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जनता की नब्ज टटोल रहे राजनेता

राष्ट्रपिता महत्मा गांधी की कर्मभूमि रहे चंपारण का यह इलाका राजनीतिक रूप से समृद्ध रहा है. यहां राजनीतिक प्रयोग होते रहे हैं. साथ ही समाजिक आंदोलनों का इस इलाके पर गहरा प्रभाव रहा है.बदलाव की साक्षी इस धरती पर इस बार का विधानसभा चुनाव रोचक होगा, क्योंकि 17 साल की दोस्ती के बाद जदयू-भाजपा अलग […]

राष्ट्रपिता महत्मा गांधी की कर्मभूमि रहे चंपारण का यह इलाका राजनीतिक रूप से समृद्ध रहा है. यहां राजनीतिक प्रयोग होते रहे हैं. साथ ही समाजिक आंदोलनों का इस इलाके पर गहरा प्रभाव रहा है.बदलाव की साक्षी इस धरती पर इस बार का विधानसभा चुनाव रोचक होगा, क्योंकि 17 साल की दोस्ती के बाद जदयू-भाजपा अलग हैं.
यही नहीं, जिस राजद के खिलाफ दोनों ने चुनाव लड़ा था, वह अब जदयू के साथ है. साथ ही जदयू से हटाये गये जीतनराम मांझी भाजपा का सहारा बने हुए हैं. ऐसे में नया समीकरण काफी दिलचस्प है. और दोनों गंठबंधनों की परीक्षा इसमें होगी.
नरकटिया
टिकट बंटवारे पर निगाहें
यह सीट अभी जदयू के खाते में है़ पिछली बार श्यामबिहारी प्रसाद यहां से जदयू के टिकट पर चुनाव लड़े थे और लोजपा की यासमीन साबिर अली को हराया था. यासमीन के पति साबिर अली अभी भाजपा में हैं.
2008 में रक्सौल अनुमंडल के छौड़ादानों प्रखंड की 15, सदर अनुमंडल के बंजरिया प्रखंड की 13 व सिकराहना अनुमंडल के बनकटवा प्रखंड की 10 पंचायतों को मिलाकर बना यह विधानसभा क्षेत्र महागंठबंधन के दोनों प्रमुख घटक दलों के साथ-साथ एनडीए के लिए भी अहम है. अभी से सभी पार्टियों के नेता व संभावित प्रत्याशी चुनावी रणनीति बनाने में जुट गये हैं.
वैसे लोकसभा चुनाव में यहां भाजपा का वोट प्रतिशत सबसे अधिक था़ राजद 33.17 फीसदी वोट के साथ दूसरे स्थान पर रहा था. लिहाजा इस पार्टी में भी टिकट को लेकर मारामारी चल रही है. सभी दलों के नेता अपनी दावेदारी पेश करने और जनता में पकड़ मजबूत करने में जुटे हैं.
अब तक
परिसीमन के बाद इस विधानसभा क्षेत्र का स्वरूप और राजनीतिक समीकरण बदल चुका है. दोनों गंठबंधनों का इस क्षेत्र में प्रभाव है.
इन दिनों
ज़दयू कार्यकर्ता सम्मेलन कर रहा है. भाजपा बूथ स्तर पर संगठन बना रही है़ राजद भी चुनाव को लेकर संगठानात्मक विस्तार में लगा है.
प्रमुख मुद्दे
नगर और ग्रामीण क्षेत्र की सड़कों की मरम्मत
बिजली की नियमित आपूर्तित्न गन्ना किसानों के बकाये का भुगतान और उनकी समस्याओं का समाधान
सिंचाई की सुविधा रोजगार के साधन.
ढाका
वोट बैंक की हो रही चिंता
ढाका विधानसभा क्षेत्र भौगौलिक दृष्टि से शिवहर व सीतामढ़ी के साथ-साथ पड़ोसी देश नेपाल की भी सीमा से जुड़ा है़ वर्तमान में इस सीट पर निर्दलीय पवन कुमार जायसवाल का कब्जा है.
