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टूटे व जंग लगे औजारों से काटे जा रहे मरीजों के प्लास्टर
सदर अस्पताल में मरीजों को प्लास्टर कटवाने में करनी पड़ रही ढेरों माथापच्ची भभुआ सदर : जिले के सबसे बड़े अस्पताल सदर अस्पताल में पिछले कई महीनों से डॉक्टर व कर्मचारियों द्वारा मरीजों के जुगाड़ से प्लास्टर काटे जा रहे हैं. इसे विडंबना नहीं तो और क्या कहेंगे कि प्लास्टर काटने के लिए छोटी सी […]
सदर अस्पताल में मरीजों को प्लास्टर कटवाने में करनी पड़ रही ढेरों माथापच्ची
भभुआ सदर : जिले के सबसे बड़े अस्पताल सदर अस्पताल में पिछले कई महीनों से डॉक्टर व कर्मचारियों द्वारा मरीजों के जुगाड़ से प्लास्टर काटे जा रहे हैं. इसे विडंबना नहीं तो और क्या कहेंगे कि प्लास्टर काटने के लिए छोटी सी चीज, आरी और कटर तक भी उपलब्ध नहीं है.
जबकि, इसके लिए हड्डी के डॉक्टर सहित प्लास्टर करनेवाले कर्मचारी भी कई बार अधिकारियों से मौखिक और लिखित रूप से गुहार लगा चुके हैं.
प्रतिदिन होते हैं पांच-छह प्लास्टर: सदर अस्पताल में प्रतिदिन कम से कम बड़े और छोटे मिला कर पांच-छह प्लास्टर होते हैं. लगभग इतने ही प्लास्टर काटे भी जाते हैं. कर्मचारियों ने बताया कि एक वर्ष से अधिक समय हो चुका है. कटर और आरी की धार कुंद हुए.
लेकिन, अब तक प्लास्टर काटने के औजार नहीं मिले. अस्पताल के हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ एसआर सिंह ने बताया कि नये औजार नहीं मिलने के चलते मरीजों का जुगाड़ या फिर जैसे-तैसे मरीजों का प्लास्टर काटना पड़ता है. डर लगा रहता है कि मरीज को जंग लगे और टूटे औजारों से कही कोई इन्फेकशन ना हो जाये. सदर अस्पताल के अफसरों की इस उदासीनता से मरीजों को काफी तकलीफ हो रही है. लेकिन, इन अफसरों को मरीजों के तकलीफ की ओर कोई ध्यान नहीं है.
मरीज लेकर आये आरी, तभी कटेगा प्लास्टर
सदर अस्पताल की बदहाली की बात करें तो अस्पताल में प्लास्टर काटनेवाली आरी का भी फिलहाल इंतजाम नहीं है. गुरुवार को अस्पताल में प्लास्टर कटवाने को लेकर महिला-पुरुष मरीज पहुंचे थे.
लेकिन, इमरजेंसी में टूटे औजार होने के चलते आजिज हो चुके डॉक्टर व प्लास्टर निकालनेवाले कर्मी ने अपने हाथ खड़े करते हुए मरीजों के प्लास्टर निकालने से इनकार कर दिया, जिसके चलते कई मरीज व उनके साथ आये परिजन प्लास्टर कटवाने के इंतजाम के लिए अस्पताल में यहां से वहां दौड़ लगाते रहे. गुरुवार को अपने हाथ का प्लास्टर कटवाने आयी 70 वर्षीय पंचरत्ना कुंवर को काफी परेशानी उठानी पड़ी.
उनका कहना था कि प्लास्टर जब अस्पताल में किया गया, तो प्लास्टर निकालने के लिए वह कहां जाये. वृद्धा का कहना था कि एक सुबह से आकर प्लास्टर कटवाने के लिए इधर-उधर दौड़ रही हूं. लेकिन, कोई नहीं सुनता. शहर के वार्ड 12 निवासी अनिता (30 वर्ष) को दो महीने पहले पैरों में चोट लगी थी. उनके पांव में प्लास्टर लगाया गया था. वह गुरुवार को अस्पताल में प्लास्टर कटवाने पहुंची, तो दो घंटे इंतजार करना पड़ा.
अनिता ने बताया कि प्लास्टर रूम में पहुंची, तो यह कह कर लौटा दिया गया कि औजार ठीक नहीं है. अनिता की ननद सरिता ने इसका विरोध किया, तो स्टाफ ने दो टूक जवाब देते हुए कहा कि प्लास्टर काटने सभी औजार खराब है. खुद के इंतजाम के बिना प्लास्टर नहीं कटेगा.
अगर कोई दिक्कत परेशानी है, तो प्राइवेट अस्पताल में जाकर कटवा लीजिए. सदर अस्पताल में प्लास्टर काटने के औजार नहीं होने के संबंध में अस्पताल उपाधीक्षक डॉ विनोद कुमार से पूछा गया तो उनका कहना था कि विभागीय स्तर से औजारों की खरीद की जा रही है, जल्द नये औजार इमरजेंसी में उपलब्ध करा दिये जायेंगे.
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