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सोन नहर में पानी नहीं, किसान परेशान, रोहतास और कैमूर में रबी की खेती पर संकट

सोन नहर में पानी नहीं, किसान परेशान, रोहतास और कैमूर में रबी की खेती पर संकट20 दिसंबर को खुलना था नहर का गेट, अब तक नहीं खुलासंवाददाता, पटनासरकार ने सोन नहर में अब तक पानी नहीं छोड़ा है. इसके चलते रोहतास और कैमूर इलाके में रबी की खेती बाधित हो रही है. रबी की खेती […]

सोन नहर में पानी नहीं, किसान परेशान, रोहतास और कैमूर में रबी की खेती पर संकट20 दिसंबर को खुलना था नहर का गेट, अब तक नहीं खुलासंवाददाता, पटनासरकार ने सोन नहर में अब तक पानी नहीं छोड़ा है. इसके चलते रोहतास और कैमूर इलाके में रबी की खेती बाधित हो रही है. रबी की खेती के लिए सोन नहर को 20 दिसंबर तक ही सोन नहर में पानी छोड़ा जाना था. लेकिन, 30 दिसंबर बीत गया, अब तक नहरों में पानी नहीं आ पाया है. जानकार बताते हैं कि गेहूं की खेती के लिए सोन नहर में कम-से-कम 10 हजार क्यूसेक पानी की जरूरत है. जबकि, अभी इस नहर में मुश्किल से 12 सौ से 13 सौ क्यूसेक पानी ही उपलब्ध है. एक तो पानी की उपलबध्ता नहीं है. वहीं, सरकार की ओर से किसानों को इस संकट के बारे में कोई सूचना भी नहीं दी गयी है. वैकल्पिक उपायों की जानकारी नहीं दिये जाने से लाखों हेक्टेयर में लगी गेहूं की फसल चौपट होने की स्थिति में है. जानकार बताते हैं कि सोन नहर को वाण सागर जलाशय से जो पानी मिला वह खरीफ फसल में खर्च हो गया. रिहंद परियोजना से मिल रहे करीब 12 सौ से 13 सौ क्यूसेक पानी ही नगरों में उपलब्ध है. सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध नहीं होने से इलाके के किसान निराश हैं. एक ओर धान की फसल को नमी का बहाना बना कर खरीद नहीं की जा रही. जिसके कारण किसानों को रबी की वैकल्पिक सिंचाई के उपायों के लिए औने पौने दामों पर धान की बिक्री करनी पड़ रही है. जानकार बताते हैं कि कोसी और गंडक नदी के इलाकों को छोड़ दिया जाये तो कमोवेश पूरे राज्य में रबी की फसल को पानी के लाले पड़ रहे हैं. इधर, भागलपुर इलाके में अपर किउल जलाशय में पानी नहीं होने से सिंचाई विभाग ने 2015-16 में रबी फसल के लिए पानी उपलब्ध कराने से हाथ खड़े कर लिये हैं. विभाग ने किसानों को सिंचाई के वैकल्पिक उपायों को खुद इंतजाम करने की सलाह दी है. जगदानंद, पूर्व सिंचाई मंत्रीपानी नहीं होने की स्थिति में रोहतास और कैमूर के इलाके में रबी की फसल प्रभावित हो रही है. सरकार को किसानों को इस संकट की जानकारी देनी चाहिए थी. या तो उन्हें कहा जाना चाहिए कि पानी की संकट के चलते कम इलाकें में गेहूं की बुआई करें, नहीं तो वैकल्पिक उपायों को लेकर आगाह किया जाना चाहिए था. अभी भी समय बचा है, किसानों को सिंचाई के वैकल्पिक उपायों की जानकारी देनी चाहिए.

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