पिछले चुनाव में उन्होंने जदय-भाजपा, लोजपा और कांग्रेस जैसी बड़ी पार्टियों के प्रत्याशियों को शिकस्त दी थी. उन्होंने निकटतम प्रतिद्वंदी जदयू के फैसल रहमान को करीब दो हजार मतों के अंतर से हराया था. भाजपा-जदयू गंठबंधन टूटने के बाद जायसवाल नीतीश कुमार के साथ रह़े बाद में जीतन राम मांझी के एनडीए में जाने पर वह भाजपा में शामिल हो गये हैं. इनकी नजर यहां के भाजपा गंठबंधन के वोट बैंक पर है.
उधर जदयू के फैसल रहमान को कांग्रेस व राजद के वोट पर भरोसा है. राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के रामपुकार सिन्हा व जदयू के संजय सिंह भी इस सीट से टिकट के लिए ताल ठोक रहे हैं सभी दलों में टिकट की उम्मीद रखने वाले नेताओं की फेहरिश्त लंबी है. हालांकि अभी यह देखना ही दिलचस्प होगा कि किस गंठबंधन में किस दल को यह सीट मिलती है.
अब तक
1990 से 2000 तक भाजपा के अवनीश सिंह विधायक रहे. 2000 में राजद को जीत मिली. 2005 में भाजपा व 2010 में निर्दलीय जीते.
इन दिनों
भाजपा का परिवर्तन रथ गांव-गांव घूम रहा है. जदयू हर घर दस्तक देकर जनता को जोड़ने में लगी है. अन्य दल भी संगठनात्मक मतबूती में लगे हैं.
प्रमुख मुद्दे
फुलवरियाघाट पुल का निर्माण
जमुआ घाट पर पुल निर्माण
तकनीकी शिक्षण संस्थान की स्थापना
उच्च शिक्षा व्यवस्था का विस्तार
सिंचाई की सुविधा
किसानों को उनकी उपज का सही मूल्य दिलाने का प्रबंध
रोजगार के साधन
कानून व्यवस्था में सुधार
स्वास्थ्य सेवा का विस्तार.
मधुबन
दिलचस्प होगा मुकाबला
पिछले दो विधानसभा चुनावों में इस सीट पर जदयू प्रत्याशी की जीत होती रही है. इस बार बदले राजनीतिक-समाजिक समीकरण के तहत भाजपा भी इस सीट पर दावेदारी की तैयारी में है. पिछले चुनाव में दूसरे स्थान पर रहे राणा रणधीर सिंह राजद छोड़ कर भाजपा में शामिल हो चुके हैं.
2005 के फरवरी के चुनाव में वह राजद के टिकट विधायक चुने गये थे. उनके पिता सीताराम सिंह यहां से चार बार विधायक व शिवहर से सांसद रहे थे. लिहाजा क्षेत्र में उनकी पहचान और पकड़ दोनों है.
वर्तमान विधायक शिवजी राय अब भी जदयू में बने हुए हैं और फिर चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं. इस बार जातीय गोलबंदी के अलावा विकास और भ्रष्टाचार पर अंकुश मुख्य चुनावी मुद्दा बनेंगे. ऐसी संभावना है कि पिछले चुनाव के दोनों प्रमुख प्रतिद्वंदी इस बार भी आमने-सामने होंगे. बसपा से डॉ संतोष का चुनाव लड़ना तय माना जा रहा है.
रालोसपा, कांग्रेस, राजद से भी कई चेहरे टिकट पाने की दौड़ में शामिल हैं. कई निर्दलीय भी किस्मत आजमाने को तैयार दिख रहे हैं. पिछले विधानसभा और लोकसभा, दोनों चुनावों में राजद यहां दूसरे स्थान पर रहा था.हालांकि लोकसभा चुनाव में उसके वोट में करीब 10 फीसदी की बिरावट आयी थी.
