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भभुआ से तीन बार विधायक रहे डाॅ प्रमोद सिंह की हार्ट अटैक से मौत

कैमूर न्यूज : सदर अस्पताल से बेहतर इलाज के लिए वाराणसी जाने के क्रम में मंगलवार की रात दोम तोड़ा

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कैमूर न्यूज : सदर अस्पताल से बेहतर इलाज के लिए वाराणसी जाने के क्रम में मंगलवार की रात दोम तोड़ा

भभुआ.

भभुआ विधानसभा क्षेत्र से तीन बार विधायक चुने गये लोकप्रिय नेता डाॅ प्रमोद कुमार सिंह ग्राम अखलासपुर ने मंगलवार की रात अपने जीवन को अलविदा कह दिया. बेहतर इलाज के लिए वाराणसी जाने के क्रम में उनकी मौत रास्ते में ही हो गयी. इनके फेफड़े के संक्रमण का इलाज दिल्ली एम्स में पिछले कुछ वर्षों से चल रहा था. बताया जाता है कि डाॅ प्रमाेद सिंह को सांस लेने में तकलीफ की शिकायत पर सदर अस्पताल लाया गया, जहां उन्हें प्राथमिक उपचार के बाद बेहतर इलाज के लिए चिकित्सकों ने बनारस रेफर कर दिया. बनारस ले जाने के दौरान रास्ते में उनकी चंदौली के समीप मौत हो गयी. बता दें कि डाॅ प्रमोद कुमार सिंह जिले के लोकप्रिय नेताओं में शुमार थे. राजनैतिक जीवन में इनके ऊपर किसी भी तरह के आरोप तक नहीं लगाये गये. यहां तक कि इनके विपक्ष के नेता भी इनका बहुत सम्मान करते थे. जनता में भी इनकी व्यक्तिगत पहचान थी. लोगों के सुख-दुख में हमेशा इन्हें हाजिर देखा जाता था.

इधर, मंगलवार की रात उन्हें सांस लेने में अधिक तकलीफ होने लगी. इसके बाद निजी चिकित्सक डाॅ विनोद शंकर सिंह से परिजनों ने दिखाया. डाॅक्टर ने उन्हें ऑक्सीजन लगा कर बनारस इलाज कराने के लिए जाने की सलाह दी. उन्हें परिजन सदर अस्पताल भभुआ लाया गया. वहां से ऑक्सीजन मास्क लगाकर बेहतर इलाज के लिए परिजन एंबुलेंस से लेकर वाराणसी के लिए रवाना हुए. लेकिन, रास्ते में ही मंगलवार को चंदौली के पास ही उन्होंने लगभग पौने 10 बजे रात्रि में दम तोड़ दिया. उनका पार्थिव शरीर निवास स्थान अखलासपुर गांव में लाया गया.

इधर, निधन की खबर सुनते ही जिले में शोक लहर फैल गयी. सुबह होते-होते निवास स्थान पर मंत्री, विधायक समेत विभिन्न पार्टियों के नेता तथा लोग उमड़ पड़े. रात में 12 बजे ही उनके चाहने वालों की भीड़ अखलासपुर में इकट्ठा होने लगी.

चाहे किसी भी दल में रहे, पर सबके दिलों में पर किया राज

पूर्व विधायक डॉ प्रमोद सिंह मिलनसार एवं व्यक्तित्व के धनी व्यक्ति थे. वे चाहे किसी भी दल में रहे, लेकिन सबों के दिलों पर राज करते रहे. उनसे जो भी एक बार जुड़ जाता है, वह अगर दल भी बदल देते थे, तो उसे व्यक्ति के दिल में उनके प्रति वही प्रेम हमेशा रहता था. सभी दल के लोगों से उनका काफी मधुर संबंध था और सभी दल के लोगों से काफी गर्मजोशी के साथ मिलते थे. दल बदलने से उनके व्यक्तित्व और व्यवहार पर कोई असर नहीं पड़ता था. सभी दल के लोग उन्हें बराबर सम्मान दिया करते थे. उनके निधन पर चाहे वह किसी भी दल का व्यक्ति हो, वह काफी दुखित हुआ और मौत की खबर मिलते ही उनके दरवाजे पर पहुंच गया. उनकी मौत की खबर जिसे जहां भी मिली, वह दुखी हो गया. पूरे जिले में रात में ही या खबर आग की तरफ फैल गयी और चारों तरफ हर दल में शोक की लहर थी. उनकी यात्रा में बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए. उनके व्यक्तित्व को सराहते कोई थक नहीं रहा था. वे सभी दलों के लोगों के दिलों पर हमेशा राज करते रहे.

