जमुई . 30 मार्च से वासंतिक नवरात्र की शुरुआत हो रही है. चैत्र शुक्ल पक्ष प्रतिपदा से कलश स्थापन के साथ ही नवरात्र की शुरुआत होती है. इस साल इस तिथि को रविवार पड़ रहा है. इस कारण इस दिन के राजा और मंत्री दोनों ही सूर्य हैं तथा इस कारण संकल्प में कालयुक्त नमक संवत्सर का निर्माण होगा. ज्योतिषाचार्य पंडित शत्रुघ्न झा बताते हैं कि वासंतिक नवरात्र का प्रथम दिन काफी महत्वपूर्ण माना जाता है. उन्होंने कहा कि ऐसी मान्यता है कि परमपिता ब्रह्मा ने इसी दिन सृष्टि की रचना की थी. वासंतिक नवरात्र के प्रथम दिन कलश स्थापन के साथ ही माता के शैलपुत्री स्वरूप की आराधना की जाएगी. उन्होंने बताया कि इस दिन प्रातः 07:10 बजे से लेकर 11:54 बजे तक शुभ मुहूर्त है. इसके साथ ही सुबह 11:28 बजे से लेकर दोपहर 12:18 बजे तक इसका अभिजीत मुहूर्त है. इसके साथ ही इस दिन दोपहर 02:14 बजे तक प्रतिपदा तिथि शुभ योग में कलश स्थापन किया जाएगा.
अलग-अलग रंग से करें माता के स्वरूप की आराधना
ज्योतिषाचार्य ने बताया कि नवरात्रि के दौरान माता दुर्गा के सभी नौ स्वरूप की पूजा अर्चना करने से मनोवांछित वर की प्राप्ति होती है. उन्होंने कहा कि इस दिन लोगों को दुर्गा सप्तशती, श्रीमद् देवी भागवत, बीज मंत्र इत्यादि का जाप करना चाहिए. इसके साथ ही नवरात्रि के सभी नौ दिनों तक माता दुर्गा के सभी स्वरूप की नौ दिनों तक उनके प्रिय रंगों से माता की आराधना करने से सभी मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है. आचार्य शत्रुघ्न झा ने बताया कि माता के शैलपुत्री स्वरूप को पीला, ब्रह्मचारिणी स्वरूप को हरा, चंद्रघंटा स्वरूप को पीला व हरा, कूष्मांडा को नारंगी, स्कंदमाता को सफेद, कात्यायनी को लाल, कालरात्रि को नीला, महागौरी को गुलाबी तथा सिद्धिदात्री को बैंगनी रंग के पुष्प, वस्त्र, चंदन इत्यादि से पूजा की जाए तो उनकी कृपा प्राप्त की जा सकती है.
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