सभी चेक पर अस्पताल प्रभारी व एनआरएचएम का है हस्ताक्षर
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जेएसवाइ के लाभार्थियों के लाखों रुपये किसके पास!
सभी चेक पर अस्पताल प्रभारी व एनआरएचएम का है हस्ताक्षर वर्ष 2013 -14 का है चेक विधान परिषद में मामला उठने के बाद 2014 से 16 का क्षेत्रीय उप निदेशक की टीम द्वारा जेएसवाई की राशि गड़बड़ी की चल रही जांच अरेराज : रेफरल अस्पताल के कचरा में लाभार्थियों के नाम भरे लाखों रुपया का […]
वर्ष 2013 -14 का है चेक
विधान परिषद में मामला उठने के बाद 2014 से 16 का क्षेत्रीय उप निदेशक की टीम द्वारा जेएसवाई की राशि गड़बड़ी की चल रही जांच
अरेराज : रेफरल अस्पताल के कचरा में लाभार्थियों के नाम भरे लाखों रुपया का चेकबुक फेंक दिया गया. चेकबुक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया का है, जो करीब सौ बंडल के आसपास बताया जाता है. चेकबुक पर 2013,14,15 के विभिन्न तारीख अंकित है.
कुछ बंडल ब्लैंक भी है. अधिकांश चेक जननी सुरक्षा योजना (जेएसवाई) लाभार्थियों के नाम का है. चेक पर तत्कालीन अस्पताल प्रभारी का हस्ताक्षर भी है. इतनी बड़ी अनियमितता की चर्चा जोरों पर है. आखिर इस तरह के कारनामे की जिम्मेवारी किसके सिर मढ़ेगा? एक चेकबुक के बंडल की राशि पर गौर करे तो करीब एक लाख 40 हजार से अधिक की राशि भरा हुआ है. अस्पताल प्रबंधन की माने तो चेक की संख्या सौ से अधिक है. चेक के पन्ने पर बुचुन देवी, उषा कुमारी 750 रुपया, अर्चना प्रियदर्शनी 1750 रुपया, मीना देवी 1000 रुपया, सहायता देवी 3500 रुपया के नाम पर 31 दिसंबर 14 को चेक भरा हुआ है. वही चेक पर प्रभारी चिकित्सा प्रभारी व एनआरएचएम का हस्ताक्षर है. गौरतलब है कि विधान परिषद में 2014 -16 में जननी सुरक्षा योजना (जेएसवाई) योजना में लाखों रुपया फर्जीवाड़ा कर राशि गबन का आरोप तत्कालीन अस्पताल प्रभारी पर लगा था, जिसकी जांच स्वास्थ्य विभाग उप निदेशक मुजफ्फरपुर को मिला था.
उपनिदेशक की टीम तीन बार रेफरल अस्पताल पहुंचकर रजिस्टर, कुछ लाभार्थी के घर व बैंक स्टेटमेंट की जांच की थी. उस दौरान भारी गड़बड़ी मिली थी. एक महिला को ही एक वर्ष में दो-दो बार बच्चे के जन्म देने व जेएसवाई की राशि उठाव का मामला आया था. सबसे रोचक बात यह थी कि भुगतान वाले सबसे अधिक चेकबुक पर एक ही प्रकार के निशान भी मिले थे. जांच के बाद एक वर्ष बीतने के बाद भी कोई कर्रवाई नहीं होना गंभीर मामला है.
इस संबंध में अनुमंडलीय अस्पताल उपाधीक्षक डॉ नीरज कुमार ने बताया कि छह वर्ष पुराना चेक है. रूम सफाई के दौरान कचरा में सफाई कर्मी द्वारा फेंक दिया गया था. सभी चेकबुक को उठाकर कार्टन में रख दिया गया. सभी चेक बुक तत्कालीन प्रभारी चिकित्सा प्रभारी डॉ यूके मिश्रा व डॉ मनोज कुमार के कार्यकाल के हैं, उस वक्त के जेएसवाई का भुगतान का अभी क्षेत्रीय उपनिदेशक के यहां से जांच चल रही है. एसबीआई शाखा प्रबंधक संतोष कुमार ने बताया कि उस वक्त अस्पताल के डिमांड पर चेकबुक दिया गया होगा. स्टेटमेंट निकलने पर ही कुछ स्पष्ट हो पायेगा.
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