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बिना रजिस्ट्रेशनवाले कोचिंग सेंटरों को देना पड़ेगा जुर्माना
बार-बार अल्टीमेटम देने के बावजूद कोचिंग चलानेवाले रजिस्ट्रेशन में नहीं दिखा रहे रुचि भभुआ (नगर) : बिहार कोचिंग अधिनियम 2010 के प्रावधानों की धज्जियां उड़ाते हुए जिले में बिना मानक व रजिस्ट्रेशन के चल रहे कोचिंग सेंटरों पर शिकंजा कसने की तैयारी की जा चुकी है. प्रावधान के तहत बनाये गये नियमों का उल्लंघन करते […]
बार-बार अल्टीमेटम देने के बावजूद कोचिंग चलानेवाले रजिस्ट्रेशन में नहीं दिखा रहे रुचि
भभुआ (नगर) : बिहार कोचिंग अधिनियम 2010 के प्रावधानों की धज्जियां उड़ाते हुए जिले में बिना मानक व रजिस्ट्रेशन के चल रहे कोचिंग सेंटरों पर शिकंजा कसने की तैयारी की जा चुकी है. प्रावधान के तहत बनाये गये नियमों का उल्लंघन करते हुए चल रहे इन कोचिंग सेंटरों पर एक लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है. गौरतलब है कि डीएम के निर्देश पर इन दिनों विभिन्न प्रखंड क्षेत्रों में स्थित कोचिंग सेंटरों की जांच जिला स्तर पर गठित वरीय पदाधिकारियों की टीम द्वारा की जा रही है. इससे कोचिंग संचालकों में हड़कंप मचा हुआ है. पदाधिकारियों के जांच की सूचना मिलते ही कई संचालक अपने कोचिंग पर ताला लटका कर भाग खड़े हो रहे हैं.
कोचिंग एक्ट की उड़ रहीं धज्जियां
कोचिंग सेंटर संचालित करने के लिए तय मानक व रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य है.जानकारी के अनुसार, बिहार कोचिंग इंस्टीट्यूट कंट्रोल एंड रेगुलेशन एक्ट 2010 लागू होने के बाद 28 अप्रैल 2010 से पहले स्थापित कोचिंग सेंटरों को एक माह के अंदर कानून लागू होने के बाद अनिवार्य रूप से रजिस्ट्रेशन करा लेना था, जो कोचिंग सेंटर इसके बाद स्थापित हुए हैं. उन्हें कोचिंग सेंटर शुरू करने से पहले रजिस्ट्रेशन के लिए डीएम के पास आवेदन देना है. कोचिंग सेंटर के रजिस्ट्रेशन के लिए पांच हजार रुपये की फीस निर्धारित की गयी है. इसके तीन साल बाद फिर से रजिस्ट्रेशन को रिन्युअल भी कराना है.
इसकी फीस तीन हजार रुपये
निर्धारित की गयी है. बिना रजिस्ट्रेशन के चल रहे कोचिंग सेंटर को अवैध माना जायेगा.
करोड़ों का हो रहा कारोबार
शहर ही नहीं ग्रामीण क्षेत्रों तक इन दिनों कोचिंग सेंटरों की बाढ़ सी आ गयी है. गली-मुहल्लों में खुले कोचिंग सेंटर बिना कोई सुविधा दिये हर साल लाखों करोड़ों का कारोबार कर रहे हैं. सुविधा के नाम पर कोचिंग सेंटरों में न तो पेयजल, शौचालय या साइकिल स्टैंड की ही व्यवस्था दिखती है. इसके बावजूद भ्रामक विज्ञापनों और झूठे प्रचार-प्रसार से स्टूडेंट्स को आकर्षित करने में लगे हुए हैं. अगर इनके सलाना कारोबार पर गौर करें तो हर वर्ष करोड़ों का वारा न्यारा कर रहे हैं, पर सुविधाएं नदारद हैं. विभाग द्वारा बार-बार अल्टीमेटम दिये जाने के बावजूद कोचिंग संचालक रजिस्ट्रेशन को ले कोई रुचि नहीं दिखाते.
डीएम की अध्यक्षता में गठित है टीम
कोचिंग सेंटरों की जांच और कार्रवाई के लिए डीएम की अध्यक्षता में एक टीम गठित की गयी है. इस समिति में एसपी सचिव व डीइओ सदस्य सचिव हैं. प्रखंड क्षेत्रों में पदाधिकारियों द्वारा की जा रही जांच रिपोर्ट आने के बाद कई कोचिंग सेंटरों पर कार्रवाई तय है.
क्या कहते हैं डीएम
बिना तय मानकों को पूरा किये और कोचिंग अधिनियम का उल्लंघन करने वाले कोचिंग सेंटरों के विरूद्ध कड़ी कार्रवाई की जायेगी. जिले में चल रहे कोचिंग संस्थाओं की जांच पदाधिकारियों की टीम द्वारा की जा रही है.
राजेश्वर प्रसाद सिंह, डीएम, कैमूर
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