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जला पर्षद के सदन में स्वास्थ्य विभाग पर सदस्यों ने दिखाये तेवर

भभुआ : समाहरणालय के सभा कक्ष में जिला परिषद की बैठक जिला परिषद के अध्यक्ष विशंभर नाथ सिंह के अध्यक्षता में आहूत की गयी. इसमें स्वास्थ्य विभाग के कार्यशैली को लेकर जिप सदस्यों द्वारा काफी नाराजगी जतायी गयी. इस बैठक में सरकारी अस्पताल के चिकित्सक द्वारा सरकारी पर्ची पर मेडिकल का सांकेतिक नाम लिख कर […]

भभुआ : समाहरणालय के सभा कक्ष में जिला परिषद की बैठक जिला परिषद के अध्यक्ष विशंभर नाथ सिंह के अध्यक्षता में आहूत की गयी. इसमें स्वास्थ्य विभाग के कार्यशैली को लेकर जिप सदस्यों द्वारा काफी नाराजगी जतायी गयी.

इस बैठक में सरकारी अस्पताल के चिकित्सक द्वारा सरकारी पर्ची पर मेडिकल का सांकेतिक नाम लिख कर मरीजों को दवा खरीदने के लिये भेजने से लेकर आउटडोर के मरीजों को इनडोर में दिखा कर मरीजों को दिये जाने वाले सरकारी भोजन में घोटाले का भी मामला उठाया गया. साथ ही शिक्षा विभाग और आईसीडीएस भी जिला परिषद सदस्यों के निशाने पर रहे.
बुधवार को आयोजित जिला परिषद की बैठक में लगभग आधे से अधिक समय तक स्वास्थ्य विभाग के खिलाफ गर्म हवा चलती रही है. स्वास्थ्य विभाग को लेकर सदस्य भी आक्रोशित थे. प्रथम चरण में ही स्वास्थ्य विभाग द्वारा गत बैठक के निर्णयों के अनुपालन में कोताही का मामला सामने आ गया.
जिसमें कुछ उप स्वास्थ्य केंद्रों में भूसा रखे जाने व कुछ एएनएमों से स्पष्टीकरण पूछे जाने के अनुपालन के सवाल पर स्वास्थ्य विभाग का जवाब गोल मटोल पाया गया. बैठक में जिप अध्यक्ष द्वारा यह मामला भी उठाया गया कि चांद प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के चिकित्सकों द्वारा स्वास्थ्य केंद्र में इलाज कराने गये मरीजों को सरकारी दवा नहीं लिखते हुये बाहरी दवा लिख कर मेडिकल का सांकेतिक नाम भी लिख दिया जा रहा है.
जो सीधे सीधे मेडिकल के साथ स्वास्थ्य विभाग के मिलीभगत का मामला दिखता है. उदाहरण के तौर पर सदन में 12 अगस्त को चांद प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर ईलाज कराने पहुंची मरीज दुर्गावती कुमारी पिता राजीव कुमार ग्राम भरूईयां का सरकारी पर्ची भी दिखाया गया. जिस पर्ची पर लाल शब्द लिख कर मरीजों को वहां से दवा लेने की सलाह दी गई थी.
इसी तरह सदस्यों द्वारा सरकारी अस्पतालों में आउटडोर के मरीजों को इनडोर के सूची में दिखा कर मरीजों को भोजन दिये जाने तथा डायरिया, बुखार आदि नियंत्रित रोगों के मामले में भी रेफर किये जाने का मामला उठाया गया. बैठक में रामपुर प्रखंड के उप स्वास्थ्य केंद्र पर चिकित्सकों के नहीं आने, उप स्वास्थ्य केंद्र कबार आदि में भूसा भरे जाने का मामला भी जोर शोर से उठाया गया.
उठाये गये विभिन्न मुद्दों पर जांच के निर्देश : इधर, बैठक के बारे में जानकारी देते हुये उप विकास आयुक्त कृष्ण कुमार गुप्ता सह जिला परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी ने बताया कि बैठक में उठे विभिन्न मामलों पर जांच करने का निर्देश संबंधित विभागों को दिया गया है. अगले बैठक में जांच रिपोर्टों की समीक्षा की जायेगी. बैठक में जिला परिषद उपाध्यक्ष सुनील कुमार सहित सदस्य चंचल मिश्रा, कमलेश कुमार, आलोक रावत, सुमन कुमारी आदि शामिल थे.
विकास योजनाओं के शिलापट्ट पर नाम नहीं लिखे जाने का भी सदन में उठा मामला
जिला परिषद के बैठक में सदस्यों द्वारा प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना से लेकर मुख्यमंत्री टोला संपर्क पथ योजना के शिलापट‍्टों पर संबधित क्षेत्र के जिला पर्षद का नाम नहीं लिखे जाने का भी मामला उठाया गया. सदस्यों का कहना था कि शिलापट़ट पर उनका भी नाम होना चाहिये. इसी तरह विधायकों के अनुशंसा पर किये जाने वाले कब्रिस्तानों तथा मंदिरों के घेराबंदी पर भी सवाल उठाते हुये सदस्यों का कहना था कि मंदिरों या मस्जिदों के घेराबंदी के मामले में उनकी भी सहमति ली जानी चाहिये.
सीआरसी व बीआरसी में 10 से लेकर 15 वर्षों से जमे हुए हैं शिक्षक
बैठक में शिक्षा विभाग से लेकर आईसीडीएस भी जिला परिषद के निशाने पर रहा. बैठक में जिप सदस्यों द्वारा मामला उठाया गया कि जिला शिक्षा विभाग से लेकर विभिन्न सीआरसी और बीआरसी में 10 से लेकर 15 वर्षों तक शिक्षक जमे हुए हैं. इसमें बहुत से ऐसे शिक्षक भी हैं जो जिनका प्रतिनियोजन भी नहीं किया है, उनकी बहाली शिक्षक के नाम पर आस-पास के स्कूलों में की गई है.
लेकिन वे स्कूल के बजाये कार्यालयों में जमे हुये हैं. इसी तरह आंगनबाड़ी केंद्रों के व्यवस्था को लेकर भी सदस्य नाराज दिखे. सदस्यों का कहना था कि कई केंद्रों पर 40 बच्चों पर 21 हजार का पोषाहार दिया जाता है लेकिन, वितरण कम किया जाता है. इसी तरह गर्भवतियों को दिये जाने वाले चावल दाल की मात्रा में भी कटौती की जाती है.

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