राहत की बूंदें बनीं आफत. सामान्य से 130 फीसदी अधिक हुई बारिश
सड़कें डूबीं, घरों में घुसा बरसात का पानी
पानी में तैरते नजर आ रहे सरकारी कार्यालय
स्कूली बच्चों को हो रही सबसे अधिक परेशानी
दरभंगा : जिस वर्षा के लिए बेसब्री से िजले के लोग इंतजार कर रहे थे, वह जब शुरू हुआ तो एक सप्ताह में ही लोग तौबा करने लगे. कारण उनकी परेशानी इस बरसात ने बढ़ा दी है. घर से निकलना मुश्किल कर दिया है. गलियों की बात तो दूर मुख्य सड़क भी इस पानी में विलीन सी नजर आने लगी है. कई मोहल्लों में तो बरसात का पानी लोगों के घरों में प्रवेश कर गया है. बिना बाढ़ के ही बाढ़ सा नजारा दिखने लगा है. जलनिकासी के पुख्ता
प्रबंध नहीं होने के कारण पानी जस का तस पड़ा है. शहरवासियों को इस समस्या से निजात दिलाने को कोई पहल होती भी नजर नहीं आ रही.
िनगम पर लगा लापरवाही का आरोप
समाहरणालय परिसर में जलजमाव.
घरों में घुसा पानी
लगातार हो रही वर्षा से कई मुहल्ले जलमग्न हो गये हैं. पूरा लक्ष्मीसागर डूबा हुआ है. रहमगंज में मुख्य सड़क के पश्चिम के मुहल्ले में लोगों के घरों में बरसात का पानी घुस गया है. बलभद्रपुर, मदारपुर, बंगालीटोला, पुरानी मुंसफी, रहम खां, उर्दू मुहल्ला, डेनबी रोड सहित करीब दो दर्जन मुहल्लों में घरों में यह पानी प्रवेश कर गया है. यहां के लोगों की परेशानी का अनुमान सहज ही लगाया जा सकता है.
जलनिकासी का प्रबंध नहीं
आज की तिथि में शहर की सबसे बड़ी समस्या जल निकासी के लिए पुख्ता प्रबंध नहीं होना है. इसके लिए डीपीआर तैयार भी हो चुका है, लेकिन धरातल पर काम नहीं होने के कारण यह समस्या जस की तस पड़ी है. अब तो यह मुद्दा सियासी रंग भी ले चुका है. विपक्षी दल भाजपा इसके लिए मुख्यमंत्री की गैर संजदीगी को जिम्मेवार मान रहे हैं. खैर मामला जो भी हो, लेकिन इसने शहरवासियों की जिंदगी को पूरी तरह नारकीय बनाकर छोड़ दिया है.
सरकारी काम प्रभावित
यह बरसात सरकारी कार्यालयों के लिए आफत की तरह आयी है. समाहरणालय तक बरसात के पानी में तैरता नजर आ रहा है. इसके बरामदे के नीचे पूरा परिसर जलमग्न हो गया है. शिक्षा विभाग के कार्यालय भी तैरते नजर आ रहे हैं. सबसे अधिक नारकीय स्थिति तो पीएचइडी कार्यालय का है. यहां तो ऐसा लगता है मानो बाढ़ आ गयी है. डीएमसीएच परिसर भी जलमग्न हो गया है. जाहिर तौर पर मरीज के परिजनों को काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है. दरअसल सड़क व सामान्य जमीन के बीच छिड़ी ऊंचा करने की जंग में आम लोगों ने तो सड़क की ऊंचाई बढ़ने के साथ अपने परिसर को ऊंचा कर लिया, लेकिन सरकारी कार्यालय की स्थिति कटोरा सरीखा हो गया.
सितंबर में िरकार्ड बािरश
चालू सितंबर महीने में मानो आसमान ने अपनी पोटली खोल दी है. झमाझम बरसात हो रही है. आलम यह है कि इस महीने में अभी 20 दिन शेष हैं, लेकिन औसत मासिक वर्षा से आधा से अधिक वर्षापात का रिकार्ड दर्ज हो चुका है. दरअसर इस साल चालू महीने में रिकार्ड वर्षा हुई है. बता दें कि सितम्बर में सामान्य रूप में 205.80 मिली मीटर वर्षा होनी चाहिए. विभागीय आंकड़े के अनुसार एक से नौ सितंबर तक 61.47 मिली मीटर बरसात होनी चाहिए, लेकिन वर्षापात का रिकार्ड 130 फीसदी अधिक दर्ज किया गया है. इस अवधि में अभी तक 144.4 मिली मीटर वर्षा हो चुकी है.