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जाम हैं आउटलेट व नाले कैसे होगी जलनिकासी

लापरवाही. अब तक नालों की नहीं शुरू हुई साफ-सफाई मानसून सिर पर है. दो दिन पूर्व मात्र दो घंटे की वर्षा के बाद शहर के कई मोहल्ले जिस तरह जल जमाव से प्रभावित हुए, उसे देखकर भविष्य की चिंता ओर बढ़ गयी है. मौसम वैज्ञानिक इस वर्ष और अधिक बारिश की संभावना जता रहे हैं. […]

लापरवाही. अब तक नालों की नहीं शुरू हुई साफ-सफाई

मानसून सिर पर है. दो दिन पूर्व मात्र दो घंटे की वर्षा के बाद शहर के कई मोहल्ले जिस तरह जल जमाव से प्रभावित हुए, उसे देखकर भविष्य की चिंता ओर बढ़ गयी है. मौसम वैज्ञानिक इस वर्ष और अधिक बारिश की संभावना जता रहे हैं. अब तक संविदा पर कार्यरत गैंग टीम से तीन जगहों पर नालों की सफाई की जा रही है. लेकिन सफाई की जो गति है, उसमें ससमय सभी नालों की सफाई की संभावना नहीं दिखती.
कई मोहल्ले जलजमाव से प्रभावित
भूमिगत नालाें की नहीं हो रही सही ढंग से सफाई
कर्पूरी चौक से सैदनगर तक शहर के लगभग एक-तिहाई भाग की जलनिकासी भूमिगत नाला से होती है. सैदनगर से जलनिकासी के लिए वहां संप हाउस भी वर्षों से लगे हैं. करीब दो वर्ष पूर्व तत्कालीन नगर आयुक्त महेंद्र कुमार की देख रेख में भूमिगत नाला की गहन सफाई हुई थी. वर्तमान में भी कहने को इस नाला की सफाई दैनिक मजदूरों से करायी जा रही है. निगम के अधिकारियों की मानें तो अब तक कर्पूरी चौक से आरबी मेमोरियल अस्पताल तक इस नाले की सफाई हुई है. लेकिन सफाई की जो गति व प्रक्रिया है, उसे देखते हुए ऐसे लगता है कि बरसात के बाद इस नाला से जलनिकासी नहीं हो पायेगा.
जून के दूसरे सप्ताह तक नालों की होगी सफाई
लहेरियासराय चट्टी चौक से गुदरी, सकमा पुल से मिश्रटोला एवं सकमा पुल से नगर निगम गोदाम होते हुए दरभंगा टावर तथा बिहार मोटर गैरेज से कटहलबाड़ी होते हुए हराही तक नालों की सफाई गैंग टीमों के माध्यम से की जा रही है. कर्पूरी चौक से सैदनगर तक भूमिगत नाला की सफाई दैनिक मजदूरों से कराया जा रहा है. जून के दूसरे सप्ताह तक सभी नालों की सफाई करा दी जायेगी.
नागेंद्र कुमार सिंह, नगर आयुक्त, दरभंगा
दरभंगा : शहर की बनावट ऐसी है कि निकट से गुजर रही बागमती में बािरश के जल की निकासी न होकर करीब छह किलोमीटर पूर्वी भाग में कमला नदी में गिरता है. जल निकासी के लिए तीन आउटलेट- लहेरियासराय चट्टी मोड़ से कमला नदी, अललपट्टी रेल पुल से छपरार घाट तथा कगवा गुमटी से गौसाघाट तक है. कगबा गुमटी से गौसाघाट के बीच रेलवे लाइन के आगे आउटलेट की जमीन पर दर्जनों लोगों ने कब्जा कर मकान बना लिया.
तीन वर्ष पूर्व शहर में जल जमाव को देखते हुए तत्कालीन प्रमंडलीय आयुक्त ने अंचल एवं नगर निगम के अमीनों से अतिक्रमणों को चिन्हित कर उसे खाली करने का आदेश दिया था. अमीनों ने पैमाइश कर अतिक्रमणों की सूची नगर आयुक्त के माध्यम से प्रमंडलीय आयुक्त को भेज दिया. सदर एसडीओ व डीएसपी के नेतृत्व में अतिक्रमण हटाने का निर्णय भी प्रमंडलीय आयुक्त ने दिया. लेकिन अबतक उसका क्रियान्वयन नहीं हो सका है.
कगबा गुमटी से आगे पानी का नहीं होता बहाव : फलत: वर्षा होने पर कगबा गुमटी से आगे पानी का बहाव नहीं हो पाता. जिससे बेला, सुंदरपुर, कटहलबाड़ी, कादिराबाद के कई मोहल्ले जलजमाव से प्रभावित रहते हैं. इसी तरह अललपट्टी रेल पुल से छपरार घाट तक जल निकासी के लिए आउटलेट का निर्माण शुरू किया गया. राज्य सरकार से मिली राशि से छपरार घाट से करीब आधा किलोमीटर दूरी तक जमीन अधिग्रहण कर आउटलेट निर्माण कराया गया.
शेष बचे भाग के जमीन मालिकों की राशि का भुगतान नहीं होने से नाला निर्माण पूरा नहीं हो सका. हाल के वर्षों में उक्त जमीन को लोगों ने बेच डाला, जिससे अब वहां बड़े-बड़े भवन बन गये हैं. जलनिकासी नहीं होने के कारण डीएमसीएच के टीवीडीसी, खान चौक, दोनार, दिग्घी, सकमा पुल से दरभंगा टावर तक की जलनिकासी प्रभावित है. लहेरियासराय चट्टी से छपरार घाट तक के आउटलेट भी कई जगह अवरूद्ध से जलनिकासी पूरी तरह नहीं हो रही है.
शहर में हैं 45 बड़े नाले
शहर के जलनिकासी के लिए 45 मुख्य नालों की गहन सफाई आवश्यक है. पूर्व के वर्षों में अप्रैल महीने के प्रारंभ से ही नालों की सफाई शुरू हो जाती थी. अललपट्टी रेल पुल से टीबीडीसी, टीबीडीसी से खान चौक, दोनार रेलवे गुमटी से दिग्घी, दिग्घी से सकमा पुल होते हुए दरभंगा टावर, कगबा गुमटी से बेला, कटहलबाड़ी-एमएमटीएम कॉलेज होते हुए हराही, कगबा गुमटी से कादिराबाद चौक, लहेरियासराय चट्टी से बलभद्रपुर, गुदरी होते हुए गायत्री मंदिर आदि प्रमुख हैं. इनमें गायत्री मंदिर से लहेरियासराय गुदरी तक के नालों में बड़े-बड़े जंगल व कचरे से पूरी तरह जाम है.0 वहीं स्थिति बेंता के बड़े नाले की भी है. जाम पड़े नालों से जलनिकासी
कैसे होगी.

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