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शराब बंदी को लेकर पता नहीं कौन नशे में है और कौन होश में : मोदी

शराब बंदी को लेकर पता नहीं कौन नशे में है और कौन होश में : मोदी ट्वीट कर पूर्व डिप्टी सीएम ने ली बिहार सरकार और कांग्रेस पर जम कर चुटकी संवाददाता, पटना बिहार में शराबबंदी को ले कर सरकार के मंत्रियों व विधायकों के अलग-अलग आ रहे बयानों पर गुरुवार को पूर्व उप मुख्य […]

शराब बंदी को लेकर पता नहीं कौन नशे में है और कौन होश में : मोदी ट्वीट कर पूर्व डिप्टी सीएम ने ली बिहार सरकार और कांग्रेस पर जम कर चुटकी संवाददाता, पटना बिहार में शराबबंदी को ले कर सरकार के मंत्रियों व विधायकों के अलग-अलग आ रहे बयानों पर गुरुवार को पूर्व उप मुख्य मंत्री सुशील मोदी नें चुटकी ली है, उन्होेंने ट्वीट पर कहा है कि शराबबंदी को लेकर पता नहीं कौन नशे में है और कौन होश में, लेकिन बयानों से तो बहानेबाजी की गंध साफ आ रही है।उन्होंने ट्वीट पर कही है कि सरकार की जुबान लड़खड़ा रही है. कभी सिर्फ देसी शराब पर पाबंदी की बात होती है, तो कभी कहा जाता है कि राज्य में हर तरह की शराब के उत्पादन, विपणन और उपभोग पर प्रतिबंध लगेगा. एक तरफ मुख्यमंत्री पूर्ण मद्य निषेध का वादा निभाने की बात करते हैं, तो दूसरी तरफ लालू प्रसाद शराब कारोबारियों की व्यथा सुनते हैं. सत्ता के दो केंद्रों के बीच से बिहार स्टेट बिवरीज कारपोरेशन खुदरा विदेशी शराब की बिक्री भी अपने हाथ में लेने का रास्ता निकाल रहा है. उत्पाद आयुक्त ने अपने अधीनस्थ अधिकारियों को शराब गोदाम और दुकान के लिए हर जिले में जमीन खोजने का निर्देश भी जारी किया है. अपने ट्वीट में आज उन्होंने कांग्रेस पर भी तंज कसा है. उन्होंने कहा है कि धोखाधड़ी से नेशनल हेराल्ड प्रेस की करोड़ों की सम्पत्ति हथियाने के मामले में अदालत पर राजनीतिक दबाव बनाने के लिए कांग्रेस ने पहले संसद ठप की, अब सहानुभूति पाने के लिए सोनिया गांधी और राहुल गांधी ने इस मामले में जमानत न लेकर जेल जाने का मन बनाया है. उन्हें लगता है कि जेल जाने वाले किसी भी व्यक्ति को देश की जनता महान मान लेती है और अगर नाम के साथ गांधी जुड़ा हो, तब तो धोखा देना बहुत आसान हो जाता है. ट्वीट पर उन्होंने कहा है कि नालंदा जिले में तैनात एक प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी के खिलाफ भ्रष्टाचार के सबूत मिले. 16 दिसंबर को निगरानी विभाग ने छापा मारकर पटना और नालंदा में आरोपी के एक मकान, दो फ्लैट और 13 भूखंड की अकूत सम्पत्ति का पता लगाया. अगर, मुख्यमंत्री के गृह जिले के इस अधिकारी ने किसी तरह मुख्यमंत्री सचिवालय में अपनी पोस्टिंग करा ली होती, तो सीबीआई को भी छापा मारने से पहले काफी हिम्मत जुटानी पड़ती. भ्रष्टाचार पर बिहार सरकार के राजनीतिक रवैये का लाभ क्या शिक्षा अधिकारी को नहीं मिलता ? (नोट: खबर दोबारा पढ़ी गयी है)

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