मनरेगा की योजनाओं में काम करने से मजदूरों ने मुंह मोड़ा
मजदूरी के नाम पर होता है फर्जीवाड़ा, समय पर नहीं मिलती मजदूरी
पिछले वित्तीय वर्षों में मनरेगा की पांच हजार योजनाएं नहीं हुईं पूरी
भभुआ नगर मजदूरों को स्थानीय स्तर पर रोजगार देने, उनका पलायन रोकने और गांव की विकास योजनाओं में उनकी भूमिका सुनिश्चित करने के उद्देश्य से केंद्र सरकार द्वारा संचालित महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना में अब मजदूर काम करने में दिलचस्पी नहीं ले रहे हैं. मनरेगा की योजनाओं में मजदूर न मिलने की समस्या भी बरकरार है.
वहीं, इन योजनाओं को पूरा करने के लिए अब खुलेआम मशीनरी का भी प्रयोग किया जा रहा है. मनरेगा योजनाओं में काम करने में अब मजदूर भी अपना मुंह मोड़ने लगे हैं. आंकड़ों पर गौर करें तोजिले में दो लाख 23 हजार 618 निबंधित जॉब कार्डधारी हैं, जिन्हें विभाग द्वारा जॉब कार्ड इश्यू किया गया है. लेकिन, गौर करने लायक बात यह है कि इतने निबंधित मजदूरों में सिर्फ 67 हजार 463 मजदूर ही सक्रिय जॉब कार्डधारी हैं, जिन्हें योजनाओं के अंतर्गत काम दिया जा रहा है.
मनरेगा योजना में प्रतिदिन के हिसाब से मजदूरों को 177 रुपये दिये जाने का प्रावधान है. वहीं, दिहाड़ी मजदूरी करनेवाले मजदूरों को भी अब बाजार में 250 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से मिलता है. मनरेगा योजनाओं में अब काम करने में मजदूरों की रुचि काफी कम होते जा रही है. मजदूर मनरेगा योजनाओं में काम करने के बजाय दिल्ली, मुंबई जैसे बड़े शहरों में जाकर काम करना ज्यादा पसंद कर रहे हैं.
12949 योजनाओं का काम हुआ पूरा
वित्तीय वर्ष 2016-17 और उससे पहले के वित्तीय वर्षों में जिले में मनरेगा के तहत 17 हजार 981 योजनाओं पर काम शुरू हुआ. इसमें 12949 योजनाओं का काम पूरा हुआ. जबकि, पांच हजार 32 योजनाएं अब भी अधूरी हैं. मनरेगा योजनाओं में समय से काम पूरा नहीं हो रहा और कई योजनाएं आधी अधूरी स्थिति में आज भी पड़ी हुई है. अधूरे पड़े कार्यों को पूरा करने के लिए कई बार अल्टीमेटम भी जारी होते हैं. लेकिन, इसका असर नहीं के बराबर दिखता है.
कामों में अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों की मिलीभगत
मनरेगा की योजनाओं में मजदूरी के भुगतान में भी फर्जीवाड़े के कई मामले सामने आ चुके हैं. वहीं, काम करनेवाले मजदूरों को समय से मजदूरी का भुगतान नहीं मिलने की भी शिकायतें लगातार मिलती रहती हैं.
प्रखंड व पंचायत स्तर पर हो रहे कार्यों में अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों की मिलीभगत से खुलेआम मशीनरी का प्रयोग कराया जा रहा है. जबकि, नियमत: मनरेगा की योजनाओं में मशीनरी का प्रयोग पूर्णतया वर्जित है. कई ऐसे भी मामले सामने आये हैं, जहां मजदूरों को घर बैठे ही मजदूरी का भुगतान का दिया जाता है और काम मशीनों के माध्यम से पूरा कर लिया जाता है.
बोले डीडीसी
सक्रिय जॉब कार्डधारियों को साल में 100 दिन काम देने के लिए प्रशासन कटिबद्ध है. अपूर्ण परियोजनाओं को पूरा करने के लिए प्रखंडस्तरीय पदाधिकारियों को आवश्यक दिशा निर्देश दिया गया है. सक्रिय जॉब कार्डधारियों को अब अपना आधार लिंक कराना अनिवार्य है.
केपी गुप्ता, डीडीसी
प्रखंडवार सक्रिय मजदूर
प्रखंड निबंधित मजदूर सक्रिय मजदूर
अधौरा 117608 5134
भभुआ 32682 12471
भगवानपुर 13841 3910
चैनपुर 31593 11053
चांद 16865 4620
दुर्गावती 19653 5188
कुदरा 22132 6357
मोहनिया 26120 6994
नुआंव 15450 3848
रामगढ़ 18179 3769
रामपुर 15395 4119