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Gopalganj News : बैरिया पंचायत में विकास ने पकड़ी रफ्तार, औद्योगिक इकाइयों का रास्ता हुआ साफ

कटेया प्रखंड की बैरिया पंचायत, जो कभी उपेक्षा और बदहाली का प्रतीक थी, अब विकास की पटरी पर तेजी से आगे बढ़ रही है.

भोरे. कटेया प्रखंड की बैरिया पंचायत, जो कभी उपेक्षा और बदहाली का प्रतीक थी, अब विकास की पटरी पर तेजी से आगे बढ़ रही है. पहले यहां पहुंचने के लिए यूपी से 30 किमी घूमकर आना पड़ता था और लोगों के ज्यादातर काम यूपी के बाजारों से होते थे. प्रशासनिक कार्यों के लिए उन्हें कटेया या गोपालगंज आना पड़ता था, जिससे पूरा दिन बर्बाद हो जाता था. यहां के लोग इस पंचायत को यूपी में शामिल करने की मांग भी कर रहे थे. डीएम नवल किशोर चौधरी के पदभार संभालने के बाद बैरिया की समस्या पर गंभीरता से काम शुरू हुआ. शिक्षा मंत्री सुनील कुमार ने भी सरकार के स्तर पर पहल की. नतीजतन, बैरिया अब शहरों को पीछे छोड़ने की दिशा में है. सीएम नीतीश कुमार यहां सुधा का प्रोडक्ट प्लांट लगाने की आधारशिला रख चुके हैं. हाल ही में बिहार सरकार की कैबिनेट ने बैरिया स्थित 32.66 एकड़ भूमि को बिहार औद्योगिक क्षेत्र विकास प्राधिकरण (बियाडा) को स्थायी हस्तांतरण की स्वीकृति दी है. इससे औद्योगिक इकाइयों की स्थापना का रास्ता साफ हो गया है. बैरिया के लोग अब बेहतर सुविधाओं और रोजगार की उम्मीद के साथ एक नये दौर में प्रवेश कर रहे हैं.

रोजगार और शिक्षा की बनीं नयी संभावनाएं

ग्रिड सब स्टेशन बनने से सुधा डेयरी प्लांट लगाने का रास्ता साफ हुआ. एक बड़ा खेल स्टेडियम बनकर तैयार है. अब औद्योगिक इकाइयों की स्थापना से युवाओं को रोजगार मिलने की उम्मीद है. साथ ही विजयीपुर और कटेया में डिग्री कॉलेज के लिए भूमि चिह्नित कर ली गयी है, जिससे उच्च शिक्षा की सुविधा भी बढ़ेगी. बैरिया, जो कभी विकास से कोसों दूर था, अब बुनियादी ढांचे, उद्योग और शिक्षा के नये आयाम गढ़ने की ओर बढ़ रहा है. स्थानीय लोगों को उम्मीद है कि ये पहल न केवल रोजगार के अवसर बढ़ायेगी, बल्कि क्षेत्र की आर्थिक स्थिति भी मजबूत करेगी.

शिक्षक ने यूपी में शामिल करने की कर दी मांग

यूपी बॉर्डर से सटा बैरिया एक समय ग़रीबी, जर्जर सड़कों और सरकारी योजनाओं से दूरी के कारण बदनाम रहा है. बारिश में कीचड़ और जलजमाव से रास्ते कट जाते थे. हालात इतने खराब थे कि स्थानीय लोग अपने ही प्रखंड मुख्यालय जाने के लिए उत्तर प्रदेश का रास्ता अपनाते थे. शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली और सड़क जैसी बुनियादी सुविधाओं का अभाव था. वर्ष 2017 में वीएम इंटार कॉलेज के प्राचार्य योगेंद्र मिश्र ने तो मुख्यमंत्री से इस इलाके को यूपी में मिलाने की मांग तक कर दी थी.

बिजली और कनेक्टिविटी से शुरू हुआ बदलाव

वर्ष 2020 के बाद यहां विकास कार्यों में तेजी आयी. बिजली व्यवस्था सुधारने के लिए 2023 में बैरिया में 100 मेगावाट क्षमता का 113/33 केवीए ग्रिड सब स्टेशन बनाने की प्रक्रिया शुरू हुई. इससे कटेया, भोरे और विजयीपुर प्रखंड को स्थायी बिजली आपूर्ति का आधार मिला. इसके बाद कनेक्टिविटी पर जोर दिया गया. खनुआ नदी पर डुमरौना और खुटहां पुल निर्माण को मंजूरी मिली. बैरिया बाइपास की घोषणा हुई और आंतरिक सड़कों का जीर्णोद्धार शुरू हुआ.

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