नगर में निकली शवयात्रा, पार्टी कार्यालय पर झुकाया गया झंडा

इधर, पूर्व विधायक के निधन के बाद लगभग 10 बजे के आसपास इनकी शवयात्रा आवास से निकली. अखलासपुर बस स्टैंड तक कंधा यात्रा के साथ शव को फिर वाहन में रख कर जिला जनता दल यू के कार्यालय पर लाया गया. वहां पार्टी का ध्वज झुकाकर पार्थिव शरीर को सम्मान देने के साथ पार्टी का झंडा भी पार्थिव शरीर को दिया गया. साथ ही पुष्प और माला समर्पित कर राजनैतिक दलों समेत अन्य लोगों ने भी अपने प्रिय नेता को अंतिम विदाई दी. इसके बाद शव को वाहन पर रख कर नगर यात्रा निकाली गयी. शव की नगर यात्रा जिले के एकता चौक, पटेल चौक, कचहरी पथ, कैमूर स्तंभ पथ आदि से गुजरते हुए अंतिम संस्कार के लिए पार्थिव शरीर को वाराणसी ले जाया गया. इधर, शवयात्रा में पार्टी कार्यालय से लेकर नगर यात्रा तक भारी संख्या में लोग शामिल थे. इसमें मुख्यमंत्री बिहार नीतीश कुमार की ओर से भेजे गये पूर्व विधायक करहगर वशिष्ठ सिंह, प्रमंडलीय प्रभारी राजकिशोर सिंह कुशवाहा समेत श्रम संसाधन मंत्री बिहार संतोष कुमार सिंह, पूर्व सांसद महाबली सिंह, विधायक अशोक सिंह, विधायक भरत बिंद, विधायक नवीनगर भीम सिंह यादव, पूर्व विधायक रिंकी रानी पांडेय, जदयू के जिला अध्यक्ष अनिल सिंह कुशवाहा समेत अन्य पार्टियों के जिला अध्यक्ष पूर्व जिला अध्यक्ष जदयू चंद्रप्रकाश आर्य, जदयू के अजय कुमार सिंह, बसपा के रामइकबाल राम आदि शामिल थे. सांसद सुधाकर सिंह समेत कई लोगों ने शव को अपना कंधा भी दिया. इधर, पार्टी कार्यालय पर शव को अंतिम सम्मान देने के लिए जिला प्रशासन की ओर से एसडीएम भभुआ तथा बीडीओ भभुआ भी पहुंचे थे.

मुख्यमंत्री ने बेटे से फोन पर बात कर बंधाया ढांढ़स

जिले के लोकप्रिय पूर्व विधायक डाॅ प्रमोद कुमार सिंह की मौत की खबर तीर की तरह जिले से निकलते हुए सूबे की राजधानी तक पहुंच गयी. जितने लोगों से उनके राजनैतिक और व्यक्तिगत जीवन में संबंध थे, लगभग ऐसे सभी लोग शव के अंतिम दर्शन को लेकर पहुंचे थे. इधर, मौत की खबर के बाद मुख्यमंत्री बिहार सरकार नीतीश कुमार ने भी फोन पर उनके पुत्र विकास कुमार सिंह से बात कर शोक संवेदना व्यक्त दी. परिजनों को इस दुख की घड़ी में धैर्य और साहस बनाये रखने की अपील की गयी. यही नहीं, पूर्व विधायक करहगर तथा प्रमंडलीय प्रभारी राजकिशोर कुशवाहा ने मुख्यमंत्री की ओर फूलों का रिंग रीप पार्थिव शरीर पर अर्पित कर श्रद्धा-सुमन समर्पित किया.

