दरभंगा : ध्रुपद गायन की विशिष्ट शैली के लिए विश्व भर में विख्यात मल्लिक घराना (आमता घराना) की बेटियां भी इस कड़ी को मजबूत करने में जुट गयी हैं. यूं तो गायन व नृत्य में आम तौर पर महिला कलाकार मंच पर कला की प्रस्तुति देती नजर आती हैं. लेकिन तबला वादन करती महिला विरले ही मिलती है. लिहाजा साहित्यिक-सांस्कृतिक विचार मंच ऋचालोक के तत्वावधान में सात मई को आयोजित जानकी सम्मेलन में जब खुशबू को तबला वादन करते दर्शकों ने देखा तो सहसा अपनी नजर पर ऐतवार नहीं हुआ. प्रख्यात पखावज वादक रमेश मल्लिक की सुपुत्री खुशबू ने अपनी इस अनूठी प्रतिभा का सबको कायल बना दिया. उसने लोक व उपशास्त्रीय संगीत पर संगत कर सभी का ध्यान अपनी ओर खींच लिया.
यही कारण था कि सम्मेलन की अध्यक्षता कर रही डाॅ वैशाली व साहित्य अकादेमी में मैथिली की प्रतिनिधि डाॅ वीणा ठाकुर के साथ ही अन्य ने मुक्तकंठ से उसकी प्रशंसा की. शास्त्रीय संगीत के क्षेत्र में विश्व पटल पर मिथिला की इस सांस्कृतिक राजधानी को विशिष्ट पहचान आमता घराना की गायकी ने दे रखा है. पंडित विदुर मल्लिक, पंडित रामचतुर मल्लिक से चली आ रही इस कड़ी को पंडित अभय नारायण मल्लिक, पंडित प्रेम कुमार मल्लिक, पंडित समित मल्लिक, पंडित संगीत मल्लिक आगे बढ़ा रहे हैं. विश्व भर में अपनी पखावज की धमक गुंजाने वाले पंडित रामाशीष पाठक के बाद पंडित रमेश मल्लिक परंपरा को मजबूती प्रदान कर रहे हैं. रमेश मल्लिक के सानिध्य में रहकर तबला वादन की साधना कर रही एमआरएम कॉलेज की अंतरस्नातक की छात्रा खुशबू ने जब सोलोवादन प्रस्तुत किया तो सभी वाह-वाह कर उठे. मिथिला की इस बेटी के राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिभा प्रदर्शन की कामना की.