला लटक गया है. हाल ही में डीएम मिथिलेश मिश्र के अथक प्रयास से आइसीयू को चालू कराया गया था. आइसीयू के चालू हुए एक माह भी नहीं हुआ कि फिर उसमें ताला लटक गया. ऐसे में गंभीर मरीजों को चिकित्सक तुरंत रेफर कर देते हैं. ऐसे में खासकर गरीब व मध्यम वर्गीय परिवार के लोगों को बाहर जाकर महंगा इलाज कराने को विवश होना पड़ रहा है. सदर अस्पताल की स्थिति एेसी हो गयी है कि यहां अब सामान्य मरीजों का ही इलाज हो रहा है.
सदर अस्पताल में करोड़ों के उपकरण लगाये गये हैं. दर्जन भर से अधिक चिकित्सकों पर प्रत्येक माह सरकार करोड़ों रुपये खर्च कर रही है, लेकिन उसका लाभ मरीजों को नहीं मिल रहा है. यही नहीं प्रसव कराने आने वाली महिलाओं को भी निजी क्लिनिक में भेज दिया जाता है. शनिवार को सदर अस्पताल का जायजा लिया गया, तो आइसीयू में ताला बंद था. बताया गया कि चिकित्सक व संसाधन के अभाव में आइसीयू को बंद कर दिया गया है. वहीं बच्चा वार्ड में एक भी शिशु भरती नहीं था. आक्सीजन की व्यवस्था भी ठीक नहीं थी. देखने से लगा कि ऑक्सीजन लगाने का काम सदर अस्पताल में कभी होता ही नहीं है. पुराने सीलिंडर बेकार अवस्था में पड़े थे. ऐसे में यदि कोई गंभीर मरीज को ऑक्सीजन की जरूरत पड़ जाये, तो रेफर करने के सिवा कोई चारा नहीं है. करीब एक वर्ष पूर्व शहर के एक व्यवसायी को शिव मंदिर चौक पर गोली मारी गयी थी. उस समय सदर अस्पताल में मरीज को ऑक्सीजन नहीं उपलब्ध कराया जा सका था. मरीज के परिजन व स्थानीय लोगों ने जमकर हंगामा किया था. आरोप था कि यदि ऑक्सीजन मरीज को समय पर मिलता, तो उसकी जान बचायी जा सकती थी. इसके बावजूद स्वास्थ्य व्यवस्था में किसी तरह का कोई सुधार सदर अस्पताल में नहीं हो पाया है. स्वास्थ्य विभाग की तमाम योजनाओं के बावजूद सदर अस्पताल के मरीजों को आइसीयू का लाभ नहीं मिल रहा है. संसाधन की कमी का बहाना बनाकर मरीजों को रेफर कर दिया जाता है, जबकि गहन चिकित्सा केंद्र में दो महिला चिकित्सक तथा आठ एएनएम पदस्थापित हैं.
2011 में आइसीयू का हुआ था उद्घाटन
सदर अस्पताल परिसर में आइसीयू का उद्घाटन 15 जनवरी, 2011 को तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने बड़े ही ताम झाम के साथ किया था. पर, कुछ दिन बाद ही आइसीयू को बंद कर दिया गया. फिर 6 वर्ष बाद 5 जून, 2017 को डीएम मिथिलेश कुमार मिश्र ने दोबारा उद्घाटन कर आइसीयू चालू कराया. आइसीयू कुछ दिन ही ठीक-ठाक चला. उसके बाद फिर आइसीयू को बंद कर दिया गया है. यहां चिकित्सक के चार-चार पद हैं, लेकिन सभी पद रिक्त हैं. सभी पद रिक्त रहने के कारण आइसीयू के संचालन में ग्रहण लग गया है. हालांकि आइसीयू को तत्काल चालू करने के लिए डॉ पूनम मिश्रा एवं डॉ सुलोचना कुमारी का पदस्थापन किया गया है. दोनों महिला चिकित्सक आइसीयू विशेषज्ञ नहीं है. अनुभव नहीं रहने के कारण संचालन में काफी कठिनाई हो रही है. गहन केंद्र में आठ एएनएम की पदस्थापना की गयी है, पर सब कागज पर ही हो रहा है.
सरकार द्वारा भले ही सदर अस्पताल परिसर में आइसीयू खोल दिया गया है, लेकिन यहां विशेषज्ञ चिकित्सक एवं कर्मचारी नहीं रहने के कारण नियमित रूप से इसका संचालन नहीं किया जा रहा है. आइसीयू संचालन के लिए जितनी सुविधाएं होनी चाहिए, वह उपलब्ध नहीं हैं, जबकि उच्चाधिकारी को इस विषय पर कई बार पत्राचार किया गया है. सुविधा एवं विशेषज्ञ उपलब्ध होने के साथ ही नियमित रुप से चिकित्सा गहन केंद्र का संचालन किया जायेगा..
डॉ बीएन मिश्रा, सीएस

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