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बिहार : इस दीवाली दीया नहीं, जलेंगे इनके दिल…जानिए क्‍यों

प्रकाश पर्व पर 45 हजार परिवारों में है अंधेरा गोपालगंज : बैकुंठपुर के खोम्हारीपुर गांव में एक दर्जन से अधिक लोग अपना घर तोड़ रहे हैं. इन्हें नारायणी के कटावी तांडव का खतरा है. दीवाली तो इन्हें याद ही नहीं. पूछने पर ये कहते हैं- इस दीवाली घर में दीये नहीं उनके दिल जलेंगे. बात […]

प्रकाश पर्व पर 45 हजार परिवारों में है अंधेरा

गोपालगंज : बैकुंठपुर के खोम्हारीपुर गांव में एक दर्जन से अधिक लोग अपना घर तोड़ रहे हैं. इन्हें नारायणी के कटावी तांडव का खतरा है. दीवाली तो इन्हें याद ही नहीं. पूछने पर ये कहते हैं- इस दीवाली घर में दीये नहीं उनके दिल जलेंगे. बात भी सोलह आने सच है. ठीक एक वर्ष पहले तक दियारे का गांव हो या उपरवार का, दीवाली के पांच दिन पहले ही खुशियों और उत्साह का रंग चढ़ जाता था. पटाखे छूटने लगते थे.

इस बार जिले के 45 गांवों में सन्नाटा है. कहीं भी दीवाली का रंग नहीं है. हो भी कैसे, इस बार नारायणी के कहर ने 45 हजार परिवारों को लक्ष्मी से जुदा कर दिया है. अगस्त में आयी बाढ़ ने सब कुछ छीन लिया है. दीवाली का उत्साह बच्चों में भी नहीं है. मां-बाप के दर्द को वे भी समझ रहे हैं. इस बार बाढ़पीड़ितों के बच्चे पटाखे की जिद नहीं कर रहे हैं.

रामपुर की कौशल्या देवी कहती है, दीवाली के बढ़िया खाना मिली की ना, एकरो ठीक नइखे. बाबू दीया कहां से जली. तेल-मोमबत्ती कहां से आयी. यह दर्द किसी एक का नहीं बल्कि 45 हजार परिवारों का है, जिसमें बच्चे, बूढ़े और जवान सभी हैं. दो दिन बाद पर्व शुरू हो रहा है, लेकिन इन पीड़ितों की दर्द पर्व की खुशियों पर भारी है.

राहत राशि भी नहीं दे पा रहीं दीवाली की खुशियां

बाढ़पीड़ितों के दर्द पर मरहम लगाने के लिए राहत राशि देने की घोषणा की गयी थी.प्रशासन और बैंक राहत राशि पीड़ितों के खाते में भेजने का दावा भी कर रहे हैं, लेकिन हकीकत यह है कि 95 फीसदी बाढ़पीड़ितों के खाते में राहत राशि नहीं पहुंच पायी है. ऐसे में मिलने वाली राहत राशि अब तक न तो इनके दर्द पर मरहम लगा पायी है और न ज्योति पर्व दीवाली पर खुशी दे पायी है. सवाल उठता है कि आखिर इनकी खुशी कब लौटेगी.

Prabhat Khabar Digital Desk
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