डॉ प्रमोद कुमार तीन बार रहे विधायक

डाॅ प्रमोद कुमार सिंह को राजनीत विरासत में ही मिली थी. वर्ष 90 के दशक में उनके पिताजी शिव प्रसाद सिंह भी सामाजिक जीवन में सक्रिय थे. भभुआ प्रखंड के प्रमुख पद का भी चुनाव उन्होंने जीता था. हालांकि, उनके कार्यकाल के समय उनके पुत्र डाॅ प्रमोद सिंह जिला मुख्यालय के जयप्रकाश चौक के पास अपनी निजी क्लिनिक चलाते थे. लेकिन, पिता की मौत के बाद इन्होंने राजनैतिक विरासत को आगे बढ़ाया और समय-समय पर चिकित्सीय कार्य भी करते रहे. अपने राजनैतिक जीवन में इन्होंने भभुआ विधानसभा क्षेत्र का तीन बार नेतृत्व किया.

वर्ष 2000 में मिला राजनीतिक सफर को मुकाम

इधर, पिता के निधन के बाद इन्होंने अपने राजनैतिक जीवन की शुरुआत राष्ट्रीय जनता दल के कद्दावर नेता जगदानंद सिंह के सानिध्य में शुरू की. वर्ष 2000 में इसका फल भी इन्हें मिला और राजद ने इन्हें भभुआ विधानसभा क्षेत्र से अपना उम्मीदवार बनाया. इस चुनाव में इन्होंने बसपा के उम्मीदवार आनंद भूषण पांडेय को हरा कर विधानसभा की राह पकड़ी. इसके बाद वर्ष 2005 के विधानसभा चुनाव में भी राजद ने इन्हें अपना प्रत्याशी बनाया और एक बार फिर इन्होंने भभुआ विधानसभा क्षेत्र से लालटेन का प्रकाश घर-घर तक पहुंचा कर दुबारा विधायक बन गये. इस चुनाव के बाद सरकार नहीं चल सकी और आठ-नौ माह के अंदर फिर उपचुनाव कराया गया. लेकिन, इस चुनाव में ये बसपा के उम्मीदवार रामचंद्र यादव से हार गये. इसके बाद विधानसभा 2010 का चुनाव इन्होंने लोक जन शक्ति पार्टी के टिकट पर लड़ा ओर विजयी रहे. लेकिन, 2010 विधानसभा चुनाव के कार्यकाल के बीच में ही इन्होंने लोजपा छोड़कर तीर का साथ पकड़ लिया. वर्ष 2015 का चुनाव हारने के बाद इन्हें जिला जदयू का अध्यक्ष बना दिया गया. वर्ष 2015 के बाद का चुनाव इन्होंने तीर के साथ जदयू के टिकट पर लड़ा. लेकिन, इस चुनाव में इन्हें हार का मुंह देखना पड़ा और भाजपा के आनंद भूषण पांडेय यहां के विधायक बनें. लेकिन, तीन वर्षों बाद उनके निधन से वर्ष 2018 में फिर उपचुनाव हुआ, जिसमें गठबंधन के तहत डाॅ प्रमोद को टिकट नहीं मिला और गठबंधन की ओर से प्रत्याशी बनी दिवंगत आनंद भूषण पांडेय की पत्नी रिंकी रानी पांडेय विधायक चुनी गयीं. इसके बाद वर्ष 2020 के उपचुनाव में एक बार फिर गठबंधन का मामला आड़े आ गया और गठबंधन से रिंकी रानी पांडेय को उम्मीदवार बनाया गया. लेकिन, पार्टी द्वारा टिकट नहीं मिलने के बाद इन्होंने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में वर्ष 2020 का विधानसभा चुनाव लड़ा, लेकिन सफलता नहीं मिल सकी. इधर, निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर लड़ने के बाद इन्हें जिला अध्यक्ष पद से हटा दिया गया. लेकिन, एक साल बाद ये फिर जिला अध्यक्ष बनाये गये. वर्ष 2024 में इन्हें पार्टी ने प्रदेश उपाध्यक्ष बना दिया. मिलाजुला कर लगभग 12 वर्षों पूर्व जदयू से जुटने के बाद अब तक ये अपने राजनीतिक जीवन के अंतिम मुकाम तक नीतीश कुमार के साथ ही बने रहे.

