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सदर अस्पताल में गार्ड के सामने ही साइकिल लेकर फरार हो गया चोर तीन साल में सुकन्या समृद्धि योजना के खुले मात्र 1500 खाते 15 जनवरी 2015 को शुरू हुई थी योजना प्रचार-प्रसार के अभाव में शिथिल पड़ी रफ्तार भभुआ सदर : कन्या भ्रूण हत्या को रोकने व बच्चियों के विवाह व शिक्षा की चिंता […]

सदर अस्पताल में गार्ड के सामने ही साइकिल लेकर फरार हो गया चोर

तीन साल में सुकन्या समृद्धि योजना के खुले मात्र 1500 खाते
15 जनवरी 2015 को शुरू हुई थी योजना प्रचार-प्रसार के अभाव में शिथिल पड़ी रफ्तार
भभुआ सदर : कन्या भ्रूण हत्या को रोकने व बच्चियों के विवाह व शिक्षा की चिंता दूर करने की योजना का लाभ लोगों तक नहीं पहुंच रहा है. केंद्र सरकार द्वारा जिले के डाकघरों में चलाये जा रहे सुकन्या समृद्धि योजना के व्यापक प्रचार-प्रसार के अभाव के चलते भभुआ स्थित मुख्य डाकघर में 15 जनवरी 2015 से अब तक मात्र यानी तीन साल की अवधि में लगभग 1500 लोगों ने ही अपनी बेटियों के खाते डाकघर में खोले हैं. गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने लड़कियों के जन्म दर को बढ़ावा देने व अभिभावकों को उनकी पढ़ाई व विवाह की चिंता से मुक्ति दिलाने के लिए डाकघरों में सुकन्या समृद्धि योजना का शुभारंभ किया था.
जिला मुख्यालय में भी बेटियों को 15 जनवरी 2015 से योजना का लाभ दिया जा रहा है. खाता बालिका के नाम से उसके जन्म लेने से 10 वर्ष तक की आयु प्राप्त करने तक खोला जा सकता है. इसके लिए संरक्षक द्वारा बालिका के नाम पर केवल एक खाता खोला जा सकता है व अधिकतम दो खाते दो विभिन्न बालिकाओं के नाम पर खोले जा सकते हैं.
एक हजार से कम व एक लाख से अधिक जमा नहीं कर सकते
इस योजना के तहत बालिकाओं के संरक्षक अपनी आय के हिसाब से अपनी बेटी के खाते में रकम जमा कर सकते हैं. मुख्य डाकघर के उपमुख्य डाकपाल वंश नारायण ने बताया कि इस योजना के लिए सालाना खाताधारक अपने खाता में एक हजार रुपये से कम और एक लाख से अधिक की राशि जमा नहीं कर सकता. हालांकि खाताधारक को रकम खाता खोलने की तारीख से 14 वर्ष पूर्ण होने तक जमा करना होगा और खाता खोलने की तारीख से 21 वर्ष पूरे होने पर खाता परिपक्व माना जायेगा.
बालिकाओं के भविष्य के लिए हैं फायदेमंद योजना
केंद्र सरकार द्वारा वर्ष 2015 में शुरू की गयी सुकन्या समृद्धि योजना बालिकाओं के लिए काफी लाभदायक है. वंश नारायण बताते हैं कि बालिका के परिपक्व होने के बाद ब्याज सहित जमा किये गये रुपये को निकाला जा सकता है. इसके लिए जिस बालिका के नाम से खाता खोला जाना है. उसका जन्म प्रमाणपत्र, खाता खोलते समय जमाकर्ता की पहचान और आवासीय प्रमाण से संबंधित अन्य दस्तावेज या इसके अभाव में स्कूल के हेडमास्टर, ग्राम प्रमुख या अस्पताल जहां बालिका का जन्म हुआ हो वहां से जारी प्रमाण पत्र प्रस्तुत किया जा सकता है. वैसे कन्या के बेहतर भविष्य के लिए यह योजना है. लेकिन,जिले में डाकघरों की सुस्त रवैये व प्रचार-प्रसार के अभाव में लोग अपनी बेटियों के भविष्य के लिए इस योजना का लाभ नहीं उठा पा रहे हैं. उप मुख्य डाकपाल इस मामले में कहते हैं कि लोगों को इस योजना के बारे में बताया जाता है. लेकिन, लोग खुद अपनी बेटियों की सुरक्षा के प्रति जागरूक नहीं हैं.

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