रोस्टर निर्धारण की अफवाह से बढ़ी बेचैनी भोरे. वार्ड सदस्य -‘का हो काका सुनाता की अपना पंचायत के मुखिया के पद रिजर्व हो गईल, चल ठीक भईल हमनी भी त मौका मिले के चाहीं नू. पिछला दू बेर से हम वार्ड सदस्य बानी, अबकी बेर मुखिया के चुनाव में भाग्य आजमावेके बा. बड़ी संजोग से चांस मिलल बा.’ काका-‘ काहे ना बाबू जे ही हमनी के दुख-दर्द समझी ओही के वोट दिहल जाई, वार्ड सदस्य- आरे काका काहे टेंशन लेहले बाड़. हम मुखिया बनेब नू त हे वृद्धा पेंशन के खातिर चक्कर न लगावेके पड़ी.’ इन दिनों चौक-चौराहे पर कुछ ऐसी ही बातें सुनने को मिल रही हैं. राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा आरक्षण रोस्टर में अधिकतर सीटों पर बदलाव की सूचना पर कई वार्ड सदस्य मुखिया बनने का सपना संजोने लगे हैं, साथ ही कई जनप्रतिनिधियों के सामने यह समस्या भी आने लगी कि अब किस पद का चुनाव लड़ा जाये. आरक्षण रोस्टर के बदलाव को लेकर इन दिनों अफवाह का बाजार काफी गरम है. हालांकि राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा अभी तक आरक्षण रोस्टर का प्रकाशन नहीं किया गया है, लेकिन चाय की दुकानों पर ही पंचायतों की सीटों का निर्धारण होने लगा है. पंचायत प्रतिनिधियों की धड़कनें तेज होने लगी हैं.
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रोस्टर नर्धिारण की अफवाह से बढ़ी बेचैनी
रोस्टर निर्धारण की अफवाह से बढ़ी बेचैनी भोरे. वार्ड सदस्य -‘का हो काका सुनाता की अपना पंचायत के मुखिया के पद रिजर्व हो गईल, चल ठीक भईल हमनी भी त मौका मिले के चाहीं नू. पिछला दू बेर से हम वार्ड सदस्य बानी, अबकी बेर मुखिया के चुनाव में भाग्य आजमावेके बा. बड़ी संजोग से […]
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