अरवल. जिला में सिंचाई विभाग कि स्थिति दयनीय है. विभाग में पदाधिकारी से लेकर कर्मियों का अभाव है. जिले में 80 प्रतिशत आबादी खेती पर निर्भर है. यहां कि जमीन उपजाऊ होने के कारण रवि और खरीफ फसल दोनों भरपूर होता है. लेकिन प्रत्येक साल किसान सिंचाई के समस्या को लेकर जूझते हैं. इसका प्रमुख कारण है कि सिंचाई विभाग के पास कर्मियों की कमी और संसाधनों का अभाव है. जिले में मुख्य कैनाल सहित सात वीतरणी है. जिसकी लंबाई 77 किलोमीटर है. ब्रिटिश काल में बनाए गए सिंचाई विभाग की कार्यालय भी जर्जर स्थिति में है. कुछ महीने पहले सिंचाई विभाग के कार्यालय का मरम्मत कराया गया था. छत की ढलाई हुई थी लेकिन गुणवत्ता पूर्वक कार्य नहीं होने से बारिश होने पर नया ढलाई किए गए छत से पानी टपकता है. जिसके कारण कार्यालय के कागजात कार्यरत कर्मी अपने घर में रखते हैं. सिंचाई विभाग के बड़ा बाबू मृत्युंजय कुमार ने बताया कि विभाग का राजस्व 24 लाख है. लेकिन तहसीलदार मात्र एक हैं. जबकि खानपुरा, प्रसादी इंग्लिश और अरवल तीन तहसील केंद्र हैं. सभी केंद्रों पर 30 कर्मियों कि आवश्यकता है. कर्मियों के कमी से खानपुरा और प्रसादी इंग्लिश तहसील केंद्र बंद है. पूरे कार्यालय में एसडीओ सहित छह कर्मी कार्यरत है. जबकि 20 कर्मी की आवश्यकता है. नहरों की निगरानी के लिए कोई गाड़ी विभाग की तरफ से नहीं दिया गया है. एक ही कर्मी को कई प्रभार दिया गया है. जिसके कारण नहरों की देखरेख और राजस्व वसूली प्रभावित हो रहा है. सिंचाई विभाग के कार्यालय बड़े भूभाग में फैला हुआ है जिसमें सैकड़ों साल पुराने लगाए गए शीशम और सागवान का पेड़ सूखकर गिर चुके हैं. लाखों रुपये मूल्य के लकड़ी सड़ रहे हैं, लेकिन विभाग इस और ध्यान नहीं दे रहा है. कभी भी जिले के वरीय पदाधिकारी सिंचाई व्यवस्था का हाल जानने सिंचाई विभाग कार्यालय नहीं आते हैं. तहसीलदार नहीं रहने से नहीं हो रहा राजस्व वसूली : सिंचाई विभाग किसानों से खरीफ फसल में 88 रुपये प्रति एकड़ और रवि फसल में 75 रुपये प्रति एकड़ सिंचाई का पैसा लेता है. तहसीलदार अखिलेश पासवान ने बताया कि पिछले वर्ष दो तहसीलदार थे तब एक लाख 22 हजार राजस्व प्राप्त हुआ था. इस वर्ष एक का तबादला हो गया अकेले 50 हजार से ज्यादा राजस्व नहीं होगा. राजस्व वसूली करने के लिए पहले पुलिसकर्मी और तहसीलदार गांव-गांव जाते थे. लेकिन पिछले 10 वर्षों से सिंचाई का पैसा वसूल करने के लिए पुलिस कर्मी और गाड़ी उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है. जिससे लक्ष्य की प्राप्ति नहीं हो रही है. दैनिक मजदूरी पर रखे गये हैं अनुरक्षक : मुख्य सोन कैनाल सहित सभी रजवाहा को देखरेख करने के लिए दैनिक मजदूरी पर 32 अनुरक्षक रखे गये हैं. जिनका काम नहर का तटबंध की देखरेख और अंतिम छोर तक पानी पहुंचना है. अनुरक्षक सत्येंद्र पासवान ने बताया कि दैनिक मजदूरी के रूप में 412 रुपया मिलता है. जब नहर में पानी आता है तब ही पैसे मिलते हैं. नहर से पानी खत्म होने पर चार महीने पैसा नहीं मिलता है. नहरों की लंबाई : जिले में नहरों की लंबाई मुख्य सोन कैनाल 10 किमी, मुरीका रजवाहा 27 किमी, आईयारा रजवाहा 12 किमी, परले चैनल 20 किमी, रामपुर चौरम रजवाहा छह किमी, परहा रजवाहा सात किमी है. दैनिक मजदूरी पर रखे गये मात्र 32 अनुरक्षक इनके तटबंध का देखरेख करते हैं. जबकि प्रत्येक किलोमीटर किलोमीटर पर एक अनुरक्षक की जरूरत है. अनुरक्षकों की कमी से तटबंध टूटने पर पानी की बर्बादी होती है जिससे अंतिम छोर के किसानों को नहर का पानी नहीं मिल पाता है.
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