गड़बड़झाला. घपला करनेवाले पैक्स बैंकों पर कागज में उलझी सहकारिता विभाग की कार्रवाई
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पैक्स बैंकों का नहीं होता वर्षों से ऑडिट
गड़बड़झाला. घपला करनेवाले पैक्स बैंकों पर कागज में उलझी सहकारिता विभाग की कार्रवाई पैक्स बैंक में गड़बड़झाला के पीछे सहकारिता विभाग के अधिकारियों की भूमिका संदेह में है. पैक्स पर नियंत्रण करनेवाले अधिकारी कागज में ही जांच रिपोर्ट विभाग को भेज देते हैं. धरातल पर जांच नहीं होने से करोड़ों का घोटाला सामने आया है. […]
पैक्स बैंक में गड़बड़झाला के पीछे सहकारिता विभाग के अधिकारियों की भूमिका संदेह में है. पैक्स पर नियंत्रण करनेवाले अधिकारी कागज में ही जांच रिपोर्ट विभाग को भेज देते हैं. धरातल पर जांच नहीं होने से करोड़ों का घोटाला सामने आया है.
गोपालगंज : पैक्स में सहकारिता अधिनियम के तहत वर्ष 2001-02 में जमा वृद्धि योजना के तहत पैक्स बैंक खोले गये. पैक्स में जमा होनेवाली राशि कितनी सुरक्षित है, जब पड़ताल की गयी, तो कई चौंकानेवाली बात सामने आयी. पैक्स में जमा होनेवाली राशि की 70 फीसदी दी सेंट्रल को-आॅपरेटिव बैंक की शाखा में फिक्स करनी थी.
जिले में 53 पैक्स में बैंक खोले गये, जिसका उद्घाटन जिला सहकारिता पदाधिकारी से लेकर डीएम तक ने किया. पैक्स बैंकों में अधिकतर का ऑडिट कराने की जिम्मेवारी सहकारिता विभाग की थी, जो नहीं कराया गया. समय पर ऑडिट हुआ होता तो इतनी बड़ी गड़बड़ी नहीं होती. आज करोड़ों की राशि जमा कर ग्राहकों को कोर्ट-कचहरी और विभाग का चक्कर नहीं लगाना पड़ता. आधा दर्जन पैक्स को छोड़ दें, तो बाकी का ऑडिट तक नहीं हुआ है.
इस बीच कई पैक्स बैंक लाखों रुपये लेकर फरार हैं. इस मामलेे में डीसीओ से लेकर सिविल कोर्ट और जिला लोक शिकायत निवारण केंद्र में शिकायत दर्ज कर हजारों उपभोक्ता ठोकर खा रहे हैं.
बीसीओ को रखनी है निगरानी : प्रखंड सहकारिता पदाधिकारी को अपने प्रखंड की पैक्स की निगरानी रखनी है. कम-से-कम माह में तीन पैक्स की जांच कर उनकी रिपोर्ट विभाग को देनी है, जो धरातल पर नहीं की गयी है. बीसीओ के स्तर पर निगरानी नहीं होने के कारण कुछ पैक्स ने घोटाले को अंजाम दिया. इसके अलावा जिले में कई ऑडिटर तैनात हैं, बावजूद जांच के बाद भी महीनों तक ऑडिट नहीं किया जाता.
आधा दर्जन पैक्स बैंक बने मिसाल : को-आॅपरेटिव बैंक की 16 शाखाएं हैं.
इन शाखाओं को पीछे छोड़ते हुए आधा दर्जन पैक्स बैंक मिसाल बने हुए हैं. इनमें जादोपुर शुक्ल पैक्स बैंक, नगर पर्षद पैक्स बैंक की तीनों शाखाएं, तिरविरवा पैक्स बैंक, इंदरवा ओबेदुल्ला, अमेया तथा कुचायकोट पैक्स बैंक शामिल हैं. को-ऑपरेटिव बैंक की तरफ से भी नाबार्ड या विभाग के किसी प्रकार की टीम आती है, तो इन्हीं पैक्स में ले जाकर उन्हें बेहतर कार्य करने की मिसाल पेश की जाती है. ये पैक्स बैंक महाराष्ट्र के सहकारिता के तौर पर यहां समृद्ध और बेहतर बने हुए हैं.
मानिकपुर पैक्स के अध्यक्ष ने की बैठक
सदर प्रखंड के मानिकपुर पैक्स बैंक के द्वारा 50 लाख से अधिक का घोटाला उजागर होने की बाद आनन-फानन में रविवार को पैक्स के अध्यक्ष रामाशीष यादव ने जमाकर्ताओं की बैठक बुलायी. प्रभात खबर ने 22 अक्तूबर के अंक में मानिकपुर पैक्स बैंक में 50 लाख का घोटाला शीर्षक से समाचार प्रकाशित किया था. उसके बाद पैक्स में हड़कंप मच गया.
जमाकर्ताओं ने पैक्स अध्यक्ष के सामने अपनी जमा राशि का कागजात उपलब्ध कराया, जिसमें सर्वाधिक पैसा ध्रुप सिंह के 12 लाख 50 हजार रुपये, तो लालमती देवी के 2.50 लाख रुपये, परमानंद प्रसाद के 128415 रुपये, परमानंद प्रसाद के 50 हजार, महातम प्रसाद के 60 हजार समेत लगभग 60 लाख रुपये का कागजात प्रस्तुत किया गया. इस पर अध्यक्ष ने लोगों के साथ मंथन करने के बाद शुक्रवार को भुगतान करने का निर्णय लिया. रामाशीष यादव ने सदस्यों से कहा कि धैर्य बना कर रखे. दो-चार किस्तों में राशि का भुगतान होगा.
पैक्स का तर्क
पैक्स सहकारिता विभाग के नियमानुकूल जमावृद्धि योजना के तहत काम कर रही है. कुछ पैक्स में गड़बड़ियां हैं. उसकी जांच कर कार्रवाई की जाये, लेकिन जो पैक्स बेहतर काम कर रही है, उनके कार्यों को देखते हुए विभाग को अब ठोस निर्णय लेने की जरूरत है. ये बैंक से भी बेहतर काम कर रही है.
देवेंद्र सिंह, अध्यक्ष पैक्स संघ, गोपालगंज
ऑडिट के साथ होगी कार्रवाई
ऑडिट नहीं होने के कारण कई पैक्स में यह समस्या उत्पन्न हुई है. अब पैक्स का ऑडिट के साथ ही कार्रवाई भी की जायेगी. ग्राहकों की राशि का गबन करना एक गंभीर मामला है.
बबन मिश्र, डीसीओ, गोपालगंज
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