मिथिला में किया जाता 85 प्रतिशत मखाना का उत्पादन
मां सीता की धरती को केंद्र व राज्य सरकार संवारने का करेगी काम
बहादुरपुर. मिथिला का मखाना देश के अलावा विदेशों तक अपनी पहचान बना चुका है. मिथिला में 85 प्रतिशत मखाना का उत्पादन किया जाता है. यह बातें उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने रविवार को केंद्रीय मखाना अनुसंधान केन्द्र में आयोजित किसान संवाद कार्यक्रम के दौरान कही. उन्होंने कहा कि मखाना बोर्ड के गठन से पूर्व किसानों की समस्याएं सुनना आवश्यक है. केन्द्र व राज्य सरकार मखाना व मछली पालन क्षेत्र के विस्तार पर काम कर रही है. किसानों को आसानी से भूमि का पट्टा कैसे मिले, उसपर भी काम किया जा रहा है. मखाना व मछली पालन करने वाले किसानों को आयुष्मान भारत से जोड़ा जा रहा है. कहा कि मां सीता की धरती को केंद्र व राज्य सरकार संवारने का काम करेगी. मिथिला का मुख्य फसल मखाना- सांसदसांसद गोपालजी ठाकुर ने कहा कि मिथिला का मुख्य फसल मखाना है. 2002 में मखाना अनुसंधान केंद्र दरभंगा को मिला. इसके 18 साल बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा इसे राष्ट्रीय अनुसंधान केंद्र का दर्जा मिला. मखाना को जीआइ से टैग किया गया. उन्होंने केंद्रीय कृषि मंत्री से उत्तर बिहार के सभी निचले क्षेत्रों का सर्वे कराने, किसानों को प्रशिक्षण दिलाने, अनुसंधान केन्द्र में कृषि वैज्ञानिक की कमी दूर करने व मखाना-मछली पालन को बढ़ावा देने की मांग की. वहीं मधुबनी के सांसद डॉ अशोक यादव ने कहा कि मखाना की रोपनी से लेकर लावा निकालने तक के लिए यंत्र की व्यवस्था होनी चाहिये. किसानों को कृषि ऋण पांच प्रतिशत करने की मांग की.
केंद्रीय कृषि मंत्री व डिप्टी सीएम ने की मखाना की रोपनी
दरभंगा. केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान व उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने अनुसंधान परिसर स्थित पानी से भरे तालाब में मखाना का पौधारोपण किया. धोती-कुर्ता पहन कर दोनों पौधारोपण करने तालाब में उतरे. मखाना की रोपनी के दौरान ही केंद्रीय मंत्री ने वहां मौजूद किसानों से मखाना के बीज, पौधे आदि के बारे में जानकारी ली. मखाना अनुसंधान केन्द्र के प्रधान वैज्ञानिक डॉ इंदु शेखर सिंह व किसान राजीव कुमार झा ने उन्हें अनुसंधान केंद्र में विकसित मखाना के स्वर्ण वैदेही बीज के बारे में जानकारी दी. केंद्रीय मंत्री ने परिसर में फलदार पौधे भी लगाये.
अनुसंधान केन्द्र में लगे यंत्रों का लिया जायजाकेंद्रीय कृषि मंत्री व उप मुख्यमंत्री ने अनुसंधान केन्द्र परिसर में लगे मखाना उत्पादन व प्रोसेसिंग से संबंधित यंत्रों को देखा. यंत्र संचालन के बावत जानकारी ली.
किसानों ने मंत्री के सामने रखी खेती व मार्केट की समस्या
दरभंगा. केंद्रीय कृषि मंत्री ने विभिन्न प्रखंडों से आये मखाना उत्पादक किसानों से खेती में हो रही कठिनाइयों पर संवाद किया. इस दौरान आठ किसानों ने खेती में हो रही समस्या को रखा. मखाना उत्पादक जाले प्रखंड के धीरेंद्र कुमार ने कहा कि मिथिला में मखाना का उत्पादन तो लोग कर लेते हैं, लेकिन मंडी नहीं होने के कारण कमाई बड़े व्यापारी उठा लेते हैं. कहा कि इसलिए यंत्रीकरण व मंडी की स्थापना जरूरी है. मनीगाछी के रामनाथ सहनी ने कहा कि मखाना की खेती के लिये कृषि ऋण की व्यवस्था करने की मांग उठायी. शिवेश ठाकुर ने कहा कि अच्छे बीज, ऑर्गेनिक तरीके से हार्वेस्टिंग की जरूरत जतायी. कटिहार की संतोषी ने मखान गुड़ी व लावा का मूल्य निर्धारित किये जाने की बात कही. बहादुरपुर के महेश मुखिया ने कहा कि मखाना की खेती के लिए जमीन मालिकों द्वारा एग्रीमेंट नहीं जाता किया जाता है. बाढ़ आने के समय फसल बर्वाद हो जाती है. इसका निदान किये जाने की आवश्यकता है.
ग्रामीण स्तर पर हो बिक्री केंद्रों की स्थापनाराजू सहनी ने कहा कि ग्रामीण स्तर पर बिक्री केंद्रों की स्थापना होनी चाहिए. केवटी के बबलू सहनी ने कहा कि मखाना की खेती में मजदूरों की कमी बड़ी समस्या है. राजीव झा ने किसानों को लीज पर जमीन देने, किसानों को प्रशिक्षण देने, कृषि ऋण की सुविधा आदि की मांग रखी. मौके पर मंत्री हरि सहनी, विधायक प्रो. विनय कुमार चौधरी, रामचंद्र साह, जीवेश कुमार, उद्यान निदेशालय के आयुक्त डॉ प्रभात शुक्ला, आइसीएआर दिल्ली के सहायक उप महानिदेशक डॉ केनर सरिया, सीपैड लुधियाना के डॉ आर विश्वकर्मा, डीएम राजीव रोशन, डीडीसी चित्रगुप्त कुमार, एसडीपीओ अमित कुमार, संयुक्त निदेशक शष्य संजय नाथ तिवारी, डीएओ सिद्धार्थ, उद्यान के सहायक निदेशक नीरज कुमार झा, बीज विश्लेषण के सहायक निदेशक अमित रंजन, मखाना अनुसंधान केन्द्र के वैज्ञानिक डॉ मनोज कुमार, केंद्रीय विश्वविद्यालय पूसा के वैज्ञानिक डॉ पीएस पाण्डेय, जाले कृषि विज्ञान केन्द्र के प्रधान वैज्ञानिक डॉ दिव्यांशु शेखर आदि मौजूद थे.
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