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उत्तर बिहार में नईम ने तैयार किया था लश्कर का मॉड्यूल स्लीपर सेल

नईम से जुड़े सहयोगियों की कुंडली खंगालने में जुटीं सुरक्षा एजेंसियां गोपालगंज : नईम के सहयोगियों के सक्रिय होने की इनपुट मिलते ही खुफिया एजेंसियां एक बार फिर नईम के नेटवर्क को खंगालने में जुट गयी हैं. सुरक्षा एजेंसियों के रडार पर अभी कई लोग हैं, जिनका गहरा रिश्ता नईम से है. उनकी कुंडली खुफिया […]

नईम से जुड़े सहयोगियों की कुंडली खंगालने में जुटीं सुरक्षा एजेंसियां

गोपालगंज : नईम के सहयोगियों के सक्रिय होने की इनपुट मिलते ही खुफिया एजेंसियां एक बार फिर नईम के नेटवर्क को खंगालने में जुट गयी हैं. सुरक्षा एजेंसियों के रडार पर अभी कई लोग हैं, जिनका गहरा रिश्ता नईम से है. उनकी कुंडली खुफिया एजेंसियां तैयार करने में लगी हैं. खुफिया एजेंसियां गोपालगंज में डेरा डाल रखी है. लश्कर-ए-तैयबा के आतंकी शेख अब्दुल नईम भले ही छह माह पूर्व गिरफ्तार होकर दिल्ली की तिहाड़ जेल में कैद है,
लेकिन उसके द्वारा नेपाल बॉर्डर व उत्तर बिहार में तैयार किया गया स्लीपर सेल सुरक्षा एजेंसियों के लिए गंभीर चुनौती बना हुआ है. शेख अब्दुल नईम सोहैल खान बनकर लश्कर-ए-तैयबा का नेटवर्क गोपालगंज में वर्ष 2014 से फरवरी, 2017 तक रहकर तैयार किया. बता दें कि शेख अब्दुल नईम 2014 में भाग कर गोपालगंज आया और अपना नाम सोहैल खान बदलकर दो नामी स्कूल और कोचिंग में काम करने के बाद खुद अपना स्मार्ट लर्नर एकेडमी खोलकर उसके पीछे लश्कर का स्लीपर सेल तैयार करने में जुटा रहा. जब नईम के गोपालगंज में होने की इनपुट सुरक्षा एजेंसियों को मिली तो वह गोपालगंज से भागकर यूपी के वाराणसी में ठिकाना बना लिया था,
जहां गत 28 नवंबर, 2017 को गिरफ्तार किया गया. नईम की गिरफ्तारी के बाद जब खुलासा हुआ तो गोपालगंज में एनआईए की टीम ने छापेमारी कर नईम से जुड़कर लश्कर के लिए काम करने वाले सरेया वार्ड नंबर एक के रहने वाले एनएसयूआई से जुड़े वेदार बख्त उर्फ धन्नु राजा को गत एक दिसंबर, 2017 तथा दूसरे साथी खजूरबानी के रहने वाले महफूज आलम को 20 फरवरी, 2018 को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया.
कौन है शेख अब्दुल नईम
एनआईए के सूत्रों की मानें तो वर्ष 2006 में महाराष्ट्र के औरंगाबाद में लश्कर-ए-तैयबा द्वारा सप्लाई किये गये भारी मात्रा में एके-47 बरामद की गयी थी. इस मामले में औरंगाबाद पुलिस ने अबू जुंदाल समेत लश्कर के 22 आतंकियों को गिरफ्तार किया था. इसी मामले में लश्कर का सबसे सक्रिय आतंकी शेख अब्दुल नईम भी गिरफ्तार किया गया था.
वह महाराष्ट्र के औरंगाबाद का रहने वाला था. आंध्र प्रदेश में मक्का मस्जिद में आतंकी हमले, मुंबई में ट्रेन ब्लास्ट के भी आरोप नईम पर हैं. महाराष्ट्र पुलिस उसे वर्ष 2014 में कोलकाता से लेकर मुंबई जा रही थी, तभी छत्तीसगढ़ में रायपुर के करीब वह ट्रेन से कूद कर भाग निकला था. चलती ट्रेन से कूदकर भागने के बाद वह गोपालगंज पहुंचा था. उधर, उसके सभी साथी आतंकियों को महाराष्ट्र की मकोका अदालत ने वर्ष 2016 में सजा सुनायी, जिसमें सात आतंकियों को उम्रकैद की सजा हुई.
कश्मीर से जुड़कर तैयार किया था नेटवर्क
खुफिया एजेंसियों से जुड़े सूत्रों का कहना है कि गोपालगंज में रहने के दौरान वह कश्मीर गया और वहां लश्कर के आतंकियों से मिलकर उसने सैन्य प्रतिष्ठानों की जासूसी की. वह कुछ दिनों तक हिमाचल में भी रहा, जहां उसने कसोल में रेकी की. इसके अलावा वाराणसी व लखनऊ में अपने साथियों का बड़ा नेटवर्क बना लिया था. साथ ही उसने दिल्ली में भी कुछ महत्वपूर्ण सैन्य स्थलों की जासूसी की. वहां उसने वाराणसी में अपना नेटवर्क बनाया और किराये का कमरा लेकर रहने लगा. वह इस दौरान लगातार पाकिस्तान में बैठे आईएसआई और लश्कर के आकाओं के संपर्क में रहा. नईम के नेटवर्क का ताजा इनपुट मिलने के बाद उसके पूरे नेटवर्क को पुन: खंगाला जा रहा है.

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