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जगवालों की पीड़ा हरने लहर-लहर लहराये बादल

गया : गया जिला हिंदी साहित्य सम्मेलन भवन में काव्य संध्या का आयोजन सभापति सुरेन्द्र सिंह सुरेन्द्र की अध्यक्षता में किया गया. इसका संचालन संजीत कुमार ने किया. इस अवसर पर मुजफ्फरपुर के साहेबगंज से आये अतिथि कवि राम नारायण ने व्यवस्था पर चोट करते हुए भोजपुरी में अपनी कविता ‘कइसन माजा बाटे देखी चमचागिरि’ […]

गया : गया जिला हिंदी साहित्य सम्मेलन भवन में काव्य संध्या का आयोजन सभापति सुरेन्द्र सिंह सुरेन्द्र की अध्यक्षता में किया गया. इसका संचालन संजीत कुमार ने किया. इस अवसर पर मुजफ्फरपुर के साहेबगंज से आये अतिथि कवि राम नारायण ने व्यवस्था पर चोट करते हुए भोजपुरी में अपनी कविता ‘कइसन माजा बाटे देखी चमचागिरि’ सुनायी. पूर्व सभापति डॉ रामकृष्ण ने अाद्रा के आगमन पर मगही गीत गाया, अाद्रा पहुना घर अलन, घर–घर धूम मचल हे–राम.
वर्षा ऋतु के आगमण पर डॉ कुमारी रश्मि प्रियदर्शनी ने कहा, इंतजार की घड़ियां बीतीं, नभमंडल में छाए बादल, जगवालों की पीड़ा हरने, लहर–लहर लहराए बादल. वहीं नीतू गुप्ता ने गाया, मेघा बरसे मन मेरा तरसे, कब आओगे सजन जी कब आओगे. संजीत कुमार ने गीत गाया–आई रे आई देखो बरसात, रिमझिम लेकर फुहार आयी. इसके अलावा रामावतार सिंह, कुमारकांत, विनोद कुमार, खालिक हुसैन परदेसी, जयराम सत्यार्थी, यदुनंदन प्रसाद, रवि कांत, शिव बच्चन सिंह, राजीव रंजन, शिव प्रसाद सिंह, गजेन्द्र लाल अधीर, कपिलदेव, संजू प्रसाद, विजय कुमार सिन्हा, डाॅ सुल्तान अहमद ने भी अपनी कविताएं पढ़ीं. वहीं, अजीत कुमार, मुद्रिका सिंह, विजय कुमार, डॉ राम परिखा सिंह, जयप्रकाश सिंह ने वासुदेव प्रसाद को अपनी कविताएं समर्पित कीं. इसके अलावा डॉ राकेश कुमार सिन्हा रवि ने कागजी व्यवस्था पर हथौड़ा चलाया, बिना पानी करते हैं नाव की सवारी, काम हुआ नहीं बस रिपोर्ट की तैयारी.

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