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लिंग के आधार पर न हो भेदभाव

बोधगया : मगध विश्वविद्यालय के नारी शिक्षा विभाग द्वारा शनिवार को आयोजित सेमिनार में मुख्य अतिथि राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के प्रधान सचिव व्यासजी ने कहा कि शिक्षा की नयी नीति बनाते समय हमें यह भी देखना होगा कि पहले की नीतियों में कमी कहां रह गयी थी. उन्होंने समाज के विकास व बेहतरी […]

बोधगया : मगध विश्वविद्यालय के नारी शिक्षा विभाग द्वारा शनिवार को आयोजित सेमिनार में मुख्य अतिथि राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के प्रधान सचिव व्यासजी ने कहा कि शिक्षा की नयी नीति बनाते समय हमें यह भी देखना होगा कि पहले की नीतियों में कमी कहां रह गयी थी. उन्होंने समाज के विकास व बेहतरी को ध्यान में रख कर शिक्षा नीति बनाने की वकालत की व कहा कि लिंग के आधार पर भेदभाव से रहित नीति आज की जरूरत है.
व्यासजी ने कहा कि आज देश की स्थिति ऐसी है कि महिलाएं खुद के बारे में भी स्वतंत्र रूप से कोई नर्णिय नहीं ले सकतीं. बेटियां पैदा होने से घरों में उदासी का माहौल छा जाता है.
इससे हमारी मानसिकता का परिचय मिलता है कि हम महिलाओं के प्रति कैसा सोच रखते हैं. प्रधान सचिव ने कहा कि सरकार की साइकिल योजना महिला सशक्तीकरण को ध्यान में ही रख कर शुरू की गयी है. लेकिन, इससे काम नहीं चलेगा. हमें गांवों में परिवहन व्यवस्था को ठीक करना होगा व गांव-गांव में स्कूल बस चलानी होगी. इससे खास कर छात्राओं को उच्च शक्षिा का लाभ मिल पायेगा.
उन्होंने महिलाओं के प्रति सदियों से घर कर बैठी धारणा को बदलने की बात कही व स्कूली शिक्षा में भी लिंग भेद के अंतर को खत्म करने में शिक्षकों की भूमिका को अहम् बताया.
इस अवसर पर डीएम कुमार रवि ने कहा कि फिलहाल राजनीतिक, शैक्षिक, आर्थिक व सामाजिक रूप से भी महलाओं में विभेद है व इसे खत्म करने के लिए शिक्षा नीति बनानी होगी. डीएम ने एक उदाहरण के हवाले से कहा कि कम उम्र में लड़कियों की शादी कर देने से भी शिक्षा के लाभ से वे वंचित रह जाती हैं. इसके लिए जागरूकता फैलाने की जरूरत है.
उन्होंने कहा कि पहली अप्रैल से शराबबंदी का असर यह होगा कि महिलाएं घरेलू हिंसा से राहत महसूस करेंगी. उन्होंने कहा कि किताबों में भी लड़कियों को डॉल से व लड़कों को गेंद से खेलते हुए दिखाया जाता है. इस कारण बचपन से ही लिंग भेद का वातावरण पनप रहा है.
स्क्रिप्ट रायटर शैवाल ने दामुल, कामिनी व मृत्युदंड जैसी फिल्मों की चर्चा करते हुए महिला अत्याचार व सशक्तीकरण पर प्रकाश डाला. सेमिनार में एमयू के कुलपति प्रो एम इश्तियाक ने प्रसन्नता जाहिर करते हुए कहा कि आधी आबादी के उत्थान को लेकर की जा रही चर्चा का लाभ मिलेगा व समाज व देश में महिला-पुरुष में व्याप्त असमानता को दूर करने की दिशा में कारगर शिक्षा नीति बना कर इसका फायदा पहुंचाया जा सकेगा. सेमिनार में अन्य वक्ताओं ने भी नयी शिक्षा नीति व महिला उत्थान पर अपने विचारों से अवगत कराया.
स्वागत भाषण नारी शिक्षा विभाग की अध्यक्ष प्रो कुसुम कुमारी ने दिया व मंच का संचालन डॉ धनंजय धीरज ने किया. सेमिनार में विभन्नि विभागों के शिक्षक व नारी शिक्षा विभाग की छात्राएं मौजूद थीं. इससे पहले दीप प्रज्वलित कर सेमिनार का उद्घाटन किया गया व महात्मा गांधी की याद में दो मिनट का मौन रख कर उन्हें श्रद्धांजलि दी गयी.

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