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डायन का आरोप लगा कर विधवा की पिटाई

नपं अध्यक्ष, उपाध्यक्ष व ईओ सहित पांच पर केस दहेज के लोभी पिता के मंसूबे पर बेटे ने फेरा पानी बिना दहेज के रचायी शादी डुमरिया : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के द्वारा चलाये गये अभियान दहेज नहीं लेना नहीं देना का असर डुमरिया में देखने को मिलने लगा है. पिता द्वारा दहेज मांगे जाने पर […]

नपं अध्यक्ष, उपाध्यक्ष व ईओ सहित पांच पर केस

दहेज के लोभी पिता के मंसूबे पर बेटे ने फेरा पानी बिना दहेज के रचायी शादी
डुमरिया : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के द्वारा चलाये गये अभियान दहेज नहीं लेना नहीं देना का असर डुमरिया में देखने को मिलने लगा है. पिता द्वारा दहेज मांगे जाने पर स्वयं लड़का (दूल्हा) ने बिना दहेज लिये ही मैगरा शिव मंदिर में दुल्हन से शादी की. शेरघाटी थाना क्षेत्र के भुजौल गांव निवासी कमलेश पासवान ने अपने पुत्र शत्रुघ्न पासवान की शादी डुमरिया थाना क्षेत्र के भोकहा निवासी महेंद्र पासवान की बेटी प्रीति कुमारी से तय की थी. लड़की के पिता गरीबी के कारण दहेज देने में सक्षम नहीं हो पा रहे थे.
शादी तय हुए महीनों बीत जाने के बाद भी शादी नहीं हो पा रही थी. शादी होने में देर होता देख लड़का शत्रुघ्न ने कारण जानना चाहा तो पता चला कि लड़की पक्ष के द्वारा दहेज जुटा पाने में देर होने के कारण विवाह में विलंब हो रहा है. उसने लड़की पक्ष को आश्वासन दिया कि बिना दहेज के शादी करेंगे. मंगलवार को लड़का पक्ष के सारे लोग कृष्ण शिव मंदिर विवाह कुटीर मैगरा में लड़की पक्ष के सारे लोगों को बुला कर बिना दहेज लिये शादी कर समाज में एक नया मिसाल कायम किया है.
बाद में लड़का पक्ष के सारे अभिभावक भी रजामंदी हो गये व वर वधू को आशीर्वाद दिया. वर-वधू पक्ष से अर्जुन पासवान, यदू पासवान, उदय पासवान, उपेंद्र पासवान सहित कई लोग मौजूद थे.
गया जिला
उत्क्रमित हुआ स्कूल, फिर भी नहीं हुई शिक्षकों की तैनाती
क्या कहते हैं बीईओ
उत्क्रमित उच्च विद्यालयों में शिक्षकों की कमी को लेकर विभाग को पत्र के माध्यम से सूचना भेजी गयी है. शिक्षक की उपलब्धता के आधार पर प्रतिनियोजन कर कई उत्क्रमित विद्यालयों को चलाया जा रहा है.
सुनील कुमार, बीईओ
क्या कहते हैं ग्रामीण
ग्रामीण श्याम सिंह, रमेश चंद्र, अनुप्रिया देवी, पुष्पा देवी आदि ने शिक्षा व्यवस्था पर नाराजगी प्रकट करते हुए कहते हैं कि एक तरफ सरकार के द्वारा गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की बात की जाती है. दूसरी तरफ, यहां सरकारी शिक्षा खुद इतना बदहाल है कि ऐसे में सरकार के सभी दावे फेल होते दिख रहे है. ग्रामीणों ने बताया कि विषयवार शिक्षकों की नियुक्ति न होने से स्कूल में शिक्षा की स्थिति बेहतर होने के बजाय और भी खराब होती चली जा रही है. अभिभावकों का कहना है कि विद्यालय में केवल फॉर्म ही भरा जाता है. छात्र-छात्राओं की भविष्य की चिंता किसी को नहीं है. अभिभावकों को इस बात का मलाल है कि वर्षों गुजर जाने के बाद भी अधिकारियों ने इसकी सुध तक नहीं ली है.

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