टिकारी़ चैत्र नवरात्र शुरू है. इसको लेकर ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों में स्थित देवी मंदिरों में चहल-पहल है. टिकारी से 11 किलोमीटर उत्तर केसपा गांव में मां तारा देवी का मंदिर है. यहां सालोभर पूजा-अर्चना की जाती है, लेकिन नवरात्र में विशेष पूजा-अर्चना की जाती है. नवरात्र के दौरान इस मंदिर में दूर-दूर से भक्तगण माता के दर्शन को आते हैं. भक्तों के स्वागत के लिए मंदिर परिसर को सजाया गया है. कई अस्थायी दुकानें सजी हुई हैं. जानकार व बुजुर्ग बताते हैं कि यह मंदिर धार्मिक और लोक आस्था का शक्तिपीठ माना जाता है. प्राचीन काल में महर्षि कश्यप मुनि का आश्रम इसी गांव में था. उन्हीं के नाम पर इस गांव का नामकरण कश्यप पड़ा. कालांतर में अपभ्रंश होकर केसपा के नाम से जाना जाता है. मान्यता है कि महर्षि कश्यप मुनि के द्वारा ही मां तारा देवी का मंदिर बनवाया गया था. आज भी उसी पुराने मंदिर में मां तारा देवी की प्रतिमा विराजमान है. नवरात्र में मां तारा देवी की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है. इस अवसर पर श्रद्धालुओं व भक्तजनों द्वारा देवी के समक्ष घी के दीये जलाये जाते हैं, जो नौ दिन तक अनवरत जलता रहता है. अष्टमी की रात में माता का विशेष शृंगार किया जाता है. शृंगार दर्शन व सांस्कृतिक कार्यक्रम के लिए अपार भीड़ उमड़ती है.
मंदिर की बनावट
कच्ची मिट्टी और गदहिया ईंट से निर्मित मंदिर के गर्भ गृह की दीवारें पांच फीट मोटी हैं. गर्भ गृह की सुंदर नक्काशी मंदिर में प्रवेश करनेवाले श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकर्षित करता है. गर्भगृह में विराजमान मां तारा देवी की वरद हस्त मुद्रा में उत्तर विमुख आठ फीट ऊंची आदमकद प्रतिमा काले पत्थर की बनी हुई है. मां तारा देवी के दोनों ओर दो योगिनी खड़ी हैं. मंदिर के चारों ओर एक बड़ा चबूतरा है.उक्त चबूतरे पर बैठकर लोग दुर्गा सप्तशती का पाठ करते हैं.
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