राजद के बक्सर सांसद सुधाकर सिंह

डॉक्टर प्रमोद सिंह की असामयिक मौत से कैमूर जिले को बड़ी क्षति हुई है. आने वाले समय में ऐसा राजनैतिक व्यक्तित्व मिलना संभव नहीं दिखाई देता है. सामाजिक रूप से विकास के प्रति जागरूक थे. इनका असमय निधन होने से कैमूर जिला एक कुशल व्यक्ति तथा चेतन नेता को खो दिया है. कई लोगों का कहना है कि हमें विश्वास नहीं होता है कि आज हम लोग के बीच वे नहीं है. अभी वे राजनीतिक रूप से बहुत ही प्रभावी थे. लेकिन, लगभग 64 वर्ष के उम्र में ही उनका निधन एक राजनीतिक शून्य छोड़ गया.

अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री सह विधायक मोहम्मद जमा खां

कैमूर जिला ने एक कुशल राजनीतिज्ञ एवं सामाजिक कार्यकर्ता को खो दिया है. डॉ प्रमोद सिंह की मौत के बाद शहर के नौजवान काफी मर्माहत हैं. प्रमोद सिंह हमारे बड़े भाई की तरह रहे. उसकी मौत होने से लग रहा है कि मैं एक अपने बड़े भाई को खो दिया हूं. इस दुख की घड़ी में मैं उनके परिवार के साथ हूं.

भाजपा विधायक रामगढ़ अशोक सिंह

डॉक्टर साहब से जिले के नेताओं को सीखना चाहिए. डॉक्टर साहब सरल स्वभाव एवं ईमानदार व्यक्ति थे. उनके साथ हमें काम करने का भी मौका मिला था. जब वे जनता दल यूनाइटेड का जिला अध्यक्ष थे, तो उनके साथ काम करने का मौका मिला था. उनकी मौत से कैमूर जिले को बड़ी क्षति हुई है. एक कुशल व्यक्तित्व के व्यक्ति हम लोगों के बीच से चला गया.

श्रम संसाधन मंत्री संतोष सिंह

डॉ प्रमोद सिंह जात-पात एवं दल से ऊपर उठकर समाज व लोगों की सेवा करते थे. सार्वजनिक जीवन में कैमूर जिले में कोई ऐसा व्यक्ति दिखाई नहीं दे रहा है, जो डॉ प्रमोद सिंह की भरपाई को पूरा कर सके. इस दुख की घड़ी में भारतीय जनता पार्टी उनके परिवार के साथ है. मेरी प्रार्थना है कि ईश्वर अपने चरणों में उन्हें स्थान दें.

भभुआ विधायक भरत बिंद

डॉ प्रमोद की मृत्यु से राजनीतिक जगत में अपूर्ण क्षति हुई है. विधायक कार्यकाल में उन्होंने ईमानदारी एवं निष्ठा पूर्वक कार्य किया था. इसका आज नतीजा देखने को मिला कि उनकी शवयात्रा में हजारों लोग पहुंचे थे. इस दुख की घड़ी में हम सब उनके परिवार के साथ हैं.

मोहनिया विधायक संगीता कुमारी

=पूर्व विधायक प्रमोद सिंह की मौत जिले के लिए अपूर्णीय क्षति है. कैमूर ने एक हीरा खो दिया है. राजनीति में जो शून्यता आयी है, उनके जाने के बाद उसकी पूर्ति नहीं हो सकती है.

पूर्व जिला अध्यक्ष चंद्रप्रकाश आर्यमुझे लगता है कि आज मैंने अपने जीवन के सबसे अनमोल मित्र को खो दिया है. उनके बारे जो भी कहा जाये, कम है. कैमूर में सुचिता, ईमानदारी, मिलनसारिता, सामाजिक सौहार्द और राजनैतिक विश्वासनीयता की नींव अगर किसी ने रखी, तो उसमें डाॅ प्रमोद कुमार सिंह का नाम सबसे ऊपर है. ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दें और परिवार का संबल.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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