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राष्ट्रीय कार्यशाला : मगध विवि बायोटेक्नोलॉजी व जूलॉजी विभाग में ” रिसर्च बेस्ड पेडागोगिकल टूल्स” पर हुई चर्चा
बोधगया : मगध विश्वविद्यालय के जूलॉजी व बायोटेक्नोलॉजी विभाग में सोमवार को आयोजित राष्ट्रीय कार्यशाला में एसकेएमयू, दुमका के प्रतिकुलपति प्रो हनुमान शर्मा ने कहा कि इस धरती के कई पौधों(प्लांट्स) में बहुत से ऐसे तत्व मौजूद हैं, जिससे हम अपने जीवन में कई घातक बीमारियों से बचाव कर सकते हैं. इसमें कैंसर भी शामिल […]
बोधगया : मगध विश्वविद्यालय के जूलॉजी व बायोटेक्नोलॉजी विभाग में सोमवार को आयोजित राष्ट्रीय कार्यशाला में एसकेएमयू, दुमका के प्रतिकुलपति प्रो हनुमान शर्मा ने कहा कि इस धरती के कई पौधों(प्लांट्स) में बहुत से ऐसे तत्व मौजूद हैं, जिससे हम अपने जीवन में कई घातक बीमारियों से बचाव कर सकते हैं. इसमें कैंसर भी शामिल है. रिसर्च बेस्ड पेडागोगिकल टूल्स पर आयोजित कार्यशाला में बतौर मुख्य वक्ता प्रो शर्मा ने इस दौरान प्लांट टिस्सू कल्चर और बायोटेक से संबंधित रिसर्च व इसकी उपयोगिता के बारे में विस्तार से जानकारी दी.
इससे पहले मगध विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति प्रो केएन पासवान ने कहा कि इस तरह के सिंपोजियम किसी भी संस्थान का लाइफ लाइन होता है. इससे शिक्षकों व छात्रों को लाभ मिलता है. कार्यशाला में नालंदा खुला विश्वविद्यालय,पटना के कुलपति पद्मश्री प्रो आरके सिन्हा ने कहा कि टीचिंग स्किल में प्रश्न व क्यों का बड़ा महत्व है. बगैर क्यों और कैसे के किसी भी रिसर्च की कल्पना संभव नहीं है.
अतएव बच्चों को प्रश्न पूछने के लिए प्रेरित किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि पौधे दुनिया की सबसे बड़ी केमिकल डेनसिटी है. उन्होंने कहा कि ऑब्जर्वेशन किसी भी रिसर्च की रीढ़ की हड्डी है.समस्या में ही समाधान समाहित होता है. बस इसे समझने की जरूरत है. इस ज्ञान की धरती से हम अज्ञानता से दूर कैसे रह सकते हैं, इसके लिए इमोशनल अटैचमेंट जरूरी है व पढ़ने के दौरान शरीर व मन की उपस्थिति साफ होने चाहिए.
शोधार्थियों व शिक्षकों को होगा लाभ
कार्यशाला में बायोटेक्नोलॉजी विभाग के पूर्व निदेशक प्रो केबी शर्मा ने कहा कि इस विभाग के पहले डायरेक्टर के रूप में कार्य करने के बाद आज जब इस विभाग की स्थिति देख रहा हूं, तो एहसास हो रहा है कि विभाग की स्थिति दिन प्रति दिन अग्रसर बढ़ रहा है. एमयू के डीएसडब्ल्यू प्रो सत्यरतन प्रसाद सिंह ने कहा कि जन मानस में हर पल एक नयी समस्या का आगमन हो रहा है. और समस्याओं का निदान शोध से ही दूर किया जा सकता है.
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