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आ गया उपयुक्त समय, किसान शुरू करें गेहूं की बुआई

आ गया उपयुक्त समय, किसान शुरू करें गेहूं की बुआई \\\\टं३३ी१त्र/रदरभंगा : किसानों के जारी समसामयिक सुझाव में कृषि वैज्ञानिक ने कहा है कि गेहूं बुआई का उपयुक्त समय आ गया है. इसलिए गेंहूं की बुआई शुरु करें. बुआई के समय 60 किलो ग्राम नेत्रजन, 60 किलो ग्राम फॉसफोरस एवं 40 किलो ग्राम पोटास प्रति […]

आ गया उपयुक्त समय, किसान शुरू करें गेहूं की बुआई \\\\टं३३ी१त्र/रदरभंगा : किसानों के जारी समसामयिक सुझाव में कृषि वैज्ञानिक ने कहा है कि गेहूं बुआई का उपयुक्त समय आ गया है. इसलिए गेंहूं की बुआई शुरु करें. बुआई के समय 60 किलो ग्राम नेत्रजन, 60 किलो ग्राम फॉसफोरस एवं 40 किलो ग्राम पोटास प्रति हेक्टेयर की दर से व्यवहार करें. सिंचित एवं समान्य समय पर बुआई के लिए पीबीडब्लू – 343, पीबीडब्लू-443, एचडी-2733, एचडी-2824,के-9107,के-307, एचयूडब्लू-206 किस्मों की व्यवस्था करें. बीज को बुआाई से पहले बेबीस्टीन के 2़5 ग्राम प्रति किलो ग्राम की दर से उपचारित करें. बीज के अच्छे जमाव के लिए खेत में नमी का होना आवश्यक है./इरबी मक्का की भी करें बुआई /इरबी मक्का की बुआई करें. बुआई के लिए संकर किस्में जैसे- शक्तिमान 1, शक्तिमान 2, शक्तिमान 3, शक्तिमान 4, गंगा 11, राजेन्द्र संकर मक्का 1, राजेन्द्र संकर मक्का 2 एवं संकुल किस्में जैसे – देवकी सफेद, लक्ष्मी सफेद, सुआन पीला आदि किस्में इस क्षेत्र के लिए अनुशंसित है. 50 किलो ग्राम नेत्रजन, 75 किलों गा्रम फास्फोरस एवं 50 किलो ग्राम पोटाश, जिंक सल्फेट 25 किलो ग्राम प्रति हेक्टर एवं कम्पोस्ट 100-150 क्विंटल प्रति हेक्टर की दर से प्रयोग करें. /इचना की बुआई में उन्नत किस्मों का करें उपयोग /इचना की बुआई करें. चना के लिए उन्नत किस्म पूसा-256, केपीजी-59(उदय), केडब्लू आर-108, पूसा 372 अनुशंसित हंै.बुआई से पूर्व बीज को बेबीस्टीन 2़5 ग्राम प्रति किलो ग्राम की दर से उपचारित करें.कजरा पिल्लू से बचाव के लिये क्लोरपाईरीफॉस 8 मिली प्रति किलो ग्राम की दर से 24 घंटा बाद बीज में मिलावें. पुन: 24 घंटे छाया में रखने के बाद राईजोबियम कल्चर पांच पैकेट प्रति हेक्टेयर की दर से उपचारित करें. बुआई के समय 20 किलो ग्राम नेत्रजन, 45 किलो ग्राम फॉसफोरस, 20 किलो ग्राम पोटास एवं 20 किलो ग्राम सल्फर प्रति हेक्टेयर की दर से व्यवहार करें. बीज की दर प्रति हेक्टेयर 75-80 किलो ग्राम रखें./इआलू के लिए करें उन्नत प्रभेद का चयन /इआलू रोप के लिए कुफरी चन्द्रमुखी, कुफरी अशोका, कुफरी पुखराज, कुफरी बादशाह, कुफरी लालीमा, कुफरी ज्योति तथा राजेन्द्र आलू-2 आदि अनुशंसित किस्मों की बुआई करें. रोपनी के पहले आलू के कन्द को बैवस्टीन 0़ 01 प्रतिषत (1 से 1़5 ग्राम प्रति लीटर) घोल में उपचारित कर लें.मसूर की बुआई यथाशीघ्र सम्पन्न करने का प्रयास करें. बुआई के लिए किस्में जैसे- अरुण, पंत एल-406, केएलएस-218,एचयूएल-57 आदि किस्में इस क्षेत्र के लिए अनुशंसित है. बीज को उचित राईजोबियम कल्चर से उपचारित कर बुआई करें.मटर की बुआई सम्पन्न करने का प्रयास करें. सब्जियों में निकाई-गुड़ाई एवं आवष्यकतानुसार सिंचाई करें. चारे के लिए जई तथा बरसीम की बुआई करें. जई के लिए 80-100 किलो ग्राम बीज तथा बरसीम के लिए 25-30 किलो ग्राम बीज प्रति हेकटेयर का व्यवहार करें. गत माह के लगाये गये शरद्कालीन मक्के, राई-तोरी-सरसों की बोने के 20-25 दिनों बाद प्रथम निकौनी एवं बछनी कर लें. पशुओं को रात में खुले स्थान पर नहीं रखें. पशुओं को खाने में एक चम्मच नमक का मिश्रण सुबह-शाम दें.

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