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शाकाहार अपनाने से होगा श्रेष्ठ भारत का निर्माण

आर्य समाज के वार्षिकोत्सव पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते आचार्य ज्योत्सना वेद रत्न साथ में भजन गायिका नयन प्रज्ञा. फोटो। प्रभात खबर रक्सौल : आहार और जीवन का अन्योन्याश्रय संबंध है. मानवीय विचार एवं क्रियाकलाप भी आहार के प्रतिफल है. ये बातें आर्य समाज रक्सौल के वार्षिकोत्सव कार्यक्रम के तीसरे दिन सांयकालिन सत्र में […]

आर्य समाज के वार्षिकोत्सव पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते आचार्य ज्योत्सना वेद रत्न साथ में भजन गायिका नयन प्रज्ञा. फोटो। प्रभात खबर

रक्सौल : आहार और जीवन का अन्योन्याश्रय संबंध है. मानवीय विचार एवं क्रियाकलाप भी आहार के प्रतिफल है. ये बातें आर्य समाज रक्सौल के वार्षिकोत्सव कार्यक्रम के तीसरे दिन सांयकालिन सत्र में आचार्य ज्योत्सना वेदरत्न ने अपने प्रवचन के दौरान कहीं. उन्होंने इस दौरान बताया कि मांसाहार मनुष्य का स्वाभाविक भोजन नहीं है. वेद एवं गीता का उदाहरण प्रस्तुत करते हुए आचार्य ने बताया कि हमें युक्ताहार भोजन लेना चाहिए. भोजन हमारे बुद्धि और व्यवहार दोनों को प्रभावित करते हैं. गर्भावस्था से लेकर मृत्यु पूर्व शरीर के पोषण के लिए भोजन की महत्वपूर्ण भूमिका है.
हमारे पूर्वज राम, कृष्ण और ब्रह्मा से लेकर जैमिनी तक जितने भी ऋषि और महर्षि भारत वर्ष में हुए शाकाहार को ही देव भोजन माना है. मानव जीवन के चार स्तंभ है. धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष. वहीं आचार्य नरेश दत्त आचार्य ने अपने भोजनोपदेश के क्रम में बताया कि सनडे हो या मंडे, कभी न खाये अंडे. वहीं, रामचंद्र सिंह क्रांतिकारी ने बताया कि अंडा, मांस, और शराब सबसे निकृष्ठ भोजन है. मंच का संचालन करते हुए आर्य समाज के मंत्री प्रो रामाशंकर प्रसाद ने कहा कि भारत वर्ष को समृद्ध राष्ट्र निर्माण करने के लिए हमें अंडा, मांस और शराब का त्याग कर पवित्र भोजन करना होगा. तभी विचार पवित्र होंगे. मौके पर भरत प्रसाद आर्य, ईश्वरचंद्र, रमेशचंद्र प्रसाद, हरिशंकर मस्करा व हितेश कुमार शर्मा मौजूद थे.

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