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रमजान के माह में नेकी के बदले मिलता है शबाब – हाफिज मो मोबिन

प्रखंड क्षेत्र के अलीगंज, दरखा, आढा, चंद्रदीप, बेला, मतबल्बा, दिननगर, सहोड़ा, मिर्जागंज सहित दर्जनों गांवों में रमज़ानुल मुबारक महीने के तीसरे जुमे की नमाज अदा कर समाज में सुख-शांति की कामना की.

अलीगंज. प्रखंड क्षेत्र के अलीगंज, दरखा, आढा, चंद्रदीप, बेला, मतबल्बा, दिननगर, सहोड़ा, मिर्जागंज सहित दर्जनों गांवों में रमज़ानुल मुबारक महीने के तीसरे जुमे की नमाज अदा कर समाज में सुख-शांति की कामना की. रमजान को लेकर सभी मस्जिदों में काफी भीड़ देखने को मिली. हाफिज मो मोबिन ने बताया कि रमजान उल मुबारक के इस विशेष महीने में रोजा रखना, नमाज पढ़ना, गरीबों को उनका हक जकात के रूप में अदा करना और कुराने पाक की तिलावत करना चाहिए. यह महीना मोमिनों को खुशियां बांटने का महीना है. इस महीने में हर एक नेकी के बदले मोमिन को 70 नेकियों का शबाब मिलता है. उन्होंने खुत्बा पढ़ा व मोमिनों ने जुम्मा की विशेष नमाज अदा कर देश प्रदेश में अमन चैन व खुशहाली की दुआएं मांगी गई. हाफिज अब्दुल मोबीन, हाफिज मो सल्लू अंसारी ने सभी रोजेदारों के साथ अल्लाह तबारक व ताला के बारगाह में हाथ उठाकर मुल्क की अमनचैन के लिए दुआएं मांगी. उन्होंने बताया कि रमजान-उल-मुबारक का यह पाक व पवित्र महीना रहमतों व बरकतों से भरपूर है. जो शख्स रोजेदार को इफ्तार कराता है. अल्लाह तबारक व ताला उस शख्स को रोजेदार के बराबर सवाब अता फरमाता है. उन्होंने बताया कि रमजान-उल-मुबारक को तीन अशरा (हिस्से) में बांटा गया है. पवित्र माह रमजान का पहला अशरा बरकतों का, दूसरा अशरा ग्यारहवीं रमजान से बीस रमजान तक मगफिरत का तथा 21 वीं रमजान से तीस रमजान तक जहन्नुम से आजादी का है. माहे रमजान की बड़ी फजीलत है इस माह में सभी मोमिन सारी बुराइयों को छोड़ पूरी माह इबादत में लगे रहते है.

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