अब तक
राजद के पूर्व विधायक और पिछले चुनाव में उसके प्रत्याशी राणा रणधीर सिंह अब भाजपा में हैं.
इन दिनों
जदयू का हर घर दस्तक जारी. भाजपा का परिवर्तन रथ घूम रहा है. राजद कार्यकर्ताओं को जोड़ने में लगा है.
प्रमुख मुद्दे
– कृष्णानगर-फेनहारा पथ का निर्माण
सिसहनी में स्लूइस गेट का निर्माण
भ्रष्टाचार पर अंकुश
सिंचाई सुविधा का विस्तार त्न किसानों को उपज की सही कीमत की व्यवस्था
रोजगार की व्यवस्था और पलायन पर रोक
उच्च और तकनीकी शिक्षा की व्यवस्था.
गोविंदगंज
दोवदारों की लंबी फेहरिस्त
इस सीट पर फिलवक्त जदयू का कब्जा है. मीना द्विवेदी यहां से विधायक हैं. इससे पूर्व मीना द्विवेदी के देवर देवेंद्रनाथ दूबे व उनके बाद पति भूपेंद्रनाथ दूबे गोविंदगंज से विधायक रह चुके हैं. पति के निधन के बाद मीना द्विवेदी ने जदयू प्रत्याशी के रूप में 2005 में राजन तिवारी को हराकर इस सीट पर कब्जा किया था.
वह इस बार भी जीत का सिलसिला कायम रखने को आतुर दिख रही हैं. वहीं इस सीट पर कांग्रेस भी दावा कर रही है. अगर उसकी दावेदारी मान ली जाती है, तो मीना द्विवेदी का टिकट कट सकता है.
वैसे महागंठबंधन में और भी नेता हैं, जो टिकट पाने के लिए सेटिंग-गेटिंग में लगे हुए हैं. राजेंद्र गुप्ता, सुनील मणि तिवारी, अनिल राय, रतन सिंह, चंद्र किशोर मिश्र, मुना गिरी, जय प्रकाश पांडे व शशि भूषण उर्फ गप्पू राय के नाम विभिन्न दलों से सुर्खियों में हैं. राजद से राजू तिवारी के फिर उम्मीदवार होने के भी आसार हैं.
अब तक
किसी दल में कोई बड़ा हेर-फेर नहीं. जदयू से मीना द्विवेदी का दावा मजबूत दिख रहा है. अन्य दलों में भी करीब एक दर्जन नाम सुर्खियों में हैं.
इन दिनों
जदयू का हर घर दस्तक कार्यक्रम पूरा हो चुका है.भाजपा कार्यकर्ता विस सम्मेलन के बाद परिवर्तन यात्र की तैयारी में जुटे हैं.
जिसके तहत पूर्व मुख्यमंत्री सुशील मोदी का दौरा पूर्वी चंपारण में हो रहा है.
प्रमुख मुद्दे
अरेराज का पर्यटन स्थल के रूप में विकास
मल्लाही को प्रखंड का दर्जा ग्रामीण क्षेत्र की सड़को की मरम्मत
सिंचाई के साधन पलायन पर रोक.
चिरैया
टिकट को ले ऊहापोह
चिरैया विधानसभा सीट पर बदले राजनीतिक समीकरण में चुनावी मुकाबले के बेहद रोचक होने की उम्मीद है़ पहले यह इलाका घोड़ासहन विधानसभा क्षेत्र के साथ थी. तब यह 1990-2010 तक राजद के कब्जे में रहा. इसके लालबाबू प्रसाद यादव यहां से विधायक रहे थे.
जब ढाका विस क्षेत्र के पताही प्रखंड को चिरैया में और घोड़ाहसन को ढाका विस क्षेत्र में शामिल किया गया, तब 2010 में पताही प्रखंड निवासी व ढाका विधायक अवनीश कुमार सिंह यहां से भाजपा के प्रत्याशी बने. उन्होंने राजद के कब्जे से इस सीट को निकाला़ सिंह ने 2014 के लोकसभा चुनाव के समय भाजपा विधायक पद से इस्तीफ ा दे दिया और जदयू में चले गये.
