वाम ब्लॉक का संयुक्त अभियान न चलने और 30 सीटों पर दोस्ताना लड़ाई के कारण भाकपा हारी चुनाव परिणाम को ले कर भाकपा हताश या मायूस नहीं, किंतु चिंतित जरुर है : सत्यनारायण सिंह महागंठबंधन सरकार का समर्थन नहीं, उसके जनहितैषी कार्यों व योजनाओं का सपोर्ट करेगी भाकपा सेक्यूलर विचारधारा वाले दलों से कोई परहेज नहीं, उनसे गंठबंधन को ले कर होगा विचार भारतीय कम्यूनिस्ट पार्टी की दो दिवसीय स्टेट कमेटी की बैठक में पार्टी को मजबूत बनाने का हुआ निर्णय संवाददाता, पटना अगर वाम ब्लाॅक का संयुक्त चुनाव प्रचार अभियान चला होता और 30 सीटों पर वाम दलों के बीच दोस्ताना संघर्ष न हुआ होता, तो भारतीय कम्यूनिष्ट पार्टी को बिहार विधान सभा चुनाव में मुंह की नहीं खानी पड़ती. इस सच को भारतीय कम्यूनिष्ट पार्टी की स्टेट कमेटी की बैठक में पार्टी ने बेहिचक स्वीकार किया. पार्टी की स्टेट कमेटी की बैठक रविवार को पार्टी मुख्यालय में चली. दो दिवसीय स्टेट कमेटी की बैठक में कमेटी के सभी सदस्यों के अलावा 98 विधान सभा क्षेत्र से चुनाव लड़े भाकपा के सभी प्रत्याशी शामिल हुए. बैठक में पार्टी ने एक-एक विधान सभा क्षेत्र के चुनाव परिणामों की समीक्षा की. वैठक में पार्टी के राज्य सचिव सत्यनारायण सिंह ने कहा की बिहार विधान सभा चुनाव परिणाम को ले कर भाकपा हताश या मायूस नहीं, किंतु चिंतित जरुर है. उन्होंने पार्टीजनों से चुनाव रिजल्ट को ले कर नाहक निराशा पालने से बचने की अपील की और आगे संघर्ष का नया रास्ता बनाने की अपील की. उन्होंने साफ-साफ कहा की भाकपा बिहार की नई महागंठबंधन सरकार का समर्थन नहीं करेगी. हां, उसके जनहितैषी कार्यों व योजनाओं का सपोर्ट करेगी. भाकपा महागंठबंधन सरकार को चुनाव में किये गये वायदें पूरा न करने पर उसे कटघरे में खड़ा करेगी. सिर्फ महागंठबंधन की बिहार सरकार पर ही नहीं, बल्कि केंद्र की भाजपा सरकार पर भी पार्टी नजर रखेगी. उन्होनें कहा की भाकपा बिहार में पार्टी का जनाधार और वढ़ायेगी. पार्टी वर्ष 2016 में कम-से-कम एक लाख सदस्य बनायेगी. उन्होंने बैठक में यह भी स्पष्ट किया कि भाकपा सेक्यूलर विचारधारा वाले दलों से कोई परहेज नहीं करेगी. सेक्यूलर दलों के साथ गंठबंधन को ले कर विचार किया जायेगा. भाकपा ने अपनी स्टेट कमेटी की बैठक में वाम ब्लॉक बनाये जाने के फैसले को सही करार दिया. बैठक में 98 प्रत्याशियों व स्टेट कमेटी के मेंबरों को पार्टी के पूर्व सचिव राजेंद्र प्रसाद सिंह, बद्री नारायण लाल, राम नरेश पांडेय, जब्बार आलम, जानकी पासवान, अखिलेश कुमार और राम बाबू कुमार आदि ने संगठन को और मजबूत बनाने के कई सुझाव दिये.
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वाम ब्लॉक का संयुक्त अभियान न चलने और 30 सीटों पर दोस्ताना लड़ाई के कारण भाकपा हारी
वाम ब्लॉक का संयुक्त अभियान न चलने और 30 सीटों पर दोस्ताना लड़ाई के कारण भाकपा हारी चुनाव परिणाम को ले कर भाकपा हताश या मायूस नहीं, किंतु चिंतित जरुर है : सत्यनारायण सिंह महागंठबंधन सरकार का समर्थन नहीं, उसके जनहितैषी कार्यों व योजनाओं का सपोर्ट करेगी भाकपा सेक्यूलर विचारधारा वाले दलों से कोई परहेज […]
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