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परेशानी का सबब बना वार्ड 15 का जलजमाव

मोहनिया सदर : वर्षों से एक ही जगह जलजमाव. हर बार इस समय से लोग दो-चार होते हैं, पर इसे दूर करने की पहल नहीं हो पाती. हम बात कर रहे मोहनिया के वार्ड 15 की. यहां वर्षों से लोग जलजमाव की समस्या झेल रहे हैं. गौरतलब है कि 1991 में मोहनिया को अनुमंडल का […]

मोहनिया सदर : वर्षों से एक ही जगह जलजमाव. हर बार इस समय से लोग दो-चार होते हैं, पर इसे दूर करने की पहल नहीं हो पाती. हम बात कर रहे मोहनिया के वार्ड 15 की. यहां वर्षों से लोग जलजमाव की समस्या झेल रहे हैं. गौरतलब है कि 1991 में मोहनिया को अनुमंडल का दर्जा मिला. उस वक्त से ही लोग इस परेशानी को झेल रहे हैं, पर स्थिति अब तक नहीं बदल सकी. बात यहीं खत्म नहीं होती. 1993 में यहां अनुमंडल का कार्यालय भी था, फिर भी यहां की स्थिति नहीं बदली. वार्ड की मुख्य सड़क पर ही करीब 100 मीटर तक घुटने के बराबर पानी लगा है.
वार्ड के लोग इस समस्या से दिन-रात दो-चार होते हैं. यह पुरानी कचहरी का रास्ता है. विभिन्न मामलों को लेकर यहां आनेवाले वादी व प्रतिवादी सहित अन्य इसकी दुर्दशा पर नगर पंचायत व प्रशासन को कोसते नजर आते हैं. पुराने अनुमंडल में ही अधिवक्ताओं के बैठने की वजह से विधि या विवाद से संबंधित किसी भी काम के लिए लोगों को इसी रास्ते से आना-जाना पड़ता है. बाइक सवार तो अक्सर गिरते-पड़ते नजर आते हैं. स्कूली बच्चे भी इसी रास्ते से गुजरते हैं. इस समस्या से कब तक लोगों को निजात मिलेगी. कह पाना काफी मुश्किल है.
गौरतलब है कि 11 जनवरी 1993 को उस समय मुख्यमंत्री लालू प्रसाद ने जल संसाधन व पर्यावरण मंत्री जगदानंद की उपस्थिति में पुराने अनुमंडल में सामुदायिक भवन का उद‍्घाटन किया, जिसके बाद प्रखंड मुख्यालय से अनुमंडल का कामकाज हट कर यहां आ गया. इसके बाद अप्रैल 1998 को जल संसाधन व पर्यावरण मंत्री जगदानंद सिंह ने अनुमंडल कार्यालय का उद‍्घाटन किया.

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