बेतिया : केंद्रीय स्वच्छता सर्वेक्षण की तैयारी के बीच नप में पांच करोड़ के सफाई संसाधनों की खरीद पर विवाद बढ़ गया है. कतिपय पार्षदों के विरोध के बीच इनका उपयोग व इस मद में भुगतान, आपूर्ति के एक माह बाद भी नहीं हो पाया है. जबकि जेम (गोवरमेंट ई. मार्केटिंग) पोर्टल से खरीद का भुगतान आपूर्ति के 15 दिन बाद करने का प्रावधान है.
इसको लेकर कार्यपालक पदाधिकारी विजय कुमार उपाध्याय के द्वारा बंद कमरे में आहूत बैठक भी बेनतीजा रही है. इधर गल्बनाइज्ड डस्टवीन की आपूर्ति करने वाली दिल्ली की एजेंसी ने निर्धारित समयसीमा के दो सप्ताह बाद भी भुगतान नहीं होने पर विरोध दर्ज करा चुकी है.
हाल यह है कि 17-17 हजार में 86 अदद ग्लब्नाइज्ड डस्टबिन की आपूर्ति के एक माह से अधिक बीत गए हैं. जिसके बिना 37 लाख में तीन साल पहले खरीदे कम्पेक्टर मशीन का उपयोग नहीं हो रहा था. बीते साल पहुंची केन्द्रीय स्वछता सर्वेक्षण टीम व महालेखाकार कार्यालय तक इसपर सवाल उठा चुका है.
इसके अलावे सशक्त समिति के वरीय सदस्य संजय सिंह उर्फ छोटे सिंह का आरोप है कि डीपीआर में निर्धारित 20 हजार की जगह 33-33 हजार में रिक्शा ठेला की खरीद करना गलत है. इसके अलावे प्रति गाड़ी 6.68 लाख की दर से कुल 2.67 करोड़ में खरीदे गए 39 एसी टीपर, 18.75 लाख में खरीदे गए स्कीड हो लोडर और 42.90 लाख में खरीदे गए ट्रक टीपर जैसे संसाधन नप कार्यालय परिसर में शोभा की वस्तु बने हैं.
नप बोर्ड में विस्तृत चर्चा व सहमति पर खरीद का निर्णय : सभापति गरिमा सिकारिया ने बताया कि नप बोर्ड की बैठक में आपूर्तिकर्ता कंपनियों एजक्यूटीव के अलावें नप के अभियंता सुजय सुमन व एनयूएलएम के सिटी मिशन मैनेजर मणि मणि शंकर के द्वारा जेम के बाध्यकारी प्रावधानों के साथ पूरी खरीद प्रक्रिया की विस्तार से जानकारी दी गई. इसके बाद मिली सहमति के बाद खरीदगी पर विवाद केवल राजनीतिक है. वहीं कुछ पार्षदों आरोप है कि जेम पोर्टल से खरीद प्रक्रिया विवादास्पद व संदिग्ध है. खरीदा गये अधिसंख्य सामान खुले बाजार में उससे कम दाम पर उपलब्ध हैं.
संचिकाओं के अध्ययन के साथ अनेक स्तर पर आशंकाओं को दूर करने की पहल की जा रही है. विहित प्रक्रिया के तहत भुगतान व संसाधनों के उपयोग का निर्णय किया जाएगा.