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बिहार में दिखा क्लइमेट चेंज, मानसून में बारिश के लिए ट्रफ लाइन का असर हो रहा कम, जानें क्या है नया ट्रेंड

सौ दिनों में हुई कुल 629.4 मिलीमीटर बारिश में अगस्त माह की भागीदारी 49% (306.5 मिलीमीटर) है. यह स्थिति अभूतपूर्व माना जा रहा है. यह देखते हुए कि कुल बारिश की आधी बारिश सिर्फ अगस्त में हुई हो. मौसम विज्ञानियों के मुताबिक इस स्थिति के पीछे की मुख्य वजह जलवायु परिवर्तन है.

राजदेव पांडेय, पटना. वर्ष 2023 के दरम्यान अगस्त की बरसात ने बिहार की खेती को बचा लिया. मानसून सीजन के करीब 100 दिन पूरे हो चुके हैं. सौ दिनों में हुई कुल 629.4 मिलीमीटर बारिश में अगस्त माह की भागीदारी 49% (306.5 मिलीमीटर) है. यह स्थिति अभूतपूर्व माना जा रहा है. यह देखते हुए कि कुल बारिश की आधी बारिश सिर्फ अगस्त में हुई हो. मौसम विज्ञानियों के मुताबिक इस स्थिति के पीछे की मुख्य वजह जलवायु परिवर्तन है.

बारिश के बदलते ट्रेंड को कुछ इस प्रकार समझें

आइएमडी पटना के आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक पिछले दो सालों के दरम्यान बिहार में जून और जुलाई में बारिश तुलनात्मक रूप में घटने का ट्रेंड है. वर्ष 2022 में 172, 2023 में केवल 85 मिलीमीटर हुई है. इससे पहले के दो सालों मसलन 2021 और 2020 में जून माह में 305.9 और 354.3 मिलीमीटर बारिश हुई थी. जून में 2019 में भी केवल 98.7 एमएम बारिश हुई थी. इस तरह जून की बारिश में कमी आने का ट्रेंड विकसित हो रहा है.

विशेष तथ्य:

  • -बिहार में केवल 13 जिलों में अब तक नार्मल बारिश हुई है. इमसें बांका को छोड़कर सभी जिले उत्तरी बिहार के हैं.

  • -बिहार के 25 जिलों में बारिश सामान्य से काफी कम है, इसमें आठ इन जिलों बेगूसराय, मधुबनी, मुंगेर, सहरसा, सीतामढ़ी ,समस्तीपुर , शिवहर और नालंद को छोड़कर सभी दक्षिणी और पश्चिमी बिहार के जिले हैं. दक्षिणी बिहार कमोबेश पूरा कम बरसात से प्रभावित है.

  • – सीतामढ़ी, सहरसा, पटना, नवादा, पश्चिमी चंपारण, सारण, गोपालगंज, जहानाबाद, भोजपुर,भभुआ और औरंगाबाद ऐसे जिले हैं, जहां सामान्य से 35 से 52 फीसदी कम बारिश दर्ज हुई है.

लगातार बदल रही है मानसून की सक्रियता

इस साल जुलाई में 178.2 एमएम बारिश हुई है. 2022 में 134 एमएम की तुलना में अधिक है, लेकिन वर्ष 2021 में 258 , 2020 में 443 और 2019 में 418.5 एमएम की तुलना में काफी कम है. साफ है कि जुलाई में मानसून की सक्रियता कम हुई है. अगस्त में पिछले पांच सालों के आंकड़ों पर नजर डालें तो साफ हो रहा है कि इस माह की बारिश में करीब-करीब लगातार वृद्धि हो रही है. वर्ष 2019 में मात्र 140 एमएम, 2020 में 202.6, 2021 में 328.7 और इस बार 306 एमएम से अधिक बारिश हुई. केवल अपवाद रूप में 2022 में कुछ कम 170 एमएम बारिश हुई थी.

मानसून का लार्ज सिस्टम निष्क्रिय, छोटी मौसमी घटनाओं से हो रही बरसात

आइएमडी पटना के वरिष्ठ मौसम विज्ञानी आनंद शंकर के मुताबिक बिहार में मानसून का मिजाज तेजी से बदल रहा है. अब मानसून छोटी-छोटी मौसमी घटनाओं मसलन लो प्रेशर एरिया और डिप्रेशन आदि के जरिये सक्रिय सक्रिय हो रहा है. अब लार्ज स्केल मानसून सिस्टम बिहार में तुलनात्मक रूप में आंशिक रूप से न के बराबर सक्रिय है. इसमें मानसून की ट्रफ लाइन मुख्य भूमिका निभाती थी. इसके जरिये ही मानसून नियमित और लंबे समय तक सक्रिय रहता था. उसका ट्रेंड भी सेट रहता था. फिलहाल लो प्रेशर एरिया और डिप्रेशन में निरंतरता न होने की वजह से ड्राय स्पैल की संख्या बढ़ गयी है. आनंद शंकर कहते हैं कि मानसून के ट्रेंड में बदलाव का इस तरह का घटनाक्रम पिछले साल भी देखने को मिल रहा है. यह सारे बदलाव जलवायु परिवर्तन का हिस्सा हैं.

बारिश की सक्रियता में कमी के साथ 2.6 डिग्री बढ़ा पारा

मुजफ्फरपुर में मौसम विभाग के पूर्वानुमान के अनुसार बारिश की सक्रियता कम होने के साथ पारा में वृद्धि शुरू हो गयी है. बीते 24 घंटे में तेजी से मौसम में बदलाव हुआ. वही पारा 2.6 डिग्री बढ़ा है. रविवार को मौसम विभाग के रिकॉर्ड के अनुसार अधिकतम तापमान 33.2 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया. वहीं न्यूनतम तापमान 24 डिग्री सेल्सियस रहा. जबकि बीते शनिवार को अधिकतम तापमान 30.6 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया था. पूर्वानुमान के अनुसार 13 सितंबर तक उत्तर बिहार के कुछ जिलों में हल्की बारिश की स्थिति बनी रहेगी. वहीं मौसम में बदलाव के साथ एक बार फिर से लोगों को गर्मी का सामना करना पड़ेगा.

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