जिला बनने के बाद भी कर्मचारियों की कमी से कामकाज पर पड़ रहा प्रतिकूल असर
Advertisement
सभी कर्मचारियों ने सामूहिक हस्ताक्षर कर डीएम से कार्यालय खुलवाने की लगायी गुहार
जिला बनने के बाद भी कर्मचारियों की कमी से कामकाज पर पड़ रहा प्रतिकूल असर भभुआ नगर : कैमूर जिले की स्थापना होने के बावजूद अब तक जिले में सरकारी कर्मचारियों भविष्य निधि व लेखा कार्यालय नहीं होने से कार्यरत कर्मचारियों को काफी फजीहत झेलनी पड़ रही है. रोहतास जिले से अलग होकर कैमूर जिले […]
भभुआ नगर : कैमूर जिले की स्थापना होने के बावजूद अब तक जिले में सरकारी कर्मचारियों भविष्य निधि व लेखा कार्यालय नहीं होने से कार्यरत कर्मचारियों को काफी फजीहत झेलनी पड़ रही है. रोहतास जिले से अलग होकर कैमूर जिले की स्थापना होने के 27 साल गुजर गये. लेकिन, समाहरणालय सहित विभिन्न कार्यालयों में अपनी ड्यूटी बजा रहे कर्मचारियों को अब भी भविष्य निधि, लेखा व बैंक से जुड़े मामले के निबटारे के लिए रोहतास मुख्यालय यानी सासाराम का चक्कर लगाना पड़ता है. इसकी वजह से कर्मचारियों को समय और आर्थिक क्षति भी उठानी पड़ रही है. इस समस्या को लेकर सभी विभाग के कर्मचारी परेशान हैं
और जिले में ही भविष्य व लेखा कार्यालय की शाखा स्थापित करने की मांग जिलाधिकारी से की है. इस समस्या की ओर जिलाधिकारी का ध्यान आकृष्ट कराने के लिए सभी कर्मचारियों ने सामूहिक हस्ताक्षर कर डीएम को ज्ञापन सौंपा है. कर्मचारी राजेंद्र सिंह, पंचरत्न कुमार, राजू कुमार सिंह, विनय कुमार शर्मा, वीरेंद्र कुमार सहित लगभग 50 से अधिक कर्मचारियों ने इसे लेकर मांगपत्र में अपना सिग्नेचर कर अपना समर्थन किया है.
पांच सालों से उठ रही मांग : जिला बनने के 27 वर्षों बाद भी भविष्य निधि व लेखा कार्यालय नहीं होने से कर्मचारियों को इस काम से जुड़े कार्यों के लिए हर समय सासाराम जाना पड़ता है. भविष्य निधि व लेखा कार्यालय खुलवाने की मांग नयी नहीं है. इसे लेकर पहले भी कर्मचारी मांग करते रहे हैं. संबंधित विभाग से लेकर राज्यस्तर तक अपनी शिकायत दर्ज कराने के बावजूद इस दिशा में अब तक कोई पहल नहीं हो सकी है. कर्मचारियों के वेतन के मामले में अब नयी प्रक्रिया शुरू हो चुकी है. लेकिन, पुराने कर्मचारियों को अब भी इसके लिए काफी परेशान होना पड़ रहा है.
प्रस्ताव भेजने के बावजूद नहीं हुई लिपिकों की बहाली : सरकारी कामकाज के निबटारे में लिपिकों की भूमिका काफी महत्वपूर्ण होती है. लेकिन, रोहतास जिले से अलग होने के बावजूद 1991 में जब कैमूर जिला बना. उसके बाद से ही सरकारी कर्मचारियों की कमी से जिला बेहाल है. सरकार के पास 49 लिपिकों की नियुक्ति का प्रस्ताव भेजने के बावजूद अब तक यहां लिपिकों की नियुक्ति नहीं हो पायी है. जिले में लिपिक से लेकर राजस्व कर्मचारी, पंचायत सचिव, अमीन व कार्यालय परिचारी के स्वीकृत बलों की अपेक्षा काफी कम कर्मचारियों से किसी तरह काम चलाया जा रहा है. इस वजह से कामकाज पर भी प्रतिकूल असर पर पड़ रहा है.
एक बड़ा बाबू के जिम्मे दो से तीन विभाग : किसी भी कार्यालय में प्रधान लिपिक का होना काफी आवश्यक है. लेकिन, कैमूर जिले में समाहरणालय में ही एक बड़ा बाबू दो से तीन विभागों का कामकाज देख रहे हैं. निर्वाचन कार्यालय, राजस्व, भू-अर्जन, आपदा, विधि, आरटीपीएस शाखा, सामान्य शाखा, ग्रामीण विकास, अल्पसंख्यक विभाग सहित कई अन्य विभागों में लिपिकों की नियुक्ति ही नहीं है. इनमें दूसरे विभागों के लिपिक कामकाज संभाल रहे हैं. इससे विभागीय कामकाज पर भी प्रतिकूल असर पड़ रहा है.
जिले में कर्मचारियों की रिक्तियां
स्वीकृत पद
बोले अधिकारी
भविष्य निधि और लेखा कार्यालय को लेकर कर्मचारियों की मांग जायज है. कार्यालय खोलने का फैसला राज्यस्तर से किया जाना है. इसके निदान का प्रयास किया जायेगा.
कृष्ण प्रसाद गुप्ता, प्रभारी डीएम
Prabhat Khabar App :
देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए
Advertisement