पूजा-अर्चना चार माह बाद जगे भगवान विष्णु
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अब शुरू हो जायेंगे मांगलिक कार्य
पूजा-अर्चना चार माह बाद जगे भगवान विष्णु देव एकादशी पर शिव मंदिर में आराधना करतीं महिलाएं. गोपालगंज : कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी पर चार माह विश्राम करने के बाद गुरुवार को भगवान विष्णु चिर निंद्रा से जाग गये. अब सनातन संस्कृति के अनुसार मांगलिक कार्य भी शुरू हो गये. देवोत्थान (देव उठनी) एकादशी के […]
देव एकादशी पर शिव मंदिर में आराधना करतीं महिलाएं.
गोपालगंज : कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी पर चार माह विश्राम करने के बाद गुरुवार को भगवान विष्णु चिर निंद्रा से जाग गये. अब सनातन संस्कृति के अनुसार मांगलिक कार्य भी शुरू हो गये. देवोत्थान (देव उठनी) एकादशी के मौके पर श्रद्धालुओं ने व्रत धारण कर मंदिरों में पूजा-अर्चना की. शहर के शिव मंदिर, दुर्गा मंदिर, श्रीराम मंदिर समेत अन्य मंदिरों में भक्तों का तांता लगा रहा. शास्त्रों के अनुसार आषाढ़ शुक्ल एकादशी को भगवान देव शयन करते हैं.
इसके बाद वह कार्तिक शुक्ल एकादशी के दिन उठते हैं. इसलिए इसे देवोत्थान (देव उठनी) एकादशी भी कहा जाता है. भगवान विष्णु के जागने के साथ ही घरों में सभी मांगलिक कार्यों की शुरुआत हो गयी है. शिव मंदिर के पुजारी सच्चितानंद पांडेय ने बताया कि भगवान विष्णु आषाढ़ शुक्ल एकादशी को चार माह के लिए क्षीर सागर में शयन करते हैं. चार महीने पश्चात वो कार्तिक शुक्ल एकादशी को जागते हैं.
जगह-जगह बजी शहनाई, उल्लास
शहर में देवउठनी एकादशी बड़े ही जोश और हर्षोल्लास के साथ मनायी गयी. गुरुवार से ही शादी-विवाह, गृह-प्रवेश जैसे शुभ कार्यों का आरंभ हो गया है. देवोत्थान एकादशी पर दिन में ही लगभग एक दर्जन से अधिक जगह विवाह समारोह का आयोजन किया गया. वहीं रात को भी जगह-जगह विवाह समारोह हुए. कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को तुलसी पूजन का उत्सव शहर में हर्षोल्लास के साथ मनाया गया. कार्तिक मास में स्नान करनेवाले स्त्रियां कार्तिक शुक्ल एकादशी का शालिग्राम और तुलसी का विवाह रचायी. एकादशी व्रत को लेकर श्रद्धालु स्नान करने गंडक नदी के घाटों पर सुबह से ही पहुंचने लगे. डुमरिया घाट और इटवा धाम में काफी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे. श्रद्धालुओं की आस्था को देखते हुए घाटों पर बैरिकेटिंग किया गया था. पुलिस बल के साथ स्थानीय गोताखोर भी तैनात रहें.
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