वह पूर्वी चंपारण लोकसभा सीट से चुनाव भी लड़े, लेकिन जीत नहीं सके. सिंह के इस्तीफे से रिक्त हुई चिरैया सीट के लिए लोकसभा चुनाव के साथ ही उपचुनाव हुआ़ इस चुनाव में मामूली अंतर से यह सीट फि र राजद के खाते में चली गयी़
इसके बीच कई ऐसे चेहरे भी उभरे हैं, जो विधानसभा चुनाव में विभिन्न राजनीतिक दलों के टिकट पर चुनाव लड़ कर नया राजनीतिक समीकरण बनाना चाहते हैं.
अब तक
1990 से 2010 तक राजद का कब्जा रहा. 2010 में भाजपा के अवनीश कुमार सिंह जीते. 2014 के उपचुनाव में राजद के लक्ष्मीनारायण यादव को जीत मिली.
इन दिनों
भाजपा व राजद संपर्क अभियान चला रहे हैं. जदयू का हर घर दस्तक कार्यक्रम चल रहा है. अन्य दल भी जनसंपर्क करने में जुटे हुए हैं.
प्रमुख मुद्दे
शिकारगंज को प्रखंड का दर्जा त्न शिकारगंज को ढाका से जोड़ने वाली सड़क की मरम्मत
देवापुर बेलवाघाट अधूरे पथ का निर्माण त्नतकनीकी व उच्च शिक्षा के संस्थानों की स्थापना
रोजगार के साधन त्नसिंचाई सुविधा.
हरसिद्धि (सु.)
दलों के फैसले पर निगाहें
हरसिद्घि (सुरक्षित) सीट अभी भाजपा के खाते में है. पिछले चुनाव में इसके कृष्णनंदन पासवान यहां से राजद के सुरेंद्र कुमार चंद्रा को मतों के भारी अंतर से हरा कर विधनसभा पहुंचे थे. तुरकौलिया प्रखंड की 16 व हरसिद्घि प्रखंड की 19 पंचायतों को मिलाकर बने इस विधानसभा क्षेत्र पर पहले कांग्रेस का कब्जा रहा.
बाद में इस पर लोजपा ने कब्जा किया. बैरिस्टर हिदायतुल्लाह खां इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं मंत्री अवधेश कुशवाहा व लोजपा से महेश्वर सिंह को भी हासिद्धि ने प्रतिनिधित्व का मौका दिया है. 2010 के चुनाव में इसे सुरक्षित सीट बनाया गया. इस बार राजग और महागंठबंधन किसे प्रत्याशी बनाते हैं, इस पर सब की निगाहें हैं.
लोजपा से धर्मनाथ पासवान, राजद से सुरेंद्र कुमार व राजेंद्र कुमार राम, जदयू से मनोज पासवान, रामजनम पासवान, अवधेश राम, कांग्रेस से विजय राम, रामजीवन पासवान, जदयू से तुरकौलिया के प्रखंड प्रमुख अवधेश राम, मनोज पासवान व रामजनम पासवान के नामों की चर्चा है.
अब तक
किसी दल में अब तक कोई बड़ा फेर-बदल नहीं हुआ है. गंठबंधनों के नये समीकरण में जातीय वोटों का नये सिरे से ध्रुवीकरण हुआ है.
इन दिनों
जदयू नीतीश सरकार की उपलब्धियों से जनता को अवगत करा रहा है. भाजपा का बूथ स्तर पर संगठन विस्तार का क्रम जारी.
प्रमुख मुद्दे
मझार-तुरकौलिया पथ पर पुल निर्माण त्नजजर्र सड़कों मरम्मत
बिजली की नियमित आपूर्ति
शुद्घ पेयजल की व्यस्था त्नकिसानों की समस्याओं का समाधान
तकनीकी शिक्षा की व्यवस्था
रोजगार के अवसर त्नपलायन पर अंकुश.

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