गोपालगंज. सर्व पितृ अमावस्या रविवार को है. आश्विन मास की अमावस्या तिथि को सर्व पितृ अमावस्या के नाम से जाना जाता है. पितरों के तर्पण में इस अमावस्या का बड़ा महत्व माना गया है.
शास्त्रों में इसे मोक्षदायिनी अमावस्या कहा गया है. रविवार का दिन पितरों के विसर्जन के लिए उत्तम माना जाता है. इस दिन पितरों को विदा करने से पितृ देव बहुत प्रसन्न होते हैं. क्योंकि यह मोक्ष देने वाले भगवान विष्णु की पूजा का दिन माना जाता है. इस कारण सर्व पितृ अमावस्या के दिन पितरों का विसर्जन विधि विधान से किया जाना चाहिए. यह तिथि मनुष्य की जन्मकुंडली में बने हुए पितृदोष से मुक्ति दिलाने के साथ-साथ तर्पण, पिंडदान एवं श्राद्ध के लिए अक्षय फलदायी मानी गयी है. जिनकी तिथि ज्ञात न हो, जो अकाल मृत्यु को प्राप्त हुए हैं. पितरों के तर्पण के लिए इस दिन विशेष उपाय करने से पितरों का आशीर्वाद मिलता है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है. खरहरवां के प्रख्यात पं मुन्ना तिवारी की माने, तो जो व्यक्ति श्रद्धा और विश्वास से नमन कर अपने पितरों को विदा करता है उसके पितृ देव उसके घर-परिवार में खुशियां भर देते हैं. जिस घर के पितृ प्रसन्न होते हैं, पुत्र प्राप्ति और मांगलिक कार्यक्रम उन्हीं घरों में होते हैं. आमवस्या के दिन श्राद्ध पक्ष का समापन होता है और पितृ लोक से आये हुए पितृजन अपने लोक लौट जाते हैं. पितृ विसर्जन अमावस्या के दिन ब्राह्मण भोजन तथा दान आदि से पितृजन तृप्त होते हैं और जाते समय अपने पुत्र, पौत्रों और परिवार को आशीर्वाद देकर जाते हैं.पितरों के निमित्त करें तर्पण
सर्व पितृ अमावस्या के दिन सुबह जल्दी स्नान करके स्वच्छ कपड़े पहनकर पितरों को श्राद्ध दें. अपने परिजनों का पिंडदान या तर्पण जैसा अनुष्ठान किया जाता है, तब इसमें परिवार के बड़े सदस्यों को करना चाहिए. पितरों को तर्पण के दौरान जौ के आटे, तिल और चावल से बने पिंड अर्पण करना चाहिए.इन्हें अर्पित करें भोजन
सर्व पितृ अमावस्या के दिन बने भोजन को सबसे पहले कौवे, गाय और कुत्तों को अर्पित करना चाहिए. पितरदेव ये रूप धारण कर भोज करने आते हैं. कौए को यम का दूत माना जाता है.पीपल के पेड़ के नीचे जलाएं दीपक
तारा नरहवां के धर्मशास्त्र विशेषज्ञ पं कैलाश पति मिश्र ने बताया कि अमावस्या के दिन सुबह जल्दी उठकर पितरों के निमित्त घर बना मिष्ठान व शुद्ध जल की मटकी पीपल के पेड़ के नीचे अपने पितरों के निमित्त रखकर वहां दीपक जलाना चाहिए. वहां भगवान विष्णु जी का स्मरण कर पेड़ के नीचे दीपक रखें. जल चढ़ाते हुए पितरों के आशीर्वाद की कामना करें. पितृ विसर्जन विधि के दौरान किसी से भी बात न करें.श्राद्ध और तर्पण का शुभ मुहूर्त
कुतुप मुहूर्त : सुबह 11:50 से दोपहर 12:38 तकरौहिण मुहूर्त : दोपहर 12:38 से 1:27 तक
अपराह्न काल :: दोपहर 1:27 से 3:53 तकक्यों करें इस दिन श्राद्ध
इस दिन विधिपूर्वक श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान करने से पितृ प्रसन्न होते हैं और आशीर्वाद देते हैं. मान्यता है कि इससे परिवार में सुख, शांति और समृद्धि आती है. जो लोग पितरों की तिथि भूल जाते हैं, उनके लिए सर्वपितृ अमावस्या ही पितृ तृप्ति का सबसे बड़ा अवसर है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

