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16 वर्षों से कागजों में सिमटा जिला आयुर्वेदिक अस्पताल

वर्ष 2002 में रखी गयी थी भवन की नींव 14 करोड़ की लागत से भवन का निर्माण होना था आजतक भवन का निर्माण पूरा नहीं हो सका 100 बेड का अस्पताल व 50 सीट का आयुर्वेदिक महाविद्यालय बनना था चाईबासा : पश्चिम सिंहभूम जिले के चाईबासा में वर्ष 2002 में 100 बेड के अस्पताल व […]

वर्ष 2002 में रखी गयी थी भवन की नींव
14 करोड़ की लागत से भवन का निर्माण होना था
आजतक भवन का निर्माण पूरा नहीं हो सका
100 बेड का अस्पताल व 50 सीट का आयुर्वेदिक महाविद्यालय बनना था
चाईबासा : पश्चिम सिंहभूम जिले के चाईबासा में वर्ष 2002 में 100 बेड के अस्पताल व 50 सीट के आयुर्वेदिक महाविद्यालय की नींव तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री दिनेश षाड़ंगी ने रखी. इसके लिए कैबिनेट ने चिकित्सक, लेक्चरर, प्रोफेसर, रीडर, प्रयोगशाला विशेषज्ञ आदि के कुल 39 पद सृजित किये.
वहीं चाईबासा के रुंगटा गार्डेन के समीप किराये के एक मकान में अस्थायी अस्पताल संचालित किया जाने लगा. जबकि जगन्नाथपुर ब्लॉक के एसडीएम बिल्डिंग के पीछे वर्ष 2003 से 14 करोड़ की लागत से आयुर्वेदिक महाविद्यालय का भवन निर्माणाधीन है. 16 वर्ष बाद भी न 100 बेड का अस्पताल बन सका, न 50 सीट का आयुर्वेदिक महाविद्यालय चालू हो सका. प्रभारी प्राचार्य को छोड़ किसी पद पर बहाली नहीं हुई. सारी प्रक्रिया मात्र दस्तावेज में सिमट कर रह गयी.
प्रभारी प्राचार्य की नियुक्ति कर होती रही खानापूर्ति
वर्ष 2002 में चाईबासा सदर अस्पताल परिसर में खाली भवन में आयुर्वेदिक चिकित्सा महाविद्यालय की नींव रखी गयी. डॉ जगन्नाथ त्रिपाठी को महाविद्यालय का प्रभारी प्राचार्य बनाया गया. इसके बाद प्रभारी प्राचार्य के रूप में कई चिकित्सकों को इसकी जिम्मेदारी सौंपी जा चुकी है. वर्तमान में उक्त भवन में जिला आयुष चिकित्सा पदाधिकारी का कार्यालय संचालित है.

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