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आंगनबाड़ी के बच्चों को टीएचआर नहीं

आंगनबाड़ी के बच्चों को टीएचआर नहीं अप्रैल 2015 से अब तक मात्र दो बार मिली टीएचआर की राशिजाले. प्रखंड क्षेत्र के आंगनबाड़ी केंद्रों को उन्हें अबोध बच्चों को पौष्टिक भोजन के साथ पढ़ाने के लिए दी जाने वाली राशि लगभग बंद कर दी गयी है़ इससे इसमें पढ़ने वाले अबोध बच्चों की संख्या दिनानुदिन घटने […]

आंगनबाड़ी के बच्चों को टीएचआर नहीं अप्रैल 2015 से अब तक मात्र दो बार मिली टीएचआर की राशिजाले. प्रखंड क्षेत्र के आंगनबाड़ी केंद्रों को उन्हें अबोध बच्चों को पौष्टिक भोजन के साथ पढ़ाने के लिए दी जाने वाली राशि लगभग बंद कर दी गयी है़ इससे इसमें पढ़ने वाले अबोध बच्चों की संख्या दिनानुदिन घटने लगी है़ इस संबंध में नाम नहीं छापने की बात कहते हुए एक सेविका कहती हैं कि पूर्व में दी जाने वाली राशि में से पिछली बार पांच सौ रुपया कम करके दिया गया़ इसकी सूचना सीडीपीओ अथवा पर्यवेक्षिकाओं द्वारा पूर्व नहीं दी गई. वह आगे बताती हैं कि अक्सर इसमें पढ़ने वाले अबोध विभिन्न प्रकार के उत्कृष्ट खाद्य पदार्थ खाने के नाम पर ही आते है़ं मगर मार्च 2015 के बाद नए वित्तीय वर्ष से समय पर टीएचआर की राशि नहीं मिल रही है़ इस वित्तीय वर्ष पहला टीएसएच जुलाई माह में मिला तथा दुसरा अक्टूबर माह में पांच सौ रुपया कम करके दिया गया़ पैसा के आभाव में यहां बच्चों के मनपसंद खाद्य पदार्थ नहीं बनाई जाती है़ उन लोगों का कहना था कि अपने वेतन से भी इन अबोध बच्चों के लिए टॉफी वगैरह रखते मगर क्या बतायें फरवरी के बाद से मानदेय भी मिलना बंद हो गया है़ सेविकाओं का कहना था कि अगर यहीं हाल रहा तो जो भी थोड़े बहुत अबोध बच्चे आते हैं वे भी आना बंद कर देंगें़ इस संबंध में पुछे जाने सीडीपीओ आभा शरद ने बताया कि विभाग द्वारा वाउचरों एवं क्रियाकलापों में किये गये परिवर्त्तन एवं ट्रेजरी एवं बैंकों से निकासी में अपग्रेडेशन की वजह से विलम्ब हुआ है़ अब सब कुछ ठीक-ठाक हो गया है़ एक से दो दिनों में सभी आंगनवाड़ी सेविका एवं सहायिकाओं को उनका मानदेय एवं टीएसएच मिलना शुरु हो जायेगा़

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