Darbhanga News: दरभंगा. विक्रम संवत के प्रथम दिन चैत्र शुक्ल प्रतिपदा पर शहर का नजारा बदला हुआ था. लोगों के घरों-प्रतिष्ठानों पर भगवा झंडे लहरा रहे थे. मंदिरों से भक्ति गीतों के बोल फूट रहे थे. अष्टयाम के मंत्र भक्तिरस घोल रहे थे. लोगों के चेहरे से नूतन वर्ष के अभिनंदन की खुशी साफ झलक रही थी. वहीं सुबह से ही लोग एक-दूसरे को व्यक्ति स्तर से तथा सोशल मीडिया के जरिए शुभकामनाएं दे रहे थे. इस दौरान विश्व हिंदू परिषद के नेतृत्व में बड़ी संख्या में लोग बाइक शोभा यात्रा निकाल घूम-घूमकर शहरवासियों को इसकी शुभकामना दे रहे थे. रविवार की सुबह लोगों ने पवित्र जल से स्नान कर पूजा-अर्चना की. अपने ईश के साथ बड़ों का आशीर्वाद लेकर नये साल का आरंभ किया. घरों में बने लजीज पकवान का आनंभ भी लिया. भारतीय नव वर्ष पर विश्व हिंदू परिषद बजरंग दल की ओर से शहर के कर्पूरी चाैक से भव्य बाइक शोभा यात्रा निकाली गयी. वाहनों तथा हाथों में भगवा झंडा लिए चल रहे लोग जय श्री राम, भारत माता की जय, नववर्ष मंगलमय हो का जयकारा लगाते चल रहे थे. परिषद के सह जिला मंत्री राजीव प्रकाश मधुकर, कार्यक्रम संयोजक पंकज बाड़ी, सह संयोजक सुमित कुमार राय इसका संयुक्त रूप से नेतृत्व क रहे थे. कर्पूरी चौक से निकली यह यात्रा लहेरियासराय टावर, लोहिया चौक, डॉ राजेंद्र प्रसाद चौक, नाका छह, विक्रमपुर, मौलागंज, नाका पांच, जेपी चौक, सुभाष चौक, दरभंगा टावर, भगत सिंह चौक, आयकर चौराहा, डेनवी रोड, स्टेशन रोड, दोनार होते हुए वापस कर्पूरी चौक पहुंची, जहां इसका समापन किया गया. मौके पर भारत माता की आकर्षक झांकी साथ चल रही थी. गाजे-बाजे के साथ निकली इस यात्रा से नजारा बदल गया था. इस अवसर पर परिषद के प्रांतीय शशिनाथ दास ने कहा कि हिंदू समाज संपूर्ण रूप से अपने धर्म और ग्रंथ की जानकारी प्राप्त कर रहा है. विरोधियों के द्वारा सनातन धर्म के अस्तित्व को मिटाने की कई बार कोशिश की गयी, परंतु सनातन धर्म व संस्कृति को मिटा नहीं सके. इसे अब संघ और संगठन के लोग उजागर कर रहे हैं. इस तिथि की महत्ता को रेखांकित करते हुए कहा कि विक्रम संवत की शुरूआत इसी दिन से होती है. ब्रह्माजी ने सृष्टि की रचना भी इसी दिन आरंभ की थी. वासंती नवरात्र आरंभ होता है. द्वापर में युधिष्ठर ने युगाब्द की शुरूआत की थी. इसी दिन राष्ट्रीय संघ सेवक संघ के संस्थापक डॉ केशव बलिराम हेडगेवार का जन्म हुआ था. प्रभु श्रीराम का राज्याभिषेक भी इसी तिथि को हुआ था.
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